38.9 C
Ranchi
Tuesday, April 22, 2025 | 08:20 pm

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मुफ्त राशन योजना के आयाम

Advertisement

जनवरी से शुरू हो रही योजना में मुफ्त अनाज का सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी तथा राज्यों को हिस्सा नहीं देना पड़ेगा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत एक साल तक मुफ्त राशन मुहैया कराने की सरकार की घोषणा देश के 81 करोड़ से अधिक लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है. हर लाभार्थी को हर माह पांच किलो अनाज मुफ्त मिलेगा. साठ साल पुरानी वितरण प्रणाली गरीबों के लिए बहुत महत्व रखती है. देश भर में राशन दुकानों का नेटवर्क फैला हुआ है. राशन शब्द का अर्थ है कि कम मात्रा में उपलब्ध किसी वस्तु को सीमित मात्रा में आवंटित किया जाए, ताकि सबको थोड़ा-थोड़ा मिल जाए.

साठ के दशक के शुरू तक भारत में खाद्यान्न की बड़ी कमी थी और देश को पश्चिमी देशों से अनाज मांगना पड़ता था. कमी का मतलब यह था कि खाद्य वस्तुओं की कीमतें बहुत ज्यादा हो सकती थीं. इसीलिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और राशन दुकानें अस्तित्व में आयीं. उपज के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा भी लेकर आयी थी और साथ ही बड़े पैमाने पर निश्चित खरीद की योजना भी बनी ताकि किसानों को घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिले. फिर हरित क्रांति, खासकर पंजाब और हरियाणा में हुई. इससे भारत अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ तथा गेहूं एवं चावल का निर्यात भी करने लगा.

आत्मनिर्भरता के बाद भी वितरण प्रणाली का विस्तार होता गया क्योंकि यह गरीबों के लिए योजना थी. पिछड़े जिलों पर अधिक ध्यान देने के इरादे से 1992 और 1997 में इस प्रणाली में बदलाव किया गया. लेकिन यह भी साफ था कि सरकारी खरीद का बड़ा हिस्सा अपेक्षित रूप से बेहतर वितरण और पोषण को सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है. राशन दुकानों से सस्ते अनाज को मुनाफे के लिए खुले बाजार में बेचने के मामले भी चर्चा में रहे. राशन दुकानों के आगे खड़े लोगों को स्टॉक खत्म होने का बहाना कर बाद में आने के लिए कहा जाता था.

मजबूर गरीबों के पास शिकायत का विकल्प भी नहीं होता था. न तो राशन दुकानों और न ही सरकार को इसके लिए दंडित करने की प्रक्रिया थी. इस पृष्ठभूमि में 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून बनाया गया, जिसे भोजन का अधिकार भी कहा जाता है. इसे एक संवैधानिक गारंटी के रूप में पारित किया गया था और यह एक दशक लंबे आंदोलन का परिणाम था, जिसने सर्वोच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था.

आंदोलनकारियों का कहना था कि सरकारी गोदामों के भरे होने के बावजूद देश में व्यापक भुखमरी और कुपोषण है. इस कानून ने सस्ता अनाज देना बाध्यकारी बनाकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया. इसमें तीन-चौथाई ग्रामीण परिवारों तथा आधे शहरी परिवारों को चावल, गेहूं और मोटे अनाज क्रमशः तीन, दो और एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से देने का प्रावधान है.

यह कानून कितना सफल रहा है, यह अलग बहस का मुद्दा है. हाल में विश्व भूख सूचकांक में भारत के नीचे रहने के मसले पर बहुत विवाद हुआ और इसे भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास बताया गया. भूख और कुपोषण के महीन अंतर पर बहुत बातें हुई थी. कोरोना काल में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के लाभार्थियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत पांच किलो अनाज मुफ्त दिया जाने लगा.

यह योजना भी 81 करोड़ भारतीयों तक पहुंची. मई, 2020 से इसे छह बार आगे बढ़ाया गया और यह इस साल दिसंबर में समाप्त हो जायेगी. अब तक इस योजना पर 4.5 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च हुआ है. यह योजना सार्वजनिक वितरण प्रणाली के समानांतर चली है. बीते दो वर्षों में सरकार ने 5.50 करोड़ टन अनाज का मुफ्त वितरण किया है. अब गरीब कल्याण योजना को बंद किया जा रहा है तथा वितरण प्रणाली को एक साल के लिए बिल्कुल मुफ्त कर दिया गया है.

पहली बात, अगर इस प्रणाली को मुफ्त अनाज वितरण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, तो फिर कोविड के दौरान ऐसा क्यों नहीं किया गया और अलग से नयी योजना लायी गयी? वितरण प्रणाली में राशन कार्ड की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रधानमंत्री कल्याण योजना में यह बाध्यता नहीं थी. चूंकि बहुत से गरीब लोग वितरण प्रणाली के लाभार्थी नहीं हैं और उनके राशन कार्ड हर जगह उपलब्ध भी नहीं हो सकते, इसलिए ‘एक देश, एक राशन कार्ड’ की चर्चा होती रही है.

यह बात खास तौर से प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों पर लागू होती है. इसलिए इस योजना को कोविड के दौरान ही लाकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और मजबूती दी जा सकती थी. उल्लेखनीय है कि जनवरी से शुरू हो रही योजना में मुफ्त अनाज का सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी तथा राज्यों को हिस्सा नहीं देना पड़ेगा.

दूसरी बात, सरकार अपने अनाज भंडारों से 44 लाख टन अनाज को निजी बाजार में क्यों नहीं भेज रही है? इसकी ठोस सिफारिश नीति आयोग के एक सदस्य ने की है. ऐसा करने से निश्चित रूप से अनाज मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आयेगी. अभी अनाज मुद्रास्फीति 13 प्रतिशत के स्तर पर है और गेहूं की मुद्रास्फीति 20 प्रतिशत है. जब मुफ्त अनाज दिया जायेगा, तो लाभार्थियों द्वारा मुनाफा के लिए उसे खुले बाजार में बेचने से सरकार कैसे रोकेगी?

मौजूदा मुद्रास्फीति को देखते हुए ऐसी बिक्री पूरी तरह संभव है. क्या इस संबंध में बाजार कारोबारियों को नहीं जोड़ा जाना चाहिए. अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कभी कहा था कि कारोबारी कम मात्रा में उपलब्ध अनाज को किसी सरकार की अपेक्षा अधिक प्रभावी ढंग से और जल्दी मुहैया करा सकते हैं. कमी की समस्या से जूझते इलाकों में अकालों और अभावों को निजी व्यापारियों की तत्परता से कई बार रोका जा सका है.

तीसरी बात यह है कि मुफ्त राशन की आदत होने पर सरकार राशन वाले अनाज की कीमत कैसे बढ़ा सकेगी. जब तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दाम बाजार के मूल्यों के आसपास नहीं होंगे, अनुदान जारी रखना मुश्किल होता जायेगा. निश्चित रूप से अनुदान वाले या मुफ्त दिये जा रहे अनाज से मुद्रास्फीति के प्रभावों को रोकने में मदद मिल रही है, लेकिन एक समय के बाद दाम बढ़ाने होंगे.

यदि 81 करोड़ लोगों को 42 माह तक मुफ्त राशन की जरूरत है, इससे गरीबी अनुपात के बारे में क्या पता चलता है. यदि भूख बड़ी समस्या नहीं है, तो हम इतने बड़े पैमाने पर मुफ्त अनाज क्यों बांट रहे हैं? क्या इस योजना के बजट का असर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए आवंटन पर होगा? हमें मुफ्त अनाज योजना पर हर पहलू से विचार करना चाहिए. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels