16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

रक्षा तैयारी व आर्थिकी

Advertisement

घरेलू उत्पादन का खर्च कम होने से निवेश के लिए अधिक धन भी मुहैया होने की संभावना बढ़ी है. उम्मीद है कि रक्षा उत्पादन में हम आत्मनिर्भर हो सकेंगे.

Audio Book

ऑडियो सुनें

भारत में रक्षा साजो-सामान के उत्पादन की दिशा में लगातार प्रगति हो रही है. इस संदर्भ में अहम फैसला लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने देश में विकसित 83 हल्के लड़ाकू हवाई जहाजों की खरीद को मंजूरी दे दी है. इसका खर्च 38 हजार करोड़ रुपया है. उम्मीद है कि इस फैसले पर रक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी की मुहर भी जल्दी लग जायेगी.

- Advertisement -

इन विमानों का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करेगी और इनके कल-पुर्जों को बनाने में निजी क्षेत्र का भी योगदान होगा. पहले ही 40 हवाई जहाजों की मांग की जा चुकी है और पहली खेप के वायु सेना में जल्दी ही शामिल होने की आशा है. कुछ आक्रामक पड़ोसी देशों की वजह से पैदा हुईं रक्षा चुनौतियों को देखते हुए ये हल्के लड़ाकू विमान भविष्य में भारतीय वायु सेना की क्षमता का मुख्य आधार बन सकते हैं. माना जा रहा है कि अगले कुछ सालों में कम-से-कम ऐसे 200 विमानों की मांग हो सकती है.

कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया था कि 2025 तक रक्षा क्षेत्र का आकार 26 अरब डॉलर करने की योजना है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर बनाने के लक्ष्य में अहम योगदान होगा. देश में रक्षा उत्पादन बढ़ने से न केवल आर्थिकी को आधार मिलेगा, बल्कि साजो-सामान के विदेशों से खरीद की निर्भरता भी कम होगी. हालांकि इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य सशस्त्र सेनाओं की जरूरत पूरी करना है, पर सरकार हथियारों के निर्यात की दिशा में भी आगे बढ़ने पर विचार कर रही है.

हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदारों में है. अन्य देशों पर आपूर्ति के लिए निर्भर होने के कारण अक्सर कूटनीतिक व तकनीकी समस्याएं भी पैदा होती हैं. स्थानीय उत्पादन बढ़ने से तकनीकी अनुसंधान को भी बढ़ावा मिल सकेगा और सशस्त्र सेनाओं की मांग को पूरा करने में भी मदद मिलेगी. बीते पांच सालों में सरकार ने चार लाख करोड़ के रुपये के रक्षा उत्पादन के दो सौ प्रस्तावों को मंजूरी दी है. इसके अलावा इससे जुड़े विभिन्न पक्षों के बीच समायोजन और सामंजस्य बढ़ाने के लिए नियमन और संरचनात्मक बदलाव भी किये गये हैं. इस क्षेत्र में देशी और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतियों में भी संशोधन हुए हैं.

पारंपरिक हथियार और साजो-सामान के साथ अत्याधुनिक डिजिटल और संचार तकनीक की जरूरत बढ़ती जा रही है क्योंकि भविष्य के युद्धों का रूप भी अलग होगा. ऐसे में रक्षा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्विलांस टेक्नोलॉजी का महत्व बढ़ता जा रहा है. यह बहुत उत्साहवर्द्धक है कि देश के भीतर इन क्षेत्रों में शोध व अनुसंधान पर जोर दिया जा रहा है और 2024 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के 24 उत्पादों को बनाने की योजना बनायी गयी है. घरेलू उत्पादन का खर्च अपेक्षाकृत कम होने से निवेश के लिए अधिक धन भी मुहैया होने की संभावना बढ़ी है. उम्मीद है कि आगामी वर्षों में रक्षा उत्पादन में हम आत्मनिर्भर हो सकेंगे.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें