19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

विदेश नीति और राज्यों के दायरे

Advertisement

संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार विदेशी मामले, रक्षा और मौद्रिक नीति से संबंधित अधिकार केंद्र सरकार के पास होते हैं. हाल में केरल सरकार द्वारा एक ‘विदेश सचिव’ की नियुक्ति के बाद इस मसले पर बहस चल रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे से जुड़े […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार विदेशी मामले, रक्षा और मौद्रिक नीति से संबंधित अधिकार केंद्र सरकार के पास होते हैं. हाल में केरल सरकार द्वारा एक ‘विदेश सचिव’ की नियुक्ति के बाद इस मसले पर बहस चल रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे से जुड़े भारत और बांग्लादेश के बीच किसी समझौते को स्वीकार नहीं करेंगी. उनका कहना है कि ऐसे समझौते से उत्तर बंगाल के लोगों को समुचित मात्रा में पानी नहीं मिल सकेगा. केरल सरकार ने सचिव की नियुक्ति के बारे में स्पष्टीकरण दिया है कि विदेशी एजेंसियां, दूसरे देशों में दूतावासों से संबंधित संस्थान आदि केरल और अन्य राज्यों की सरकारों के नियमित संपर्क में रहती हैं. केरल सरकार ने कहा है कि इस अधिकारी को राज्य के विकास के लिए संबंध स्थापित करने के लिए नियुक्त किया गया है. वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में कई राज्य सरकारें दूसरे देशों की सरकारों से संपर्क रखती हैं. इसके अनेक कारण हैं. एक तो विदेशों में भारतीय प्रवासियों की संख्या लगातार बढ़ती गयी है. जो लोग देश से बाहर हैं, उनकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों की भी होती है. दूसरी वजह यह है कि राज्य सरकारें अपने यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दूसरे देशों के संपर्क में रहती है तथा इस संबंध में प्रचार-प्रसार भी करती हैं. तीसरा कारण है विदेशी और अनिवासी भारतीयों का निवेश.

- Advertisement -


बीते वर्षों में हमने देखा है कि कई राज्य सरकारें अपने यहां समय-समय पर निवेशकों के सम्मेलन आयोजित करती हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ‘वाइब्रेंट गुजरात’ सम्मेलन है, जिसकी शुरुआत 2003 में बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. राज्य में निवेश लाने के लिए मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अनेक विदेश यात्राएं की थीं. साल 2011 में जब वे चीन गये थे, तो उन्होंने चीनी जेलों में बंद गुजरात के लोगों का मुद्दा उठाया था. साल 2015 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चंद्रबाबू नायडू लगभग 40 लोगों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल लेकर चीन गये थे. यह प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर गया था. उसके बाद प्रधानमंत्री का चीन दौरा प्रस्तावित था. नायडू के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री के दौरे की रूप-रेखा तैयार करने में भी योगदान दिया था. साल 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह पूर्वोत्तर के चार मुख्यमंत्रियों को लेकर बांग्लादेश गये थे. ये उन राज्यों के मुख्यमंत्री थे, जिनकी सीमा बांग्लादेश से लगती है.
भारत-बांग्लादेश भूमि समझौता एक बहुत कारगर और सफल समझौता है. उसे साकार करने में बांग्लादेश से सटे भारतीय राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इस आधार पर कहा जा सकता है कि हालिया बातें जो हुई हैं, वे नयी नहीं हैं. कुछ दिन पहले अमेरिका में आंध्र प्रदेश के एक युवक की हत्या हो गयी थी, तो राज्य सरकार ने विदेश मंत्रालय से उसका शव लाने तथा अन्य सहायता मुहैया कराने का अनुरोध किया था. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूक्रेन में पढ़ रहे कई भारतीय छात्रों को निकाला गया था. ये छात्र विभिन्न राज्यों से थे. वहां की सरकारों ने केंद्र सरकार से संपर्क कर उन्हें सुरक्षित लाने का आग्रह किया था.

अक्तूबर 2014 से विदेश मंत्रालय में एक विभाग चल रहा है, जिसकी जिम्मेदारी संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की होती है. इस स्टेट डिवीजन का दायित्व राज्य सरकारों और भारतीय दूतावासों एवं उच्चायोगों के साथ संपर्क स्थापित करना है. इस विभाग का उद्देश्य भी प्रवासियों की देखभाल, निवेश और पर्यटन विकास है. प्रधानमंत्री मोदी जब मुख्यमंत्री थे, तब अक्सर कहा करते थे कि राज्यों को अधिक स्वायत्तता मिलनी चाहिए ताकि वे अपने यहां अधिक निवेश ला सकें. इस तरह की बातें भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में भी उल्लिखित होती थीं. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक अवधारणा ‘पारा-डिप्लोमेसी’ की है. यह अवधारणा यही कहती है कि विदेश संबंध विकेंद्रित भी हो सकते हैं तथा राज्य सरकारें अपने देश के दूतावासों के साथ समन्वय स्थापित कर निवेश ला सकती हैं तथा विदेशी मामलों में सकारात्मक सहयोग कर सकती हैं. ऐसी व्यवस्था को एक तरह की कूटनीति कहा गया है. अभी जैसी व्यवस्था केरल में की गयी है, वैसी ही व्यवस्था हरियाणा में भी है. केरल सरकार ने कहा है कि उक्त अधिकारी का काम विदेश मंत्रालय से संपर्क का ही है. यह भी स्थापित तथ्य है कि बड़ी संख्या में केरल के लोग दूसरे देशों में कार्यरत हैं. मेरा मानना है कि इसे विदेशी मामलों में किसी तरह के हस्तक्षेप के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. ऐसा हस्तक्षेप संभव भी नहीं है क्योंकि विदेश मामले केंद्र सरकार का विषय हैं और यह संविधान में रेखांकित किया गया है.


किसी भी संघीय व्यवस्था में विदेश नीति केंद्र के अधीन ही होती है, पर जिस तरह की वैश्विक चुनौतियां सामने आ रही हैं, जिस प्रकार से वैश्वीकरण होता जा रहा है, तो राज्यों को भी संपर्क बनाने की आवश्यकता बढ़ती गयी है. हम अक्सर देखते हैं कि दूसरे देशों के राज्यों के प्रशासक और बड़े शहरों के मेयर अपना प्रतिनिधिमंडल लेकर भारत आते हैं. हमारे यहां से भी मुख्यमंत्री और मंत्री आधिकारिक दौरे पर अन्य देशों की यात्रा करते हैं. ऐसी यात्राएं विदेश मंत्रालय और हमारे दूतावासों के सहयोग से ही संभव होती हैं. केरल के इस कदम से यह अवश्य हुआ है कि संपर्क व्यवस्था को उसने संस्थागत रूप दे दिया है. हमारे देश में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं. कई कंपनियां और विदेशी कार्यरत भी हैं. हवाई अड्डों का नेटवर्क बढ़ रहा है. ऐसे में सुरक्षा और सुविधाओं के लिए कंपनियां राज्य सरकारों के संपर्क में रहती हैं. विकास के साथ-साथ सभी चीजों को केंद्रीकृत व्यवस्था से ठीक से चला पाना आसान नहीं होता. निवेश को ही देखें, तो राज्यों में आपसी प्रतिस्पर्धा रहती है. राज्य निवेशकों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के छूट और सुविधाओं को प्रस्तावित करते हैं.


आने वाले समय में राज्यों की सक्रियता में बढ़ोतरी ही होगी. प्रधानमंत्री मोदी हमेशा से ऐसी कोशिशों और संपर्कों के समर्थक रहे हैं. इससे केंद्र सरकार या विदेश मंत्रालय के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वे संविधान द्वारा दिये अधिकार हैं तथा इसका अहसास राज्य सरकारों को भी है. जहां तक ममता बनर्जी के बयान का सवाल है, तो वह मुद्दा पानी जैसे संवेदनशील विषय से जुड़ा हुआ है. मुझे लगता है कि इस पर बातचीत कर और उन्हें भरोसे में लेकर आगे बढ़ा जाना चाहिए. (बातचीत पर आधारित) (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Also Read: Jharkhand Assembly सत्र के दौरान शलाका के लिए परेशान रहते हैं विधायक, क्या होता है शलाका?

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें