26.1 C
Ranchi
Wednesday, February 19, 2025 | 02:35 pm
26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

वैक्सीन की सुलभता पहली जरूरत

Advertisement

यह भी जरूरी है कि भारत समेत दुनिया के सभी देश वैक्सीन का चुनाव करते हुए देखें कि वैक्सीन सबसे ज्यादा प्रभावी हो, उसके दुष्प्रभाव न्यूनतम व लागत कम हो़

Audio Book

ऑडियो सुनें

डाॅ अश्विनी महाजन, एसोसिएट प्रोफेसर, डीयू

ashwanimahajan@rediffmail.com

पूरा विश्व कोरोना के लिए वैक्सीन की प्रतीक्षा कर रहा है, लेकिन वैक्सीन उत्पादन और शीघ्र वितरण के नाम पर लाभ उठाने के लिए कुछ कॉरपोरेट हित सक्रिय हो गये है़ं कंपनियों द्वारा कार्टेल बनाकर लाभ बढ़ाना कोई नयी बात नहीं है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि संकट की घड़ी में भी उनके और सहयोगी संस्थाओं के तौर-तरीके पहले जैसे ही है़ं ये कंपनियों ‘कोवैक्स सुविधा’ के नाम पर हित साधने के प्रयास कर रही है़ं यह सब कोविड-19 के लिए उपकरणों की शीघ्र पहुंच सुनिश्चित करने के नाम पर चल रहा है़

इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का रवैया भी संदेह के घेरे में है़ काॅरपोरेट कार्टेल ने इस एक्ट एक्सीलरेटर का निर्माण किया है़ इसे वे कोविड-19 के परीक्षण, उपचार और वैक्सीन के विकास, उत्पादन और पहुंच में तेजी लाने के लिए एक वैश्विक सहयोग का नाम दे रहे है़ं कोवैक्स के नाम पर चल रहे इन प्रयासों को ‘गाॅवी’ कॉरपोरेट गठबंधन और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सम्मिलित रूप से चलाया जा रहा है़ इसका उद्देश्य वैक्सीन का विकास और निर्माण कर बराबरी के आधार पर दुनिया के हर देश में उसकी पहुंच सुनिश्चित करना है़

यह कोई रहस्य नहीं है कि गाॅवी का बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के साथ गहरा रिश्ता है़ सन् 2000 में बीएमजीएफ ने गाॅवी के निर्माण के लिए 750 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था़ बीएमजीएफ उसके बोर्ड का सदस्य भी है़ गाॅवी के ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन, मर्क नाेवार्टिस, फाइजर समेत कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जो गाॅवी के बोर्ड के सदस्य भी है़ं

हालांकि, ‘कोवैक्स सुविधा’ में स्पष्ट नहीं है कि वे किस वैक्सीन के उत्पादन और वितरण में सहयोग करेंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि उन्होंने पहले से ही रूस द्वारा विकसित ‘स्पूतनिक वी’ समेत, अन्य प्रयासों से विकसित हो रही वैक्सीन को किसी न किसी बहाने बदनाम करना प्रारंभ कर दिया है़ गाॅवी का आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित वैक्सीन ‘कोवीशील्ड’ समेत कुछ और वैक्सीनों के पक्ष में झुकाव भी स्पष्ट दिखायी दे रहा है़

गेट्स फाउंडेशन गाॅवी के माध्यम से, जिसे वह दो किश्तों में कुल 300 मिलियन डाॅलर दे चुका है, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को वैक्सीन उत्पादन के लिए पैसे दे चुका है, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिल कर वैक्सीन तैयार कर रहा है़ कहा जा सकता है कि गेट्स फाउंडेशन, गाॅवी और विश्व स्वास्थ्य संगठन का कार्टेल कुछ चुनिंदा वैक्सीनों को ही अपनी सहयोगी कंपनियों के माध्यम से प्रोत्साहित कर रहा है़

इस कार्टेल का उद्देश्य वैक्सीन उपलब्धता सुनिश्चित कर लोगों को राहत दिलाना नहीं, बल्कि भागीदारों के लिए अधिकतम लाभ कराना है़ गेट्स फाउंडेशन, गाॅवी और डब्ल्यूएचओ का कार्टेल इस जुगत में है कि विभिन्न देश वैक्सीन खरीद के लिए कानूनी बाध्यता के साथ प्रतिबद्धता दे़ं, ताकि वे अधिकतम लाभ करवा सकें.

आज देश और दुनिया, जिस प्रकार कोरोना के कहर से जूझ रहे हैं, कई कंपनियां अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है़ं एक ओर वे अपनी वैक्सीन की अग्रिम बिक्री के प्रयास कर रही है़ं दूसरी ओर, अन्य द्वारा विकसित वैक्सीन को बदनाम करने की भी कोशिश कर रही है़ं ये कंपनियां सीधे नहीं, बल्कि लाॅबिंग कर यह काम रही है़ं

स्वयं को बड़ा दानदाता बतानेवाली संस्था गेट्स फाउंडेशन भी छद्म रूप से इस व्यवसाय में कंपनियों को लाभ पहुंचाने में लगा है़ बीएमजीएफ की समर्थित कंपनियों का एक गठजोड़ ‘गाॅवी’ भी इस कवायद में लगा है कि दुनिया के देश उसकी वैक्सीन की खरीद की अग्रिम वचनबद्धता दे दे़ं सच तो यही है कि गठबंधन अपनी पसंदीदा वैक्सीन का ही समर्थन करेगा और सदस्य देशों की सरकारें वैक्सीन संबंधी निर्णय की स्वतंत्रता खो देंगी़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेे भी कहा है कि देश में तीन वैक्सीन के ट्रायल अलग-अलग स्तरों पर चल रहे हैं और जल्द ही कोरोना वैक्सीन मिल सकती है़ रूस ने भी एक वैक्सीन का पंजीकरण किया है और उसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए भारतीय कंपनी डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज से संपर्क साधा है़ वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तो पहले से ही ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिल कर कोराेना वैक्सीन पर काम कर रहा है़

गौरतलब है कि वैक्सीन उत्पादन के क्षेत्र में भारत का कोई सानी नहीं है़ उल्लेखनीय है कि भारत सरकार और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन से गुहार लगायी है कि कोविड-19 के लिए दवाइयों और वैक्सीनों को बौद्धिक संपदा अधिकारों यानि अनुचित राॅयल्टी से मुक्त करने की छूट दी जाए, ताकि दुनियाभर के लोगों के लिए ये आसानी से उपलब्ध हो सके़ं इस प्रकार भारत ने अपनी नीति स्पष्ट कर दी है़

हालांकि, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के चंगुल में फंसे होने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन इसका विरोध कर रहा है़ उसका कहना है कि इससे वैक्सीन के विकसित होने में बाधा आयेगी़, जबकि विश्व व्यापार संगठन की 2001 की घोषणा में कहा गया है कि महामारी और राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति में बौद्धिक संपदा कानून स्थगित रहेंगे और देश अपनी आवश्यकतानुसार दवा उत्पादन के लिए अनिवार्य लाइसेंस प्रदान कर सकेंगे़ यह भी जरूरी है कि भारत समेत सभी देश वैक्सीन का चुनाव करते हुए देखें कि वैक्सीन सबसे ज्यादा प्रभावी हो, उसके दुष्प्रभाव न्यूनतम व लागत कम हो़

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

Posted by : pritish sahay

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें