16.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 12:26 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

काबू में है कोरोना महामारी

Advertisement

हमारे यहां 90 प्रतिशत लोगों को कभी न कभी संक्रमण हो चुका है. बाकी 10 प्रतिशत या तो झूठ बोल रहे हैं या उन्हें संक्रमण का पता ही नहीं है. इतनी बड़ी आबादी के पास प्राकृतिक रूप से प्रतिरोधक क्षमता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

चीन समेत दुनिया के लगभग 15 देशों में कोरोना संक्रमण में आयी तेजी के मद्देनजर भारत में समुचित तैयारियां हो रही हैं. अगर पड़ोस में कहीं आग लगी हो, तो हम भी चैन से नहीं बैठ सकते हैं. अगर हम स्थिति को वैज्ञानिकता के साथ देखें, तो हमारे देश में हर सप्ताह अभी मात्र हजार के आसपास संक्रमण के मामले आ रहे हैं. यह पिछले कई सप्ताह से चल रहा है. हमारे देश में आर्थिक और कारोबारी गतिविधियां जोरों से चल रही हैं, सामाजिक तौर पर लोग घूम रहे हैं, मिल-जुल रहे हैं, संस्थान चल रहे हैं.

- Advertisement -

लोगों के मन से महामारी का भय निकल चुका है. यह सब ओमिक्रॉन की वजह से हुआ. उसमें पांच तरह के वायरस हैं. यह दक्षिण अफ्रीका से यूरोप पहुंचा था. उस समय भारत में डेल्टा का प्रकोप था. ओमिक्रॉन का दूसरा रूप यहां आया, जिसका असर मामूली होता था. इसकी वजह से इसके अन्य घातक रूपों को भारत में जगह नहीं मिली. अभी जो वायरस अन्य देशों में फैल रहा है, वह जुलाई में कुछ मामलों में भारत में भी पाया गया था. अभी हाल में इसके कुछ मामले सामने आये हैं. अगर हमारे यहां कोरोना की नयी लहर आनी होती, तो अब तक हजारों मामले हर सप्ताह आने लगते. पर ऐसा नहीं हुआ.

अमेरिका, ब्राजील और यूरोप में जो चल रहा है, वह वायरस का अलग प्रकार है. चीन और कोरिया में भी ओमिक्रॉन के ही अलग-अलग वायरस लोगों को संक्रमित कर रहे हैं. कहीं भी अल्फा, बीटा, डेल्टा आदि नहीं हैं. यह उल्लेखनीय है कि हमारे यहां 90 प्रतिशत लोगों को कभी न कभी संक्रमण हो चुका है. बाकी 10 प्रतिशत या तो झूठ बोल रहे हैं या उन्हें संक्रमण का पता ही नहीं है. इतनी बड़ी आबादी के पास प्राकृतिक रूप से प्रतिरोधक क्षमता है. साथ ही, देश की आबादी के 75 प्रतिशत हिस्से को टीके दिये जा चुके हैं.

शेष को एक खुराक लगा है. इसका सीधा अर्थ है कि हमारे देश में लोगों के पास दोहरी प्रतिरोधक क्षमता है. इसे ‘हर्ड इम्युनिटी’ यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता कहा जाता है. इसमें यह भी होता है कि जिन लोगों ने टीका नहीं लगवाया या उन्हें संक्रमण नहीं हुआ, उन्हें भी इस क्षमता का लाभ मिल जाता है. इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए मुझे ऐसा लगता है कि नया वायरस हमारे देश में कोई खास असर नहीं कर सकेगा.

एक बहुत मशहूर कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. डेल्टा के समय का अनुभव हमलोगों को है. उस समय एक उच्च शिक्षण संस्थान की काउंसिल थी, जिसने निष्कर्ष दिया था कि हमारे यहां डेल्टा आयेगा ही नहीं. सरकार ने इस अनुमान को मान लिया था. और, हमने देखा कि डेल्टा के साथ आयी दूसरी लहर कितनी खतरनाक साबित हुई थी. अभी हमें जो करना है, उसमें सबसे प्रमुख यह है कि हमें संक्रमण का ग्राफ देखते रहना है कि एक सप्ताह और दूसरे सप्ताह के बीच मामलों के घटने या बढ़ने का प्रतिशत क्या है.

अभी यह तीन प्रतिशत प्लस है. जब यह अंतर बहुत अधिक बढ़ने लगेगा, तब हमको चिंतित होने की जरूरत होगी. अभी जो संक्रमण में कुछ बढ़ोतरी होगी, वह इसलिए होगी कि अब ज्यादा लोग टेस्ट करायेंगे. जब जांच अधिक होगी, तो स्वाभाविक रूप से संख्या भी अधिक होगी. अभी हमें तैयारियों पर ध्यान देना होगा तथा उपलब्ध संसाधनों को लेकर मॉक ड्रिल करना होगा. यह प्रक्रिया शुरू भी कर दी गयी है, जो सराहनीय है. लोगों को मास्क लगाना चाहिए. इसका फायदा केवल कोविड से बचाव के रूप में ही नहीं है. मास्क कई तरह के वायरस से आपको बचा सकता है.

हमें किसी तरह से हड़बड़ाना नहीं है और न ही किसी आशंका को लेकर बेचैन होना है. जिन लोगों ने दोनों खुराक नहीं ली है, उन्हें वैक्सीन लेनी चाहिए. इसी तरह बूस्टर डोज भी अहम है. जो लोग 65 साल से अधिक आयु के हैं या गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं, उन्हें बूस्टर खुराक अवश्य लेनी चाहिए. उन्हें इससे अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी. आम तौर पर किसी तरह का पैनिक लोगों में नहीं फैले, इसके लिए सरकार और मीडिया को कुछ सावधानी रखनी चाहिए.

ऐसा देखा गया है कि कोई रिपोर्ट, जो एक विशेष विभाग के पास जानी थी, किसी तरह से सार्वजनिक हो गयी और उसके आधार पर ऐसी खबरें बना दी गयीं, जिनसे बेचैनी बढ़ी. सरकार और प्रशासनिक विभागों को इसका ध्यान रखना चाहिए. जो सूचना जिसके लिए हो, उसी तक पहुंचनी चाहिए. मेडिकल रिसर्च से जुड़ी जानकारियों को छांटकर ही सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि उनका गलत मतलब न निकले.

मीडिया को भी अनावश्यक सूचना देने और बातों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने के रवैये से परहेज करना चाहिए. लोगों को भले कुछ सरकारी निर्देश पसंद न आएं, पर अपनी और सबकी सुरक्षा के लिए उनका पालन करना चाहिए. लापरवाही बरतने से कोई फायदा नहीं है. हमें सावधान और सतर्क रहना है. सरकार की ओर से समुचित पहल हो रही है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें