19.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 09:48 am
19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बढ़ती कीमत से सोने में निवेश की होड़

Advertisement

जिन निवेशकों ने पिछले साल या इस साल के शुरू में सोने में निवेश किया है, वे सबसे सुरक्षित स्थिति में हैं. कम पूंजी के खुदरा निवेशकों के लिए अब खरीद करने में जोखिम ज्यादा है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

अभिजीत मुखोपाध्याय, अर्थशास्त्री, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन

abhijitmukhopadhyay@gmail.com

बीते सप्ताह सोने के दाम दो हजार डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गये. हालांकि बाद में इसमें मामूली गिरावट आयी है, पर अभी भी यह इस स्तर से ऊपर है, जो कि एक रिकॉर्ड है. जेपी मॉर्गन चेज के मुताबिक, 2020 में अब तक सोने के भाव में 27 फीसदी का उछाल आ चुका है और साल के अंत तक इस बढ़त में कमी आने की संभावना है, लेकिन इस बात से गोल्डमैन सैच, सिटीग्रुप और बैंक ऑफ अमेरिका सहमत नहीं हैं और उनका मानना है कि बढ़त आगे भी बनी रह सकती है.

बैंक ऑफ अमेरिका का तो यहां तक कहना है कि अगले साल कभी सोने की कीमत प्रति औंस दर तीन हजार डॉलर को भी पार कर सकती है. अप्रैल में इस बैंक ने अनुमान लगाया था कि तीन हजार डॉलर की दर डेढ़ साल में हो जायेगी और अभी भी वह इस अनुमान पर टिका हुआ है. गोल्डमैन सैच ने अपने बारह माह के अनुमान को बढ़ा कर 2300 डॉलर कर दिया है.

अनुमानों में जो भी अंतर हों, अमेरिका और दुनिया के कुछ बड़े बैंकों को आगामी महीनों में दरों में उछाल की उम्मीद है, जो अगले साल भी बनी रह सकती है. सोने के दाम में मौजूदा बढ़त की शुरुआत पिछले साल के मध्य में तब हुई थी, जब अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक ने बाजार को संकेत दिया था कि अमेरिकी ब्याज दरों में आगे भी कटौती की जायेगी. इसका कारण था- डॉलर में गिरावट का डर तथा मुद्रास्फीति की आशंका. यह पृष्ठभूमि दुनियाभर में व्यापार युद्धों, खासकर सबसे अहम अमेरिका और चीन के बीच, को और गंभीर बना रही है.

यह स्थिति सितंबर, 2011 के घटनाक्रम की तरह है, जब अमेरिका में वित्तीय राहत जारी रखने के मसले पर चर्चा गर्म हो गयी थी. चूंकि अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त पैसा डाला जा रहा था, सो कीमतों में बढ़ोतरी की आशंकाएं भी बनी हुई थीं. वृद्धि के आंकड़े भी बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं थे और अमेरिका के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के लंबे समय तक पटरी पर बने रहने के आसार भी नजर नहीं आ रहे थे. इस वजह से पिछले वर्ष के मध्य से सरकार के वित्तीय हस्तक्षेप को लेकर बहस भी चली तथा व्यापार युद्ध की वजह से वृद्धि में गिरावट का भय भी पैदा हुआ. मुद्रास्फीति की आशंका तो बनी ही हुई थी. इस माहौल का नतीजा हुआ कि हर तरह के पैसे को सोने और डॉलर में बदला जाने लगा.

अमेरिकी डॉलर को दुनिया की रिजर्व मुद्रा और निवेश हेतु सुरक्षित विकल्प माना जाता है. इन्हीं कारणों से दूसरा सुरक्षित विकल्प सोना है. सोने का मूल्य ऊपर-नीचे हो सकता है, लेकिन यह कभी भी ऋणात्मक क्षेत्र में नहीं जा सकता है क्योंकि पूरी दुनिया में उसकी कुल आपूर्ति एकसमान स्तर पर बनी रहती है. किसी परियोजना या स्टॉक बाजार में निवेशित धन की कीमत संकट के समय बहुत अधिक गिर सकती है, पर सोने में ऐसा नहीं होता. इस वजह से समझदार निवेशक संकट की आशंका होने पर सोने में निवेश करते हैं ताकि वित्तीय जोखिम कम-से-कम रहे.

इस साल कोरोना महामारी ने आशंकित संकट को एक दीर्घकालिक तबाही में बदल दिया है. संक्रमण से प्रभावित दुनिया के अधिकतर देशों की सरकारों को इस आपातकाल में वित्तीय मदद देनी पड़ रही है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने आर्थिकी में पैसा डालने के अपने कार्यक्रम में डेढ़ ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि की है. उसके बाद 500 अरब डॉलर और डाले गये हैं. यह मार्च में ही हुआ है. मार्च और अप्रैल में अमेरिकी सरकार ने तीन वित्तीय राहत उपायों की घोषणा की. इस तरह से यह पूरा पैकेज 2.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.

स्वाभाविक रूप से वित्तीय तंत्र में इतनी भारी रकम की आमद ने मुद्रास्फीति की आशंकाओं को बल दिया. इन पैकेजों से निवेशकों की नजर में डॉलर की स्थिति को भी कमजोर किया है. ब्याज दरों के लगभग शून्य होने के कारण पहले से ही डॉलर में जमा रकम पर आमदनी बहुत कम थी. ऐसी आशंका है कि आर्थिक व वित्तीय स्थिति और बिगड़ने तथा मुद्रास्फीति बढ़ने से डॉलर में जमा परिसंपत्तियां निकट भविष्य में ऋणात्मक हो सकती हैं.

ऐसे में सुरक्षित निवेश के विकल्प में सोना ही बचता है, जिसके दाम पिछले साल के मध्य से ही बढ़ते जा रहे हैं. इन सभी कारकों की वजह से हम हाल के दिनों में सोने में भारी उछाल देख रहे हैं. सबसे अहम सवाल निवेशक के दिमाग में यह है कि क्या आगे भी कीमतें बढ़ती रहेंगी. जिन निवेशकों ने पिछले साल या इस साल के शुरू में सोने में निवेश किया है, वे सबसे सुरक्षित स्थिति में हैं. आगे जो भी हो, उनका धन सुरक्षित रहेगा क्योंकि दाम में तुरंत बड़ी कमी की संभावना नहीं है.

जो अब सोना खरीदना चाहते हैं, वे बड़ी ऊहापोह में हैं. यदि बड़े बैंकों और एजेंसियों की भविष्यवाणियों को मानें, तो वे अभी भी सोने में निवेश कर सकते हैं और आगे कमाई कर सकते हैं. लेकिन यदि दाम नहीं बढ़े, तो अब सोने का रुख करना घाटे का सौदा हो सकता है. कम पूंजी के खुदरा निवेशकों के लिए जोखिम ज्यादा है, इसलिए उन्हें बहुत सोच-समझ कर ही कदम उठाना चाहिए और कुछ ही निवेश सोने में करना चाहिए.

(ये लेखक के निजी विचार है़ं)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें