20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बैंकों को बोझ नहीं, सहयोग की जरूरत

Advertisement

बैंकों पर अनुचित बोझ डालने के बजाय यह बेहतर है कि सरकार इसे अपने स्तर पर सुलझाये और सीधे सरकारी खजाने से करदाताओं को राहत दे.

Audio Book

ऑडियो सुनें

अजीत रानाडे, अर्थशास्त्री एवं सीनियर फेलो, तक्षशिला इंस्टीट्यूशन editor@thebillionpress.org

- Advertisement -

लोग कर्ज क्यों चुकाते हैं? पहला, क्योंकि वे ऋण लौटाने की बाध्यता के लिए अनुबंधित हैं. अगर वे इस अनुबंध को तोड़ते हैं, तो उन पर दंड या जुर्माना लगाया जा सकता है. दूसरा, अगर कर्ज अदायगी के एवज में कुछ गिरवी रखा गया है, तो ऋण वापसी नहीं करने पर इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. अमूमन, इस गारंटी का मूल्य ऋण के मूल्य से अधिक होता है. अत: उसे चुकाना बड़ा नुकसान उठाने से बेहतर है. तीसरा, पुनर्भुगतान अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री तैयार करता है, जो भविष्य में ऋण लेने में मददगार होती है.

वास्तव में, माइक्रो फाइनेंस लोन के मामले में, जहां शून्य गारंटी होती है, वहां पुनर्भुगतान से कर्जदारों की स्थिति कर्जदाताओं की नजर में अच्छी बनी रहती है. अनौपचारिक बाजार, जैसे सब्जी की दुकान के लिए ऋण रोजाना के आधार पर लिया जा सकता है. इसका इस्तेमाल थोक बाजार से उत्पादों को खरीदने में होता है और खुदरा बिक्री करके दिन के अंत में इसका ब्याज के साथ भुगतान कर दिया जाता है. कर्ज के भुगतान में नैतिक मूल्य भी छिपे होते हैं, यानी कर्ज भुगतान न करना एक पाप है. कुल मिला कर इसे ही ऋण अनुशासन यानी क्रेडिट डिसिप्लीन कहते हैं.

अगर ऋण अनुशासन बेहतर है, तो अर्थव्यवस्था अच्छा काम करती है. यह कर्जदार तथा कर्जदाता दोनों पर निर्भर है. इसे ही बेहतर व व्यापक बनाने की जरूरत है, ताकि जरूरतमंदों को आसानी से ऋण मिल सके. क्रेडिट निर्माण सेे ही आर्थिक गतिविधियों में विस्तार और वृद्धि होती है. कोई व्यक्ति शिक्षा या मकान खरीदने के लिए कर्ज ले सकता है. इसका मतलब वर्तमान में संपत्ति (शैक्षणिक डिग्री या घर) बनाने के लिए वे अपनी भविष्य की कमाई से कर्ज ले रहे हैं. इसी तरह कंपनी कार्यशील पूंजी की जरूरत या क्षमता बढ़ोतरी के लिए कर्ज ले सकती है और वह कर्ज अदायगी अपनी भविष्य की कमाई से करेगी.

बैंकिंग प्रणाली क्रेडिट संस्कृति पर निर्भर है, ताकि ऋणों पर (व्यापार में गिरावट के कारण) चूक के बावजूद यह बढ़ती अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा कर सके. अत: जब आधिकारिक मंजूरी से पुनर्भुगतान को रोका जाता है, तो यह दीर्घकालिक और गंभीर परिणाम के साथ बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय होता है. अत: जब राजनीतिक फैसले के तहत किसानों को कर्जमाफी दी जाती है, तो इसका असर क्रेडिट कल्चर पर पड़ता है. पहला, यह उन किसानों के साथ गलत है, जो डिफॉल्ट से बचने और कर्ज अदा करने के लिए बहुत परिश्रम करते हैं. दूसरा, बार-बार माफी से ऋण अदा नहीं करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है.

तीसरा, यह बैंकरों और उधारदाताओं को सोचने पर विवश करता है और वे उधार देने से बचने लगते हैं. इससे ऋण विस्तार के बजाय ऋण संकुचन की स्थिति बन जाती है. लेकिन, वास्तव में गंभीर संकट में कर्ज माफी करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. ऐसे हालात में पूरी तरह माफ कर देने की बजाय ऋण स्थगन या कर्ज पुनर्संरचना बेहतर विकल्प है.

इससे समय सारिणी में समायोजन के माध्यम से पुनर्भुगतान की संभावना खुली रहती है. अगर माफी, जोकि कम अधिमान्य है, या ऋण स्थगन, जो क्रेडिट कल्चर के लिए अपेक्षाकृत बेहतर है, इसका सरकार द्वारा निर्णय किया जाता है. ऐसे में उधारदाता को वित्तीय संसाधनों, जैसे कि करदाताओं से क्षतिपूर्ति करना पड़ता है. क्या करदाता इस बात से सहमत होंगे कि यह सभी के हित में है? क्या होगा अगर कर्जदाता को डिफाल्टर्स द्वारा जानबूझकर कष्ट पहुंचाया गया है? अगर मिलीभगत और भ्रष्टाचार के आधार पर फर्जी ऋण दिया गया हो, तो क्या होगा?

क्या फंसे ऋणों का बोझ करदाताओं पर डालना उचित है? क्या सार्वजनिक क्षेत्र और कोऑपरेटिव बैंकों को डिफॉल्ट और धोखाधड़ी वाले ऋणों से अधिक खतरा है? सार्वजनिक क्षेत्र तथा कोऑपरेटिव बैंकों के नियमन और ऋण प्रबंधन को हम कैसे बेहतर बना सकते हैं? कुछ ऐसे गंभीर प्रश्न हैं. क्रेडिट कल्चर को संरक्षण और बढ़ावा देने से जुड़ा प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका की वजह से अधिक प्रासंगिक है. सभी बैंकों के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी प्रकार के ऋण, जिसमें होमलोन, क्रेडिट कार्ड बकाया और अन्य खुदरा कर्ज शामिल हैं, उसके भुगतान के लिए छह महीने की मोराटोरियम दी है.

लॉकडाउन से ठप हुई आर्थिक गतिविधियों के कारण नकदी प्रवाह बाधित हुआ, इस संकट से उबरने के लिए कर्जदारों की मदद के लिए यह अस्थायी उपाय किया गया. हालांकि, अधिस्थगन के दौरान ब्याज और चुकौती बकाया जमा हो रहे थे. कुल 38 लाख करोड़ से अधिक का ऋण प्रभावित हुआ है. इस प्रकार इन छह महीनों में अर्जित ब्याज लगभग दो लाख करोड़ रुपये है. यह उपार्जित ब्याज, जिसका भुगतान स्थगित कर दिया गया है, वह एक ताजा ऋण की तरह है, जिसका बोझ लगभग 5000 करोड़ है.

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ब्याज पर छूट की मांग कर रहे हैं. इससे क्रेडिट कल्चर का प्रभावित होना लाजिमी है. ब्याज अदायगी, धन के सामयिक मूल्य के भुगतान के बराबर है. यह बैंकों की ब्याज कमाई है, जिससे वे जमाकर्ताओं की बचत और सावधि जमा पर पुनर्भुगतान करते हैं. अगर उस ब्याज कमाई से बैंक वंचित रह जाते हैं, तो बैंक मुश्किल में होंगे और उन्हें मालिकों और शेयरधारकों से नयी इक्विटी के लिए कहना होगा. चूंकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भारत सरकार मुख्य शेयरधारक है, ऐसे में वह मदद के लिए करदाताओं को कहेगी. बैंकों पर अनुचित बोझ डालने के बजाय यह बेहतर है कि सरकार इसे अपने स्तर पर सुलझाये और सीधे सरकारी खजाने से करदाताओं को राहत दे. अन्यथा ब्याज माफी से क्रेडिट अनुशासन को नुकसान होगा.

मंदी के समय में जब बैंकिंग प्रणाली पर अगले मार्च तक चार लाख करोड़ रुपये का फंसा ऋण हो सकता है, ऐसे में बैंकों को माफी और स्थगन बढ़ाने से होनेवाले प्रभावों से बचाना होगा. जैसाकि आरबीआइ ने अपने हलफनामे में खुद ही अदालत में कहा है कि कर्ज माफी या क्रेडिट कल्चर को बिगाड़ने के बजाय समस्या के मद्देनजर वित्तीय संसाधनों से व्यापक ऋण पुनर्संरचना पैकेज की आवश्यकता है. यह जरूरी है कि अदालत इस बड़े खतरे को पहचान ले.

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें