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सबको कुछ न कुछ देने का प्रयास

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केंद्रीय बजट में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां शुरू करने की बात कही गयी है, जो केवल डिजिटल बैंकिंग करेंगी. इससे वित्तीय समावेशन होगा.

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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट पूरी तरह से आर्थिक बजट है. अटकलें लगायी जा रही थीं कि चुनाव के कारण यह बजट राजनीतिक हो सकता है, लेकिन वैसा नहीं हुआ. बजट में हर वर्ग को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया गया है. सरकार के पास देने के लिए ज्यादा कुछ था भी नहीं. वह जो दे रही है, उसमें भी काफी वित्तीय घाटा हो रहा है. मेरे विचार से सरकार ने जो कुछ भी देने की कोशिश की है, वह अगले वर्ष के लिए सुधार, रोजगार और विकास की ओर उन्मुख रहेगा.

बजट के प्रावधानों पर यदि अमल किया गया और पिछले दो तीन-वर्षों में सरकार ने जो कार्य किया है, जैसे- डिफेंस कॉरिडोर आदि बनाना, उससे आगामी वित्त वर्ष (2022-23) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि और हो सकती है तथा रोजगार सृजन भी हो सकता है. पर इसके लिए नीतियों पर अमल करना बहुत जरूरी है. पिछले दो वर्ष तो कोविड महामारी की ही भेंट चढ़ गये और अब भी इसका असर है. इस कारण अनेक योजनाएं और परियोजनाएं सही तरीके से लागू नहीं की जा सकीं.

दूसरी बात, सरकार ने पारदर्शी उत्तरदायित्व और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये कार्य करने की कोशिश की है. इसके माध्यम से केवल आम आदमी को ही राहत प्रदान करने की कोशिश नहीं की गयी है, बल्कि उद्योग व कारोबार जगत को भी राहत मुहैया करायी गयी है. कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) समेत अनेक कारकों को इसके तहत लाने और उनकी बेहतरी की कोशिश सरकार कर रही है. डिजिटल प्लेटफॉर्म, डिजिटल अकाउंट खोलने आदि की ओर कदम बढ़ाया गया है.

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने की घोषणा हुई है. कृषि क्षेत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए भी 23 लाख करोड़ के प्रत्यक्ष भुगतान जैसे कदम सरकार ने उठाये हैं. कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर को भी डिजिटल दायरे में लाने की बात सरकार ने कही है. ड्रोन के उपयोग, प्राकृतिक खेती की बात भी इस बजट में की गयी है. इससे धरती व कृषि की सेहत भी अच्छी बनी रहती है और विदेशी मुद्रा कमाने की संभावना भी बढ़ती है, तो इसे अच्छा कदम माना जाना चाहिए.

बजट में शिक्षा क्षेत्र के विकास को लक्षित करते हुए कहा गया है कि पांच उत्कृष्ट संस्थानों (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) को वित्तीय सहायता दी जायेगी, ताकि वे आगे बढ़ सकें. राष्ट्रीय स्वास्थ्य पंजिका के लिए भी प्रस्ताव है, ताकि स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल इम्प्रिंट के जरिये ध्यान दिया जा सके. कृषि क्षेत्र की बात करें, तो सरकार पहले ही किसानों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है.

निर्मला सीतारमण का प्रयास भूमिधारक की पहचान करने की है, ताकि उन्हें कल्याण योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा सके. उल्लेखनीय है कि अप्रासंगिक हो चुके सैकड़ों नियमों-कानूनों को सरकार ने इसलिए निरस्त किया है, ताकि कारोबार में आसानी हो सके और विकास को गति दी जा सके. स्रोत पर कर लेने की प्रक्रिया में भी सरकार ने राहत देने की कोशिश की है.

सहकारी समितियों के लिए भी न्यूनतम कर को घटाकर 15 प्रतिशत किया गया है. दीर्घकालिक पूंजी लाभ पर भी बजट में न्यूनतम कर को कम कर 15 प्रतिशत किया गया, जो निवेशकों के लिए उत्साहजनक है. राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में भी सरकार ने राहत देने की कोशिश करते हुए योगदान पर कर राहत को बढ़ा कर 10 से 14 प्रतिशत करने की बात कही है. यह निश्चित ही संतोषजनक प्रस्ताव है.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित डिजिटल करेंसी लाने का प्रस्ताव भी एक अच्छा कदम है. इसमें कागज, छपाई, रखरखाव, ढुलाई, पेमेंट गेटवे आदि पर होनेवाले खर्च में बचत होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट प्रस्ताव में वर्चुअल एसेट की भी बात की है, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी के साथ ही डिजिटल पेंटिंग, डिजिटल ग्राफिक्स और दूसरी डिजिटल चीजें भी आती हैं, जो वर्चुअल रूप में विद्यमान हैं.

ऐसे वर्चुअल व डिजिटल एसेट के लेन-देन पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रावधान किया गया है. ऐसे एसेट को अगर हस्तांतरित किया जाता है, तो उस पर एक प्रतिशत का टीडीएस लगेगा. कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा पारदर्शी जवाबदेही लाने की कोशिश बजट प्रस्तावों में दिखती है. सरकार ने व्यक्तिगत कराधान में भी राहत देने की बात की है. पहले क्या होता था कि यदि कोई अपनी आय भूल गया और उस व्यक्ति ने रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न नहीं दिया, तो उसे कंप्लायंस करना पड़ता था, पेनाल्टी भी देनी पड़ती थी.

अब आप भूल रहे हैं, तो कोई बात नहीं. नये प्रावधान के तहत आप अगले दो वर्ष तक रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न भर सकते हैं. तो पहले जो अधिकारी का डर था, वह दूर हो गया है. दरअसल, सरकार ने यह कदम उठा कर करदाता की ईमानदारी को सम्मान दिया है.

बजट में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां शुरू करने की बात कही गयी है, जो केवल डिजिटल बैंकिंग करेंगी. यह काम केवल शेड्यूल कॉमर्शियल बैंकों के जरिये ही होगा. इससे वित्तीय समावेशन होगा. हालांकि जन-धन खाते से इस दिशा में बहुत कुछ हुआ है, पर अब भी यह पूरी तरह नहीं हुआ है. आवास योजनाओं से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए भी 48 हजार करोड़ रुपये के प्रावधान की घोषणा की गयी है. मेरी दृष्टि से यह एक बहुत अच्छा बजट है, जो आगे जाकर विकास को गति देगा तथा देश को और सक्रिय बनायेगा.

डिजिटल प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल से जो काम हो रहे हैं, भविष्य में उनके बहुत अच्छे परिणाम होंगे- चाहे वह कृषि को लेकर हो या बैंकिंग को लेकर. फाइनेंशियल इक्विटी के नजरिये से काम हो रहा है, जो मेरे विचार में अच्छी चीज है. एक और महत्वपूर्ण बात, बीते वर्ष से रक्षा क्षेत्र में जो निर्यात बढ़ रहा है, उससे राजस्व बढ़ा है. इस क्षेत्र में भी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है. इससे हम आत्मनिर्भर बन रहे हैं.

कर को लेकर उम्मीद थी कि सरकार मध्य वर्ग को राहत देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पर जो लाभ पहले मिल रहे थे, उन्हें इस साल के लिए बढ़ा दिया गया है. महिलाओं के लिए भी नये प्रावधानों की अपेक्षा थी, पर इस मामले में भी पहले से चली आ रही योजनाओं को विस्तार दिया गया है. कुल मिला कर, आर्थिक नजरिये से अगर इस बजट को देखें, तो इसे एक अच्छा बजट कहा जा सकता है. इससे आर्थिक वृद्धि में मदद मिलेगी.

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