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प्रदूषण पर पहल

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देश के 132 शहरों के चुनाव का आधार यह है कि इनकी वायु गुणवत्ता का स्तर लगातार पांच वर्षों से राष्ट्रीय मानकों से नीचे रहा है.

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देश के कई शहरों में वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच चुका है. इसकी ठोस रोकथाम के लिए निर्धारित लक्ष्य को सरकार ने संशोधित किया है. प्रदूषण के लिए जिम्मेदार सबसे खतरनाक तत्वों- पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 को 2024 तक 2017 के स्तर से 20-30 फीसदी घटाने के लक्ष्य को बढ़ाकर अब 2025-26 तक इसे 30-50 फीसदी कम करने का फैसला किया गया है. इसके लिए 132 शहरों को लक्षित कर अगले साल से विशेष अभियान चलाया जायेगा.

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इन शहरों का चुनाव इस आधार पर किया गया है कि इनकी वायु गुणवत्ता का स्तर लगातार पांच वर्षों से राष्ट्रीय मानकों से नीचे रहा है. उल्लेखनीय है कि वायु प्रदूषण रोकने के लिए भारत सरकार 2019 से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम चला रही है. यह अभियान इसी कार्यक्रम के तहत संचालित होगा, जिसमें हर वायु क्षेत्र के भौगोलिक, जलवायु और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण की समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जायेगा.

आम तौर पर ऐसी पहलों में शहरों पर ध्यान केंद्रित किया जाता रहा है. लेकिन अब वायु क्षेत्र की रणनीति से शहर और आसपास की स्थिति का भी संज्ञान लिया जायेगा. इससे स्थायी और दूरगामी प्रभाव होंगे. चयनित 132 शहरों में से 86 शहरों में 2018 की अपेक्षा 2019 में वायु की गुणवत्ता बेहतर रही थी. साल 2020 तक ऐसे शहरों की संख्या 96 हो गयी. इस परिणाम के आधार पर यह आशा की जा सकती है कि आगामी वर्षों में सभी शहरों में सुधार होगा.

स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की उपलब्धता बढ़ाने और जागरूकता प्रसार की वजह से ऐसे परिणाम सामने आ रहे हैं. प्रदूषण से मुक्ति के प्रयास में सरकार और विभिन्न संस्थाओं के साथ नागरिकों को भी अग्रणी भूमिका निभानी होगी. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उचित ही कहा है कि इस अभियान को आंदोलन बनाने की आवश्यकता है. प्रदूषण की समस्या से छुटकारा पाना दीर्घकालिक प्रक्रिया है.

अभी तक ऐसा रहा है कि कारणों पर तभी ध्यान दिया जाता है, जब प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक हो जाता है. ऐसे में जो उपाय किये जाते हैं, उनके प्रभाव स्थायी नहीं होते और कुछ समय बाद समस्या पहले की स्थिति में आ जाती है या अधिक बढ़ जाती है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने 2019-20 और 2020-21 में 375.44 करोड़ का आवंटन किया था. वर्तमान वित्त वर्ष 2021-22 में 82 शहरों को अब तक 290 करोड़ दिये जा चुके हैं.

राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए 2021-26 की अवधि में 700 करोड़ के आवंटन का प्रावधान है. साथ ही, 15वें वित्त आयोग ने बड़े शहरी क्षेत्रों के लिए 44 सौ करोड़ रुपये का विशेष आवंटन किया है. वायु गुणवत्ता बेहतर करने के लिए 42 शहरों के लिए 2021-26 के लिए 12 हजार करोड़ से अधिक का अतिरिक्त आवंटन भी निर्धारित है. आशा है कि इन निवेशों का संतोषजनक परिणाम आगामी वर्षों में होगा.

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