16.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अब नहीं लौटेगा जेम्स बॉन्ड!

Advertisement

फिल्म ‘स्काईफाल’ के प्रीमियर से पहले डैनियल क्रेग से मेरी मुलाकात हुई थी. उनका आभामंडल है, मगर इससे उन्होंने कभी भी सामनेवाले को जरा भी असहज नहीं होने नहीं दिया.

Audio Book

ऑडियो सुनें

बॉन्ड, जेम्स बॉन्ड! इब्ने सफी और जेम्स हेडली चेईज के जासूसी उपन्यासों पर पलती-बढ़ती पीढ़ी जब वेद प्रकाश शर्मा या सुरेंद्र मोहन पाठक के दौर तक आयी भी नहीं थी, जेम्स बॉन्ड उनके रोमांच की रफ्तार बढ़ाने को उनके साथ मौजूद रहा. देश में मल्टीप्लेक्स का दौर आने से पहले भी मेट्रो और छोटे शहरों में जिन अंग्रेजी फिल्मों के लिए बेकरारी रहती थी, उनमें जेम्स बॉन्ड की फिल्मों का नंबर हमेशा सबसे पहले आया.

- Advertisement -

अब भले पिछले दो दशकों में मार्वेल सिनेमैटिक यूनीवर्स और स्टार वार्स सीरीज की फिल्मों ने जेम्स बॉन्ड पर बढ़त बना ली हो, पर पहले बॉन्ड फिल्मों की लोकप्रियता का अपना खास मकाम रहा है. बॉन्ड को सामयिक, प्रासंगिक और बदलती पीढ़ी की सोच के हिसाब से आकर्षक बनाने का काम किया डैनियल क्रेग ने. कभी-कभी लगता है कि डैनियल क्रेग पैदा ही हुए थे जेम्स बॉन्ड बनने के लिए. ‘कसीनो रोयाल’ में बॉन्ड के पैदा होने का जो साल 1968 बताया गया है और उसी साल डैनियल क्रेग का जन्म भी हुआ.

क्रेग ने जब बड़े परदे पर पीयर्स ब्रॉसनन के बाद बॉन्ड बनने का मौका पाया, तब तक उनके बारे में कम ही दर्शकों को पता था. उनकी किस्मत ने पलटा खाया स्टीवन स्पीलबर्ग की ‘म्यूनिख’ से. इस फिल्म में हीरो एरिक बाना थे, लेकिन लोगों की नजरें टिकी रहीं डैशिंग डैनियल क्रेग के किरदार स्टीव पर, मगर साल भर बाद जब क्रेग जेम्स बॉन्ड के चोले में पहली बार ‘कसीनो रोयाल’ में दिखे, तो लोगों को उनका चेहरा-मोहरा ज्यादा पसंद नहीं आया.

फिल्म हिट तो रही, लेकिन क्रेग को समझ आ गया कि बॉन्ड बनना आसान नहीं है. जेम्स बॉन्ड सीरीज की नयी फिल्म ‘नो टाइम टू डाइ’ सिर्फ एक किरदार का उत्कर्ष नहीं है, बल्कि उस कलाकार का एक किरदार के प्रति असीम समर्पण भी है, जिसे इसे निभाने की अपनी पहली कोशिश में काफी कुछ सुनना पड़ा था. बीते 15 बरसों में डैनियल क्रेग की कोशिशों तथा उनके हिसाब से फिल्में लिखते रहे लेखकों ने जेम्स बॉन्ड को एक नया रूप दे दिया है.

किसने सोचा होगा कि परदे पर कभी जेम्स बॉन्ड की संतान देखने का मौका भी आयेगा या दुनियाभर की हसीनाओं को चुटकियों में अपना बना लेनेवाला यह जासूसी किरदार सिर्फ एक महिला की मोहब्बत में गिरफ्तार होकर रह जायेगा. फिल्म ‘नो टाइम टू डाई’ में जेम्स बॉन्ड को यह भी लगने लगता है कि उसने प्यार में धोखा खाया है. यह इयान फ्लेमिंग का जेम्स बॉन्ड नहीं है. यह नयी सदी के नये लेखकों का रचा नया जेम्स बॉन्ड है.

जेम्स बॉन्ड को लिखनेवाले इयान फ्लेमिंग ने कैसे अपने नेवी के जासूसी के अनुभवों से उसे गढ़ा, कैसे जमैका में रहते हुए उन्होंने ये उपन्यास लिखे, ये सब बातें खूब लिखी-पढ़ी जा चुकी हैं. अपनी 25वीं फिल्म ‘नो टाइम टू डाइ’ में बॉन्ड भी जमैका में ही अज्ञातवास जीते दिखता है. क्रेग के चेहरे की मुस्कान और आंखों की चमक अब तक के सारे जेम्स बॉन्ड से निराली है. फिल्म ‘स्काईफाल’ के प्रीमियर से ठीक पहले लंदन के डॉरचेस्टर होटल में जब मेरी उनसे मुलाकात हुई थी, तो सबसे पहली बात मैंने यही नोटिस की थी.

उनका अपना एक आभामंडल है, पर इससे उन्होंने कभी भी सामनेवाले को असहज नहीं होने नहीं दिया. क्रेग की इसी सहजता को नयी सदी के लेखकों ने जेम्स बॉन्ड की शख्सियत में घोल दिया है. उनसे पहले शॉन कॉनरी और रोजर मूर भी अपनी अपनी शख्सियत के चलते ही जेम्स बॉन्ड के तौर पर मशहूर रहे. मैं बॉन्ड के रूप में अब तक पियर्स ब्रॉसनन को ही सबसे ज्यादा पसंद करता रहा, लेकिन फिल्म ‘नो टाइम टू डाइ’ ने इसे भी बदल दिया.

‘नो टाइम टू डाइ’ बड़े इंतजार के बाद आयी है. सीरीज की पिछली फिल्म ‘स्पेक्टर’ के छह साल बाद. इस अंतराल में शॉन कॉनरी नहीं रहे और रोजर मूर ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया. फिल्म दो घंटे और 43 मिनट लंबी है, जो अब तक की सबसे लंबी बॉन्ड फिल्म है. इसका एक आकर्षण यह भी है कि आईमैक्स कैमरों से भी शूट होनेवाली भी पहली बॉन्ड फिल्म है. कैरी जोजी फुकुनागा ने ‘नो टाइम टू डाइ’ में सिर्फ डैनियल क्रेग का ही नहीं, बल्कि जेम्स बॉन्ड का भी अलविदा गान लिखा है.

इस फिल्म को देखने के बाद कहा जा सकता है कि इस किरदार को इस ऊंचाई तक लाने का काम भी शायद डैनियल क्रेग ही कर सकते थे. इस फिल्म की पटकथा में न सात बॉन्ड फिल्में कर चुके रोजर मूर फिट हो सकते हैं और न ही पांच बॉन्ड फिल्में करने वाले शॉन कॉनरी. पियर्स ब्रॉसनन ने इस सीरीज की चार फिल्में की हैं, लेकिन क्रेग न सिर्फ पांच बॉन्ड फिल्में करके संख्या में उनके सीनियर बन चुके हैं, बल्कि ‘नो टाइम टू डाइ’ में अपने अभिनय के आवेग व संवेग से जो लकीर उन्होंने खींची है,

007 का चोला पहननेवाला कोई भी दूसरा कलाकार आसानी से आगे नहीं जा सकेगा. दिखावे की मोहब्बत करने में माहिर एक किरदार मोहब्बत के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी भी दे सकता है, 1962 में रिलीज हुई जेम्स बॉन्ड की पहली फिल्म ‘डॉ नो’ रचे जाते वक्त किसने सोचा होगा!

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें