25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

राष्ट्र नहीं, शासन तंत्र होते हैं विफल

Advertisement

राज्य वह है, जिसकी स्पष्ट और स्वीकार्य सीमा है, जबकि राष्ट्र सीमाओं से परे भी हो सकता है. आधुनिक भारत साझा सपनों और आकांक्षाओं का एक राज्य है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

राष्ट्र वास्तव में कभी असफल नहीं होते, भले उन पर दखल कर लिया जाता है, उनका विलय हो जाता है, वे पीछे चले जाते हैं या कभी-कभी गायब भी हो जाते हैं. राज्य यानी शासन तंत्र ही विफल होते हैं. इस मामले में भ्रम इसलिए रहता है कि हम राज्य और राष्ट्र का प्रयोग पर्याय के रूप में करते हैं, जो ठीक नहीं है राज्य एक संगठित राजनीतिक समुदाय है,

- Advertisement -

जो एक सरकार के तहत क्रियाशील रहता है, अंतरराष्ट्रीय कानून में उसे एक संप्रभु राजनीतिक इकाई के रूप में मान्यता होती है तथा एक समाज है, जिसका एक क्षेत्र पर विशिष्ट वर्चस्व होता है. राज्य अधिकतर संदर्भों में सरकार का लगभग समानार्थी होता है, जिसका शासन लोगों के एक समूह या क्षेत्र पर होता है. एक राष्ट्र राज्य ऐसा राज्य है, जो एक राष्ट्र के साथ आबद्ध होता है.

राष्ट्र एक जटिल विचार है, जिसकी अनेक परिभाषाएं हैं. इसके दो विश्लेषण हैं. कुछ के लिए राष्ट्र एक साझे सांस्कृतिक अनुभव को इंगित करता है, जैसे- इस्लाम, साम्यवाद या एक समय ईसाईयत भी, यानी एक संगठन, जो वास्तविक सीमाएं नहीं होने के बावजूद साझा विश्वासों के कारण साझा लगाव को रेखांकित करता है. कई राज्यों में फैले होने के बावजूद कुर्द एक राष्ट्र हैं.

सरल भाषा में कहें, तो राज्य वह है, जिसकी स्पष्ट और स्वीकार्य सीमा है, जबकि राष्ट्र सीमाओं से परे भी हो सकता है. आधुनिक भारत साझा सपनों और आकांक्षाओं का एक राज्य है. कभी-कभी राष्ट्रीयता साझे या समान मातृभूमि पर भी आधारित होती है. भारतीयों के पास विविधताओं को जोड़े हुए एक राज्य है, जबकि यूरोप अभी भी इसके लिए प्रयासरत है. इतिहास विफल राज्यों के उदाहरणों से भरा हुआ है. सोवियत संघ संभवत: सबसे बड़ा और शक्तिशाली राज्य था, जो असफल हुआ. लेकिन रूसी राष्ट्र अग्रसर होता रहा.

इतिहास मुख्य रूप से बड़े और कम बड़े राष्ट्रों के उदय और पतन का ब्यौरा है क्योंकि एक दौर में हमारे पास आम तौर पर राष्ट्र होते थे, जिनकी सीमाएं बदलती रहती थीं. करीब हजार साल पहले यूरोप का सबसे बड़ा राष्ट्र लिथुआनिया था. उसका शासन आज के यूक्रेन, पोलैंड, जर्मनी, रूस और स्वीडन के बड़े हिस्से पर था. आज वह छोटा बाल्टिक राष्ट्र राज्य भर है. जब यूरोप पर स्वीडन का वर्चस्व था, तब रूस का अस्तित्व न के बराबर था.

स्वीडिश और जर्मन राज्यों के विनाश से एलेक्जेंडर नेवस्की का उदय हुआ और रूस का उद्भव हुआ, जो आज भी महान राष्ट्र है. मौर्य, गुप्त या मुगल साम्राज्यों के पतन के बाद भी भारत एक राष्ट्र बना रहा. यह अब भी एक एक राष्ट्र राज्य है, जो मूल्यों और आकांक्षाओं तथा इतिहास की साझी समझ के आधार पर एकबद्ध है. इसी समझ से एक भारतीय अशोक के अभिलेखों व ताजमहल को समान गौरव बोध से देख पाता है.

इतिहास के प्रारंभ से केवल दो ही सभ्यतागत राष्ट्र राज्य- चीन और भारत- आज भी अस्तित्व में हैं. अर्थशास्त्री एंगस मैडिसन के अनुसार, शून्य से वर्ष 1700 तक चीन और भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं थीं. वैश्विक सकल उत्पादन में प्रत्येक की भागीदारी 20-25 प्रतिशत थी. अगले 250 वर्षों के पतन के दौर के बाद 1950 में यह आंकड़ा केवल पांच प्रतिशत रह गया, पर ये देश फिर बढ़त पर हैं. तो क्या पतन के दौर में ये राष्ट्र विफल हो गये थे?

यह निर्विवाद है कि दोनों देशों में केंद्रीय सत्ता कमजोर हो गयी और विदेशियों के हाथ चली गयी. डैरन एसमोग्लू और जेम्स रॉबिनसन ने राष्ट्रों की लगातार विफलता का गंभीर विश्लेषण किया है. पुस्तक के शुरू में ही उन्होंने अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर स्थित नोगालेस शहर का उल्लेख किया है, जिसे बाड़ों से विभाजित किया गया है. अमेरिकी हिस्से में विकास है, जबकि मेक्सिको वाले हिस्से में पिछड़ापन. इसका कारण प्रारंभिक औपनिवेशिक दौर में दोनों समाजों के निर्माण में देखा जा सकता है.

एक तंत्र में यूरोप के औपनिवेशिक मालिकों के लिए जमीन का दोहन था, तो दूसरे में औपनिवेशिक आबादी की बस्तियों का विकास हुआ. मतलब अमेरिका ने 1783 में अपने को आजाद नहीं किया होता, तो उसके विकास की कहानी अलग होती.

वह किताब हमें बताती है कि किसी देश के धनी या गरीब होने में आर्थिक संस्थाएं बेहद अहम हैं, पर यह राजनीति और राजनीतिक संस्थान ही तय करते हैं कि आर्थिक संस्थाएं कैसी होंगी. कुछ राज्यों की संरचना ‘अतिसक्रिय राजनीतिक संस्थानों ‘ के इर्द-गिर्द होती है, जहां संस्थान एक छोटे आभिजात्य वर्ग की आकांक्षाओं को संतुष्ट करने में लगे रहते हैं. उपनिवेशवाद स्पष्ट रूप से ऐसा ही तंत्र था. लेकिन क्या भारत में अभी भी ऐसा तंत्र सक्रिय है? कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि आंकड़े ऐसा ही इंगित करते हैं. इस दृष्टि से देखें, तो हम परिवार या वंश के वर्चस्व वाली पार्टियों और उच्च वर्गों का विस्तार तथा परिवार के स्वामित्व के कारोबारों की बढ़ती ताकत को समझ सकते हैं.

उन देशों की अतिसक्रिय राजनीतिक प्रणालियां हैं, जो समावेशी राजनीतिक और परिणामतः आर्थिक संस्थाओं पर आधारित हैं. इसे इंग्लैंड के औद्योगिक क्रांति के केंद्र बनने की प्रक्रिया से समझा जा सकता है. उसके पहले 1688 की क्रांति में सम्राट जेम्स द्वितीय को हटाया गया था, जिसके बाद वहां आधुनिक संसदीय लोकतंत्र की शुरुआत हुई. ब्रिटेन के इतिहास में 1689 के अधिकार विधेयक को अहम दस्तावेज माना जाता है, जिसके बाद कभी भी राजशाही ने पूरी राजनीतिक सत्ता अपने हाथ में नहीं ली. इससे बहुलतावादी राजनीतिक संस्थाओं का विकास हुआ, जिससे शिक्षा के नये द्वार खुले और बहुत समय से एक छोटे वर्ग के एकाधिकार में दबी प्रतिभा शक्ति को उभरने का मौका मिला.

ऐसे ऐतिहासिक मोड़ दीर्घकालिक परिणामों की ओर ले जाते हैं. दूसरा ऐसा उदाहरण माओ त्से तुंग की मौत और देंग शियाओपिंग का आना हो सकता है, जो एक ऐसी विशेष व्यवस्था में रखे गये थे, जहां चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में रखा जाता था. शायद एक दिन इतिहास पीवी नरसिम्हा राव के प्रति अधिक उदार होगा, जिन्होंने एक सामान्य प्रशासनिक आदेश से केंद्रीकृत योजनाबद्ध राज्य तथा उसके केंद्र में बसे औद्योगिक नियंत्रण के खात्मे की शुरुआत की.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें