27.1 C
Ranchi
Monday, February 3, 2025 | 03:37 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

जी-20 में भारत का रुख स्पष्ट

Advertisement

भारत का पक्ष है कि विकसित देशों ने पर्यावरण को अपेक्षाकृत अधिक नुकसान पहुंचाया है, अगर इसमें बदलाव चाहते हैं, तो विकसित देशों को सहयोग करना ही होगा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के मामले में कुछ प्रगति नहीं हो पा रही है. ऐसे में जी-20 एक ऐसा वैकल्पिक मंच बन गया है, जहां सभी महत्वपूर्ण देश, जिसमें विकसित और विकासशील दोनों शामिल हैं, अहम मुद्दों पर वार्ता करते हैं. यहां आर्थिक मुद्दे सबसे महत्वपूर्ण तो हैं ही, जलवायु परिवर्तन जैसे मसलों पर भी चर्चा होती है. ग्लासगो में कॉन्फ्रेंस भी शुरू हो गयी है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी समेत अनेक देशों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं.

- Advertisement -

जी-20 की चर्चा में राजनीतिक, क्षेत्रीय, सामरिक मुद्दे भी प्रमुखता से शामिल होते हैं. इस दौरान अनेक देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता का भी अ‌वसर मिल जाता है. कोविड के बाद पहली बार बड़े स्तर पर बैठक आयोजित हो रही है और तमाम देशों के नेता वहां पहुंचे हुए हैं. हालांकि, कुछ देशों के प्रमुख बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. रूस के राष्ट्रपति पुतिन नहीं पहुंचे, उनकी वर्चुअल माध्यम से मौजूदगी रही.

अभी वैक्सीन उत्पादन की स्थिति बेहतर हो गयी है. शुरू में हम सक्रियता से वैक्सीन डिप्लोमेसी में आगे बढ़ रहे थे, लेकिन कोविड की दूसरी लहर के कारण इसे रोकना पड़ा. हमें अपनी प्राथमिकता में बदलाव करना पड़ा. हालांकि, देश में अब टीकाकरण बेहतर स्थिति में है और संक्रमण के मामलों में काफी गिरावट आ चुकी है. रोजाना के आंकड़े गिरकर 13 से 14 हजार के आसपास आ गये हैं. शुरू में लगा कि काफी मुश्किल आनेवाली है, क्योंकि उस वक्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी.

विकासशील देशों के लिए यह चुनौती अधिक गंभीर रही. अमेरिका, कनाडा जैसे विकसित देशों ने जरूरत से कई गुना अधिक वैक्सीन इकट्ठा कर ली थी. भारत ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वैक्सीन उत्पादन तो हो ही रहा था. आज भारत में 100 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है. क्वाड की बैठक में भी कहा गया था कि साल के अंत तक दो बिलियन खुराकें विकासशील देशों को मुहैया करायी जायेंगी. इससे अफ्रीका और एशिया के कई देशों को फायदा मिलेगा. प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि अगले साल के अंत तक पांच बिलियन खुराकें दी जायेंगी, वह महत्वपूर्ण बात है.

हालांकि, भारत की अपनी कोवैक्सीन को अभी तक डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिली है. ऐसा लगता है कि प्रतिस्पर्धी कंपनियां वाणिज्यिक हितों के कारण इसे किसी तरह रोकने में लगी हुई हैं. हालांकि, इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए डब्ल्यूएचओ से इसे जल्द मंजूरी मिल सकती है. प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को जी-20 की बैठक में सक्रियता से उठाने की बात कही थी.

दूसरी अहम बात आपूर्ति शृंखला की है. क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखला में चीन की काफी दखल हो चुकी है. वहीं भारत की अपनी घरेलू प्राथमिकताएं और चिंताएं रही हैं. मार्केट साझा करने पर बाहर हमारी कंपनियों के लिए अनुकूल हालात नहीं होंगे, तो उससे कंपनियां कह सकती हैं कि हमें क्या फायदा हुआ. हालांकि, जब आरसीइपी का मामला चल रहा था, तो उस समय ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे मित्र देशों ने बोला था कि आप इससे जुड़िए अन्यथा चीन इसमें बहुत आगे निकल जायेगा, लेकिन हमारे यहां कुछ ऐसे हालात थे, जिससे तत्काल राजनीतिक स्तर पर फैसला नहीं हो पाया.

हमारे पास यह तर्क था कि हमें एक्सेस नहीं मिलेगा और मार्केट छिन जायेगा. हमें आत्मनिर्भरता के लिए अपनी प्राथमिकता दिखानी पड़ी. उसकी बड़ी वजह थी कि हमारी कंपनियां आपूर्ति शृंखला और बाजार प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए तैयार नहीं थीं. ये दिक्कतें अमेरिका में भी हैं. ट्रंप के कार्यकाल के दौरान इस तरह के फैसले लिये गये थे. ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के बारे में वे दोबारा विचार कर रहे हैं. अब चीन ने भी उसमें जुड़ने की इच्छा जतायी है और अन्य देश भी इसमें शामिल हो रहे हैं.

दोबारा शामिल होने के लिए अमेरिका पर भी दबाव बन रहा है. हालांकि, वहां रिपब्लिकन पार्टी का रुख अवरोधक रहा है. उनका मानना है कि इससे चीन और अन्य देशों को उनके बाजार की पहुंच उपलब्ध हो जायेगी और अमेरिकी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. मार्केट एक्सेस देने से पहले वे श्रम मानक, पर्यावरण, बाल श्रम और तरह-तरह की शर्तों को शामिल करना चाहते हैं. भारत के मामले में हालात अलग हैं.

भारतीय कंपनियां केवल घरेलू मार्केट तक सक्रिय रही हैं. बाहर के बाजार में जाना आसान नहीं होता है. मुक्त व्यापार समझौता करके हम मार्केट तक पहुंच सकते हैं, लेकिन वहां बाजार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन होता है. अमेरिका में भी यही दिक्कत आ रही है, क्योंकि विनिर्माण लागत उनकी भी बहुत अधिक है और हमारे यहां भी. सुधार के लिए जरूरी है कि आपूर्ति शृंखला में साझेदारी बनायी जाए. इसमें हमारी सरकार की रुचि तो है, लेकिन घरेलू परिस्थितियों के मद्देनजर ही सरकार को इस मामले में अपना फैसला लेना है.

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से अमेरिका पीछे हट गया था. भारत और कुछ अन्य देशों ने इसमें प्रतिबद्धता दिखायी थी. भारत ने फ्रांस के साथ मिल कर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की. इसमें अब सौ से ज्यादा देश शामिल हो चुके हैं. हाल ही में डेनमार्क के साथ ग्रीन स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप पर सहमति बनी है. इस तरह अन्य देशों के साथ भी हम इस मुहिम को आगे बढ़ाना चाहते हैं. सौर ऊर्जा के मामले में अब हम दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो चुके हैं. हमने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है.

ऐसे में उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने में काफी मदद मिलेगी. नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों पर फोकस किया जा रहा है. हालांकि, अभी जैव ईंधन पर हमारी काफी निर्भरता है. लेकिन, नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में हमने सराहनीय प्रगति की है. कोविड की वजह से मैनुफैक्चरिंग और बाजार को काफी नुकसान हुआ है.

इस वजह से बदलाव में स्वाभाविक तौर पर समय अधिक लगेगा. अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ कोयला आधारित अर्थव्यवस्था से नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव को भी स्वीकार करना है. भारत का पक्ष है कि विकसित देशों ने पर्यावरण को अपेक्षाकृत अधिक नुकसान पहुंचाया है, अगर इसमें बदलाव चाहते हैं, तो विकसित देशों को सहयोग करना होगा. भारत इस मसले में विशेष रुचि रखता है और गंभीरता से प्रयासरत है, लिहाजा वह बाकी विकासशील देशों का मकसद वहां रख सकता है.(बातचीत पर आधारित).

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें