15.1 C
Ranchi
Friday, February 14, 2025 | 04:53 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता

Advertisement

हमें समय रहते बीमारी का पता चल जाये, इसके लिए शिक्षित होना जरूरी है. पढ़ी-लिखी महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर नजर रख सकती हैं और थोड़ी सी भी शंका होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखा सकती हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

वर्ल्ड हेल्थ स्टेटिस्टिक्स की बीते महीने जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय लागों की जीवन प्रत्याशा 70.8 वर्ष और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा 60.3 वर्ष है. आंकड़े बताते हैं कि भारतीय महिलाओं की जीवन प्रत्याशा पुरुषों की तुलना में औसतन 2.7 वर्ष और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा 0.1 वर्ष ही अधिक है. जैविक रूप से भी देखें, तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं के ज्यादा जीवन जीने की संभावना रहती है.

यहां जैविक रूप से महिलाओं को थोड़ी बढ़त मिली हुई है. हालांकि, अन्य देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं की जीवन प्रत्याशा कम है. अमेरिकी महिलाओं की बात करें, तो पुरुषों की तुलना में उनकी जीवन प्रत्याशा 4.4 वर्ष और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष ही अधिक है. जबकि स्विटजरलैंड, नॉर्वे, फ्रांस, स्वीडन जैसे देशों में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा काफी अधिक है. इन देशों में जीवन प्रत्याशा और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा के बीच मामूली अंतर है.

यहां प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर अन्य देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं की जीवन प्रत्याशा कम क्यों है? तो इसका कारण हमारी सामाजिक व्यवस्था है. इसमें पितृसत्ता सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. पुरुष प्रधान समाज होने के कारण हमारे यहां लड़कियां, महिलाएं हर क्षेत्र में पिछड़ जाती हैं. हम जानते हैं कि यदि पढ़ाई सही तरीके से नहीं होगी, तो उसका असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा. अपने स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करनी है, स्वस्थ बने रहने के लिए क्या करना, क्या नहीं करना है, इसकी जानकारी महिलाओं को कम हो पायेगी.

दूसरा कारण है महिलाओं का आर्थिक पिछड़ापन, रोजगार में उनकी श्रमबल भागीदारी दर का कम होना. श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी दर में हम दुनिया में निचले पायदान पर हैं. इसका अर्थ हुआ कि आज भी अधिकांश भारतीय महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हैं. जब महिलाएं काम नहीं करेंगी, तो उनके पास खुद का पैसा नहीं होगा. ऐसी हालत में उन्हें पैसों के लिए घर के दूसरे सदस्यों पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

आर्थिक आत्मनिर्भरता नहीं होने के कारण भी महिलाओं का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. यदि उन्हें डॉक्टर के पास जाना है, तो सबसे पहले वे पैसों के बारे में सोचेंगी कि वह कहां से आयेगा? क्योंकि डॉक्टर व दवाइयों के पैसों के लिए भी उन्हें घर के अन्य सदस्यों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में वे डॉक्टर के पास जाने से हिचकिचायेंगी.

तीसरा कारण है कि हमारे यहां आज भी किसी काम को करने से पहले महिलाओं को घर के सदस्यों से अनुमति लेनी पड़ती है. डॉक्टर के पास भी वे अकेले नहीं जा पाती हैं. उन्हें किसी का साथ चाहिए होता है. कई घरों में महिलाओं के अकेले आने-जाने पर भी रोक है. वहीं कई महिलाएं आत्मविश्वास की कमी के कारण अकेले बाहर निकलने से हिचकती हैं. आवागमन के साधनों व सुविधाओं की कमी, सुरक्षा को लेकर डर समेत अनेक ऐसे कारण हैं, जिनसे महिलाएं अकेले बाहर जाने से कतराती हैं.

इन सबके चलते ही अन्य देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं की जीवन प्रत्याशा की दर कम है. एक बात और, भारतीय महिलाओं को जीवन प्रत्याशा की जो भी बढ़त मिली हुई है, उसके मुकाबले स्वस्थ जीवन प्रत्याशा और भी कम है. यानी, उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती है, उन्हें कई तरह की बीमारियां जकड़ लेती हैं. स्वस्थ जीवन प्रत्याशा में कमी के लिए भी उपरोक्त वर्णित कारण ही जिम्मेदार हैं.

स्वस्थ जीवन जीने के लिए अच्छा पोषण व अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत होती है. हमारे यहां बहुत से ऐसे परिवार हैं जहां महिलाएं अंत में खाती हैं. सब्जी-दाल न बचने की स्थिति में कई बार उन्हें रूखी रोटी ही खानी पड़ती है. इन तरह से उनके पोषण में कमी आती है. जब पोषण सही नहीं मिलेगा, तो स्वास्थ्य का प्रभावित होना तय है. हालांकि सभी घरों में ऐसा नहीं होता, लेकिन जिन घरों में होता है, वहां पोषण की कमी देखने में आती है.

एक और महत्वपूर्ण बात, यदि आप बीमार हो रही हैं और समय पर डॉक्टर के पास नहीं जा रहीं, तो वह छोटी सी बीमारी, जो शायद पहले ही ठीक हो जाती, उसके बारे में बहुत देर से पता चलता है. इस कारण कई और बीमारियां जकड़ लेती हैं. जैसे, कैंसर का पता पहले चरण में चल जाने पर उसका उपचार संभव है. लेकिन यदि समय रहते उसके संकेतों पर ध्यान न दिया जाये और वह तीसरे चरण में पहुंच जाये, तो आपके जीवित बचने की संभावना बहुत कम हो जाती है.

ऐसे में आप स्वस्थ जीवन कहां से जी पायेंगी. हमें समय रहते बीमारी का पता चल जाये, इसके लिए शिक्षित होना जरूरी है. पढ़ी-लिखी महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर नजर रख सकती हैं और थोड़ी सी भी शंका होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखा सकती हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच मुश्किल होने के कारण भी महिलाओं के जीवन का बहुत सा समय बीमारी में गुजरता है, उन्हें बहुत पीड़ा झेलनी पड़ती है.

हमारे समाज में आज भी अनेक घरों में महिलाओं के स्वास्थ्य को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है. इन सब वजहों से महिलाओं की जीवन प्रत्याशा और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा दोनों पर ही प्रभाव पड़ रहा है. यदि उपरोक्त कारणों को दूर कर दिया जाये, तो महिलाओं की जीवन प्रत्याशा और बेहतर की जा सकती है. साथ ही, उनकी जीवन प्रत्याशा और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा के बीच के अंतर को भी कम किया जा सकता है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें