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कोरोना को लेकर सतर्कता अब भी जरूरी

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हमारे देश में अभी 22 ऐसे जिले हैं, जहां केरोना संक्रमण में बढ़ोतरी होती गयी है. इनमें सात जिले केरल में हैं और शेष पूर्वोत्तर राज्यों में.

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महामारी की दूसरी लहर जब चरम पर थी, तब मई में रोजाना संक्रमण के लगभग चार लाख मामले आ रहे थे और औसतन चार हजार लोगों की हर दिन मृत्यु हो रही थी. ऐसा भी लग रहा था कि जितनी तेजी से मामले बढ़े हैं, उतनी ही तेजी से उनमें गिरावट आ रही है. जून के अंत तक संक्रमण में बड़ी कमी आयी थी, लेकिन जुलाई में हमने देखा कि मामले चालीस हजार के आसपास के आंकड़े के पास आकर ठहर गये. हमारे देश में अभी 22 ऐसे जिले हैं, जहां संक्रमण में बढ़ोतरी होती गयी है.

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इनमें सात जिले केरल में हैं और शेष पूर्वोत्तर राज्यों में. एक संतोषजनक बात यह रही है कि देश में जांच की रफ्तार भी बनी रही. अभी जांच का रोजाना आंकड़ा 15 से 16 लाख का है. अधिक जांच का फायदा यह है कि अगर कहीं संक्रमण में तेजी आ रही हो, तो उसका जल्दी पता चल जाता है. अभी देश के 54 जिलों में संक्रमण की दर 10 प्रतिशत से अधिक है. इस दर का मतलब है कि अगर 10 लोगों की जांच होगी, तो एक व्यक्ति संक्रमित मिलेगा. इनमें से 10 जिले केरल में ही हैं. शेष में से अधिकतर पूर्वोत्तर भारत में हैं.

संक्रमण दर बढ़ने का कोई विशेष कारण नहीं था, इसलिए इसका मतलब है कि नियंत्रण के उपायों में ढील से संक्रमण में बढ़ोतरी आयी है. अगर कोरोना संबंधी उपायों पर कड़ाई से अमल होता, तो शायद ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती. आंकड़ों से दूसरी बात यह स्पष्ट होती है कि अधिक दर वाले क्षेत्रों में एक संक्रमित व्यक्ति एक से अधिक लोगों को संक्रमित कर रहा है. इसलिए प्रभावित क्षेत्रों में नियंत्रण पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए तथा टीकाकरण अभियान की गति बढ़ायी जानी चाहिए.

यदि टीकों की उपलब्धता में अधिक मुश्किल है, तो कम-से-कम एक खुराक मुहैया कराने की कोशिश होनी चाहिए. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सीरो सर्वेक्षण से भी हमें स्थिति की जानकारी होती है. इस सर्वे के मुताबिक, हमारी दो-तिहाई आबादी कोविड वायरस के संपर्क में आयी और उसमें एंटी बॉडी बनी. छह साल से अधिक बच्चों-किशोरों की आबादी के 62 फीसदी हिस्से में भी एंटी बॉडी मिली है.

टीका लगाने से भी बहुत लोगों में एंटी बॉडी बनी है, लेकिन इससे यह निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए कि आबादी का यह हिस्सा संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित है. एंटी बॉडी कितना कारगर है, यह पता लगाने के लिए अलग से विशेष जांच करानी होती है. इससे केवल यह ज्ञात होता है कि आप वायरस के संपर्क में आये थे.

अभी जिन क्षेत्रों में संक्रमण फैल रहा है, वहां सीरो प्रिविलेंस कम था. केरल में यह दर करीब 44 फीसदी ही है. असम में भी यह दर 50 फीसदी के आसपास थी. ऐसा होने के दो कारण हैं- एक, उन क्षेत्रों में टीकाकरण कम हुआ और दूसरा, वहां संक्रमण कम हुआ. ऐसे क्षेत्रों में तीसरी लहर के आने की आशंका अधिक होती है. केरल की स्थिति को अगर सीरो प्रिविलेंस की दृष्टि से देखें, तो कम टीकाकरण के अलावा यह कारण हो सकता है कि वहां संक्रमण रोकने के उपायों- भीड़-भाड़ न करना, बंद इलाके में नहीं जाने देना, दूरी बरतना आदि- पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया.

लोगों ने भी सरकारी निर्देशों का ठीक से पालन किया है. यह अच्छा माना जाना चाहिए कि केरल में उपायों का ठीक से पालन सुनिश्चित हुआ, लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि अब मामले बढ़ रहे हैं, पर इसे राज्य की असफलता या कमी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. यह एक स्वाभाविक स्थिति है कि यदि आप संक्रमण रोकने की कोशिश करेंगे, तो लोग वायरस के संपर्क में कम आयेंगे और उनमें एंटी बॉडी नहीं बनेगी. और, अगर आप उपाय नहीं करेंगे, तो लोग अधिक संख्या में संक्रमित और बीमार होंगे. वहां अधिक जांच हो रही है और संक्रमण दर भी अधिक है, तो इसका मतलब यह है कि वायरस का फैलाव जारी है.

जिन क्षेत्रों में कोरोना मामलों की संख्या अभी बहुत कम या न के बराबर है, वहां लोगों को यह नहीं समझना चाहिए कि महामारी का खतरा पूरी तरह टल गया है. उन जगहों पर भी ऐसे लोगों की संख्या बहुत अधिक है, जिनमें संक्रमण नहीं होने या टीके नहीं लेने के कारण एंटी बॉडी नहीं बनी है. ऐसे में वे सभी उपाय अपनाना जारी रखना होगा, जिन पर हम बीते डेढ़ साल से अमल कर रहे हैं. मास्क लगाने, दो गज दूरी बरतने, सार्वजनिक जगहों पर भीड़ न जुटाने, सामाजिक आयोजनों को खुली जगहों पर करने जैसे एहतियात बरतने से कम-से-कम यह तो जरूर होगा कि संक्रमण फैलने की स्थिति में बहुत कम लोग महामारी की चपेट में आयेंगे और बीमार पड़ेंगे.

इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जिस भी व्यक्ति को टीके की खुराक मिल रही है, वह टीका लगवाये. उम्मीद है कि बहुत जल्दी टीकों की उपलब्धता भी बढ़ेगी. तीसरी लहर की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है. हमें अभी यह देखना है कि जहां संक्रमण बढ़ रहा है, उसे कैसे नियंत्रित किया जाए और अन्य जगहों पर वायरस के किसी भी आक्रामक प्रसार को कैसे रोका जाए. यह भी ध्यान देने की बात है कि दुनिया के अनेक देशों में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है.

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