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अनलॉक की प्रभावी रणनीति जरूरी

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हम उम्मीद करें कि जनता के सहयोग व जागरूकता से देश अपनी इच्छाशक्ति और सार्वजनिक स्वास्थ्य के जरिये कोरोना को मात देता हुआ दिखाई देगा.

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अनेक शोधों व अध्ययनों में कहा गया है कि अनलॉक की हड़बड़ी और कठोर नियंत्रण की कमी फिर से भारी पड़ सकती है. जर्मनी, ब्रिटेन, इटली समेत कई देश इस बात की नजीर हैं कि संक्रमण के पूर्ण काबू में आने से पहले प्रतिबंध हटाना घातक साबित हुआ है. गौरतलब है कि देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना की दूसरी घातक लहर के बीच संक्रमण को रोकने के लिए अप्रैल और मई में स्थानीय स्तर पर उपयुक्तता के अनुरूप लॉकडाउन लगाने पड़े थे.

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अब विभिन्न क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोला जाना सुनिश्चित किया जा रहा है. ऐसे में अब अनलॉक करने की प्रक्रिया बड़ी सावधानी से आगे बढ़ायी जानी होगी. चूंकि अभी कोरोना का खतरा बना हुआ है, अतएव अनलॉक की ऐसी रणनीति जरूरी है, जिससे महामारी को निर्णायक मात दी जा सके.

दुनिया में लॉकडाउन के बाद अनलॉक की प्रक्रिया के तहत वैज्ञानिकों और आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा आदर्श माने जा रहे अमेरिकी राज्य न्यू हैम्पशायर सहित विभिन्न देशों ने जो रणनीतियां अपनायी हैं, उन्हें अपने देश के विभिन्न राज्यों में अनलॉक करते समय स्थानीय जरूरतों के साथ ध्यान में रखना लाभप्रद हो सकता है.

अब अनलॉक की प्रक्रिया में उद्योग-कारोबार और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए रणनीतिपूर्वक बाजार खोलने होंगे. उद्योग-कारोबार को अनलॉक करने के पहले चरण में जहां एक ओर बंद पड़े कारखानों और निर्माण गतिविधियों को चालू करने की छूट देनी होगी, वहीं आगामी दो माह तक दुकानें और कारोबार को छह से आठ घंटे के लिए खोलना उपयुक्त होगा. शनिवार और रविवार को पूर्णतया जनता कर्फ्यू रहे.

होटल और रेस्टोरेंट को सिर्फ अग्रिम बुकिंग पर खुली जगह में सीमित संख्या में ग्राहकों को खाना परोसने की इजाजत मिले. अभी जिम, सिनेमा और पर्यटन जैसे कारोबारों को अनलॉक नहीं किया जाए. उद्यमियों और कारोबारियों को यह ध्यान रखना होगा कि शहर खुलते ही बाजारों में भीड़ बढ़ेगी, अतएव दुकानों पर आनेवाले ग्राहकों के लिए मास्क पहनने के साथ-साथ दो गज की दूरी रखने की अनिवार्यता हो. दुकानदार के लिए मास्क पहनने के साथ वैक्सीन का प्रमाणपत्र अनिवार्य हो.

उद्योग-कारोबार संगठनों को कर्मचारियों को टीका लगवाने के लिए विशेष प्रबंध सुनिश्चित करने होंगे. श्रमिकों को रोजगार के साथ टीकाकरण की सुविधा देनी होगी. एक बार फिर कोरोना नियंत्रण के लिए सैंपलिंग पर जोर देना होगा. पांच फीसदी से कम संक्रमण दर वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, महामारी तभी नियंत्रित मानी जायेगी, जब दो सप्ताह से ज्यादा वक्त तक संक्रमण दर पांच फीसदी से कम रहे.

माइक्रो कंटेनमेंट की रणनीति अपनाकर लोगों को किसी नये लॉकडाउन से बचाया जा सकता है. वार्ड मैनेजमेंट के जरिये हर संक्रमित की निगरानी रखनी होगी. स्कूलों-कॉलेजों में शिक्षकों व स्टाफ को वैक्सीन लगाया जाना सुनिश्चित होना चाहिए ताकि स्कूल-कॉलेज खोलने की तैयारी शुरू हो सके. इन्हें दो माह बाद शुरू किया जाए और शुरुआत में छात्रों को 50 फीसदी क्षमता के आधार पर बुलाया जाए.

चूंकि अब भी लोग टीकाकरण से हिचक रहे हैं, अतएव सरकार के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बन गयी है कि वे वैक्सीन के लिए लोगों को प्रेरित करें और इस अभियान में हरसंभव मदद करें. कमजोर समूहों का हरसंभव टीकाकरण हो तथा प्रतिबंधों व लॉकडाउन में ढील देते समय यह महत्वपूर्ण आधार रहे. सबसे कमजोर आबादी समूह में तेज टीकाकरण की जरूरत है.

संक्रमण खत्म करने से आशय शत-प्रतिशत लोगों के टीकाकरण से नहीं है, बल्कि एक लक्ष्य के साथ लोगों में प्रतिरोधी क्षमता विकसित करना भी है. कोविड-19 के मद्देनजर डॉक्टरों व नर्सिंग स्टॉफ के लिए विशेष वैकेंसी निकलें और शीघ्र बहाली हो. जब तक विभिन्न प्रदेश ‘हर्ड कम्युनिटी’ हासिल करने के करीब नहीं पहुंच जाते, तब तक सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बनाने, समय-समय पर साबुन से हाथ धोने और भीड़ जुटाने से बचने जैसी जरूरतों के लिए लगातार जन जागरण करना होगा. दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए. सार्वजनिक परिवहन में दिशा-निर्देशों का पालन कठोरतापूर्वक कराना होगा.

सरकार के द्वारा टीकाकरण की पूरी सुविधा उपलब्ध कराने के बाद सिर्फ उन्हीं लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट दी जानी होगी, जिन्होंने टीका लगवा लिया है. ऐसे आयोजनों में शामिल होने के लिए संक्रमण की नेगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीनेशन कार्ड दिखाना अनिवार्य हो. चूंकि लॉकडाउन हटने के बाद बड़ी संख्या में लोग सरकारी दफ्तरों की ओर जायेंगे. ऐसी भीड़ कोरोना संक्रमण की बड़ी वजह बन सकती है.

इसलिए अब ई-गवर्नेंस की व्यवस्था को और प्रभावी बनाना होगा तथा अधिक-से-अधिक सरकारी कार्यों व सेवाओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाना होगा. देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका जाहिर की जा रही है, अतएव कोरोना प्रभावित राज्यों समेत सभी राज्यों में उस लहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य ढांचे की बुनियादी तैयारियों के साथ-साथ जीवन में योग एवं अच्छी जीवनशैली को आत्मसात किये जाने की रणनीति पर ध्यान देना बहुत जरूरी है.

वस्तुतः हवा में विभिन्न सूक्ष्म जीवाणुओं का वास रहता है. जब हम खुले मुंह सांस लेते हैं और एक-दूसरे के निकट आकर बात करते हैं, तब वातावरण में फैले अति सूक्ष्म जीवाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए इनसे बचने के लिए मास्क लगाने एवं शारीरिक दूरी के मंत्र को जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा. साथ ही, कोरोना काल में अब अभिवादन के लिए हाथ मिलाने और गले मिलने की बजाय हाथ जोड़ने के तरीके को जीवन का अंग बनाना होगा.

हम उम्मीद करें कि अनेक राज्य सरकारों के द्वारा लॉकडाउन को खोलने की प्रक्रिया में स्थानीय जरूरतों के साथ इन विभिन्न रणनीतिक सुझावों पर अवश्य ध्यान दिया जायेगा. इससे जहां अर्थव्यवस्था को बड़ी गिरावट से रोका जा सकेगा, वहीं कोरोना से प्रभावित वर्गों के दुख-दर्द कम किये जा सकेंगे. हम उम्मीद करें कि देश की जनता के सहयोग व जागरूकता से देश अपनी इच्छाशक्ति और सार्वजनिक स्वास्थ्य के जरिये कोरोना महामारी को मात देता हुआ दिखाई देगा. इससे एक बार फिर देश के उद्योग-कारोबार आगे बढ़ेंगे और हमारी अर्थव्यवस्था गतिशील होगी.

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