15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 09:43 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नाओमी ओसाका और युवा पीढ़ी के सच

Advertisement

वैसे मानसिक समस्या से जुड़े सच का सामना उन्हें और दूसरे खेलों को एक दिन करना ही होगा. खेलों से आगे यह आज की युवा पीढ़ी से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

कोरोना काल में खेलप्रेमी हर एक लाइव इवेंट के लिए तरस गये हैं. विभिन्न खेलों के छोटे-बड़े मुकाबलों का स्थगित, रद्द या फिर बीच में ही रुक जाना लगातार जारी है. आयोजक, प्रायोजक और टीवी प्रसारक दबाव में हैं, लेकिन अगर दबाव का असर सबसे अहम किरदार खिलाडियों पर ही हावी हो जाए, तो इसका कैसा असर होगा, वह फ्रेंच ओपन 2021 की शुरुआत में ही साफ हो गया. मुद्दा एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य का है, लेकिन महामारी की चुनौतियों ने इस मुद्दे को एक नयी शक्ल दे दी है.

- Advertisement -

करीब दस दिन पहले चार बार की ग्रैंड स्लैम चैंपियन नाओमी ओसाका ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में लिखा था कि वे रोलैंड गर्रोस (फ्रेंच ओपन) के दौरान एक भी प्रेस कांफ्रेंस में भाग नहीं लेंगी. उन्होंने कहा- मुझे अक्सर ऐसा लगा है कि लोगों को एथलीट के मानसिक स्वस्थ्य की कोई कद्र नहीं. प्रेस कांफ्रेंस में अक्सर वही सवाल बार-बार पूछे जाते हैं, वे सवाल, जो हमारे मन में खुद पर संदेह पैदा करते हैं. मैं ऐसे लोगों के सामने नहीं जाना चाहती.’

इसके बाद उनका यह पोस्ट डिलीट हो जाता है, पर विवाद नहीं थमता. इसके तीन दिन बाद पहले दौर में अपना मैच जीतने के बाद ओसाका प्रेस कांफ्रेंस में नहीं आती हैं. आयोजक को लगता है कि इससे एक गलत परंपरा की शुरुआत हो सकती है, जिसका खेल, स्पॉन्सरशिप और आयोजन से जुड़े मामले पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. फ्रेंच ओपन, विंबलडन, अमेरिकी ओपन और ऑस्ट्रेलियाई ओपन टेनिस के चारो ग्रैंड स्लैम के आयोजक एक साझा प्रेस रिलीज जारी करते है- ‘नाओमी ओसाका ने आज अपनी मीडिया को लेकर जिम्मेदारियों से संबंधित करार का पालन नहीं किया.

आयोजन के रेफरी ने नियमानुसार उन पर 15 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया है. टेनिस टूर और ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे खिलाडियों का मानसिक स्वास्थ्य हमारे लिए एक अहम प्राथमिकता है.’ उनके अनुसार, जुर्माना लगाना सभी खिलाडियों के साथ समान व्यवहार की भावनाओं की कद्र के लिए जरूरी था. इसके बाद नाओमी ओसाका ने टूर्नामेंट में आगे हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया. उन्होंने ये साफ किया कि टूर्नामेंट, खिलाड़ियों और उनके अपने स्वास्थ्य के लिए यह बेहतर होगा.

ओसाका ने कहा कि वे लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य से जूझती रही हैं. वे एक सहज वक्ता नहीं हैं. उन्हें हर बार प्रेस के सामने आने से पहले चिंता और बेचैनी होती है. उन्होंने कहा कि मीडिया और प्रेस से जुड़े नियम अब पुराने हो चुके हैं. उन पर नये सिरे से गौर किया जाना चाहिए.

इस घटना के बाद मशहूर अभिनेत्री जमीला जमील ने फ्रेंच ओपन के बहिष्कार का एलान कर दिया. उन्होंने कहा कि अपना मानसिक स्वास्थ्य जाहिर करने के लिए किसी को ऐसे कैसे प्रताड़ित किया जा सकता है. सेरेना विलियम्स और मार्टिना नवरातिलोवा से लेकर बिली जीन किंग जैसे दिग्गजों ने मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दे पर खुल कर सामने आने के लिए नाओमी ओसाका की सराहना की. फ्रेंच ओपन के बाकी मैच बदस्तूर जारी हैं, लेकिन इस मामले से कई तल्ख सवाल भी खड़े हुए हैं.

पहला, मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा मुद्दा है, जिसका आज युवा पीढ़ी पर सबसे अधिक असर देखा जा रहा है. पेशेवर खिलाड़ी से लेकर हॉलीवुड-बॉलीवुड के बड़े नाम इस समस्या का सामना कर रहे हैं. सचिन तेंदुलकर से लेकर विराट कोहली जैसे खिलाडियों ने हाल में अपनी समस्याओं का जिक्र किया है.

दूसरा, यह सच है कि आज बड़ी इनामी राशि देना तभी संभव होता है, जब आयोजक बड़ा पैसा लेकर आते हैं. ऐसे में मीडिया और विज्ञापन से जुड़े करार अहम हैं, लेकिन अगर खिलाड़ी मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं होगा, तो क्या इसका उसके खेल पर असर नहीं पड़ेगा. सो, मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य की तरह अहम मान कर संतुलन बनाने की जरूरत है.

तीसरा, कई खिलाडियों का मानना रहा है कि उनका मुख्य हुनर खेलना है, वक्ता बनना नहीं तथा उन्हें इस कसौटी पर तौला जाना चाहिए, लेकिन, मौजूदा दौर में खिलाड़ी खेल के अलावा विज्ञापन, सार्वजनिक समारोह में उपस्थिति से लेकर संन्यास के बाद कमेंटरी से पैसा कमाते हैं. इन सब विधाओं मे सफलता के लिए खेल में हुनर के अलावा बाकी व्यक्तित्व में निखार जरूरी है.

खेल से जुड़े संगठनों को खिलाडियों को इन विधाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए, जिससे उनका मनोबल और भरोसा बना रहे. चौथा, खेल संगठनों और आयोजकों को खिलाडियों के मूल स्वभाव और मौजूदा समस्याओं का सम्मान करना चाहिए. टीम गेम में किसी खिलाड़ी के बुरे दिन में दूसरा खिलाड़ी प्रेस के सामने आ सकता है, लेकिन व्यक्तिगत खेलो में यह संभव नहीं होता है. ऐसे में क्या नये प्रयोग नहीं किये जा सकते?

अगर कोई खिलाड़ी मानसिक तौर पर खुद को अस्वस्थ समझे या असहज महसूस करे, तो क्या उन्हें अपने प्रतिनिधि को प्रेस के सामने भेजने की आजादी देनी चाहिए. आयोजकों को संवेदनशील रहने की जरूरत है. फ्रेंच ओपन के आयोजक संवेदनशीलता दिखा कर उदाहरण प्रस्तुत कर सकते थे, लेकिन उन्हें खतरा यह लगा कि कोरोना काल का यह अपवाद भविष्य में नया नॉर्मल न बन जाए. वैसे मानसिक समस्या से जुड़े सच का सामना उन्हें और दूसरे खेलों को एक दिन करना ही होगा. खेलों से आगे यह आज की युवा पीढ़ी से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें