24.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 06:52 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आर्थिक सर्वेक्षण में सकारात्मक संकेत

Advertisement

2020 में अर्थव्यवस्था की दर ऋणात्मक थी. उस लिहाज से आर्थिक सर्वेक्षण में इस साल के लिए 9.2% विकास दर होने की जतायी गयी उम्मीद संतोषजनक है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

अभी देश कोरोना महामारी की चुनौतियों से मुक्त नहीं हुआ है, लेकिन अर्थव्यवस्था पर अब उसका वैसा असर नहीं है, जैसा पहली लहर के दौरान देखा गया था. वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था की दर ऋणात्मक रही थी. उस लिहाज से आर्थिक सर्वेक्षण में इस साल के लिए जो 9.2 प्रतिशत विकास दर होने की उम्मीद जतायी गयी है, वह संतोषजनक है, लेकिन इसके साथ हमें इस तथ्य का भी संज्ञान लेना होगा कि इस दर के साथ हम 2020 के स्तर को संतुलित करते हुए बहुत मामूली अंतर से ही आगे हैं.

- Advertisement -

यह दर भी अनुमान ही है और वास्तविक आंकड़ों के लिए हमें कुछ इंतजार करना होगा, पर इससे यह स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर आने लगी है. सर्वेक्षण में 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंचने का उल्लेख हुआ. अर्थव्यवस्था के लिए लक्ष्य निर्धारित करना और आशा जताना अच्छी बात है, लेकिन अभी हमें उस पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए. अभी हमारे सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में बढ़ोतरी हो रही है और उसे कायम रखना अभी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.

इस संबंध में सर्वेक्षण में शुरू में इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देना सराहनीय है. वर्ष 2020 से 2025 के बीच 111 लाख करोड़ खर्च करने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के साथ मांग पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. इस संदर्भ में चीन का उदाहरण प्रासंगिक है. वहां आवास में व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया था, लेकिन उसके अनुसार मांग नहीं बढ़ी.

जहां इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होता है, वहां निर्माण के क्रम में आसपास के लोगों के पास आमदनी आती है, जो एक अच्छी बात है. लेकिन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद उसकी मांग अगर अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही, तो घाटा उठाना पड़ सकता है. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की समीक्षा करते हुए केवल मांग के पहलू को नहीं देखा गया है, बल्कि 80 अहम सूचकों का संज्ञान लिया गया है. और, इस आधार पर कहा गया है कि उनके स्तर पर हमें फायदा मिला है.

यह अच्छी बात है, लेकिन मांग को कतई नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. मेरा मानना है कि इससे अभी ही नुकसान हो रहा है और आगे भी हो सकता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हाल के वर्षों में कई सुधार किये गये हैं और उत्पादन को बढ़ावा देने की योजनाएं चलायी गयी हैं. उदाहरण के तौर पर उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन योजना को लिया जा सकता है. आपूर्ति के स्तर पर जोर देना ठीक है, लेकिन मांग को भी उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए.

यह मान भी लिया जाए कि संगठित क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में आ चुकी है, तो केवल उससे अर्थव्यवस्था को ठोस आधार नहीं मिल सकता है. हालांकि कोई निश्चित आंकड़ा तो नहीं है, पर माना जा सकता है कि 70-80 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र से आता है. इस पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

महामारी की सबसे अधिक मार भी इसी क्षेत्र में पड़ी है. सर्वेक्षण में वंचित और निर्धन वर्ग के लिए किये गये राहत उपायों और कार्यक्रमों का उल्लेख किया गया है. इसमें सबसे उल्लेखनीय है अस्सी करोड़ गरीबों के लिए मुफ्त राशन की व्यवस्था करना. संकट के दौर में ऐसी पहलों की बहुत जरूरत होती है. कोरोना काल में ऋण मुहैया कराने की पहलें भी अहम रही हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने अभिभाषण में यह रेखांकित किया है कि सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्यम हमारी अर्थव्यवस्था का आधार हैं तथा यह क्षेत्र हमारी धरोहर है. इन्हीं उद्यमों से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना साकार की जा सकती है. ये सटीक बातें हैं. इन उद्यमों के लिए ऋण उपलब्ध कराना तथा अन्य पहलें करना सही दिशा में उठाये गये कदम हैं, लेकिन इन पहलों का क्या असर हुआ है, इस संबंध में सर्वेक्षण में नहीं बताया गया है. मेरी राय में इसकी समीक्षा भी की जानी चाहिए.

हम जानते हैं कि अगर उत्पादन का स्तर समान रहता है या कम होता है तथा बाजार में नगदी बढ़ जाती है, तो चीजों के दाम बढ़ने लगते हैं. ऐसे मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ जाता है. बीते दो सालों में नगदी बढ़ी है और महंगाई में भी बढ़ोतरी हो रही है. इस संबंध में भी सोचा जाना चाहिए. सर्वेक्षण में मुद्रास्फीति को वैश्विक परिदृश्य से जोड़ा गया है, जो एक हद तक सही है, लेकिन घरेलू कारकों का भी संज्ञान लिया जाना चाहिए.

आयातित मुद्रास्फीति आने की आशंका तो है, क्योंकि तेल के दाम बढ़ रहे हैं, पर साथ में देश के भीतर भी आपूर्ति के मामले में बाधाएं हैं. दिवालिया कानून एक अच्छी पहल रही है और उससे बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उसके तहत अपेक्षित रिकवरी नहीं हो सकी है. सर्वेक्षण में निवेश आधारित वृद्धि की उम्मीद जतायी गयी है. उपभोग मांग के साथ निवेश में बढ़ोतरी संतोषजनक है, पर यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि महामारी के दौर में पहले साल में इनमें बहुत कमी आयी थी. निवेश बढ़ने से अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर भरोसा भी बढ़ता है. ऐसा लगता है कि अगले साल तक हम कोरोना से पहले के निवेश स्तर तक पहुंच जायेंगे.

स्टॉक मार्केट की अच्छी स्थिति, विशेष कर स्टार्टअप कंपनियों के शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने का भी उल्लेख सर्वेक्षण में है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश में स्टार्टअप के क्षेत्र में बहुत अच्छी प्रगति हो रही है. इनमें से कुछ का प्रदर्शन स्टॉक मार्केट में अच्छा रहा है, पर अनेक कंपनियों के मामले में बहुत जल्दी निवेशकों का भरोसा डगमगा गया. ऐसे में हमें किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कुछ इंतजार करना चाहिए.

यह भी उल्लेख होना चाहिए कि निर्यात को लेकर सरकार ने जो लक्ष्य तय किया था और बाजार को भी उम्मीदें थीं, उसमें सराहनीय कामयाबी मिली है. विभिन्न उत्पादों का निर्यात का स्तर बना हुआ है और आगे भी उसमें बढ़ोतरी की गुंजाइश है. पीएलआइ स्कीम के आने के बाद इसके विस्तार की आशा की जा सकती है, लेकिन इसके साथ यह भी देखा जाना चाहिए कि हमारा आयात भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है और हाल-फिलहाल में इसमें गिरावट आने की संभावना भी नहीं दिखती.

सर्वेक्षण में ऊर्जा के स्रोत के रूप में देश की कोयले पर निर्भरता को भी रेखांकित किया गया है. हालांकि सरकार की ओर से स्वच्छ ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा है, पर कोयले की वजह से कार्बन उत्सर्जन में कमी के प्रयासों पर असर होगा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें