15.1 C
Ranchi
Friday, February 14, 2025 | 03:27 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

डॉ नसीम जैदी की जिद

Advertisement

कुमार प्रशांत गांधीवादी विचारक k.prashantji@gmail.com जिसे सब चुनौती दे रहे थे, उस चुनाव अायोग ने एक साथ सबको चुनौती दी थी. मुख्य चुनाव अायुक्त डॉ नसीम जैदी ने उन सभी राजनीतिक दलों को, जिन्होंने पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा अौर मणिपुर का चुनाव लड़ा है, यह चुनौती दी है कि वे 3 जून से 7 […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

कुमार प्रशांत
गांधीवादी विचारक
k.prashantji@gmail.com
जिसे सब चुनौती दे रहे थे, उस चुनाव अायोग ने एक साथ सबको चुनौती दी थी. मुख्य चुनाव अायुक्त डॉ नसीम जैदी ने उन सभी राजनीतिक दलों को, जिन्होंने पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा अौर मणिपुर का चुनाव लड़ा है, यह चुनौती दी है कि वे 3 जून से 7 जून के बीच इवीएम का बेजा इस्तेमाल संभव बना कर दिखायें! यह अच्छा है. हमारा लोकतंत्र जिस तरह चुनाव अाधारित बना दिया गया है, उसमें यह जरूरी है कि चुनाव के इस अाधार के बारे में किसी को कोई शंका न रहे. शंका लोकतंत्र को हमेशा कमजोर करती है. जब हम मतपत्र पर ठप्पा लगा कर वोट देते थे, तब उसके बारे में गहरी शंका पैदा हो गयी थी. चुनाव वोट छीनने, खरीदने अौर लूटने का नाम बनता जा रहा था.
लोग वोट डालते तो थे, लेकिन यह लाचारी घर करती जा रही थी कि होगा वही जो ‘वोट लुटेरे’ चाहेंगे. यह प्रतीति लोकतंत्र के बारे में निराशा भी पैदा करती थी अौर उपेक्षा भी.
यह एहसास भी गहराता जा रहा था कि इसमें कितना कागज व्यर्थ होता है! इवीएम इतनी सारी शंकाअों का जवाब बन कर अायी. इससे वोट छीनना, खरीदना अौर लूटना मुश्किल होता गया अौर कागज की बरबादी पर रोक लगी. मन में कहीं यह बात जरूर रही कि मशीन अाखिर तो अादमी के हाथ का खिलौना ही है न!
साल 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद यह सवाल उठा अौर तेज हुअा कि क्या इवीएम से छेड़-छाड़ संभव है? सवाल भाजपा ने उठाया था, क्योंकि तब वह कांग्रेस के हाथों इस तरह पिटी थी कि उसे खुद पर भरोसा नहीं रह गया था. लेकिन इसे हारे का प्रलाप से अधिक महत्व किसी ने दिया नहीं. लेकिन, यह सवाल गहराता गया कि इवीएम क्या उतनी विश्वसनीय है, जितना इसे बताया जा रहा है? कुछ गड़बड़ियां यहां-वहां सामने अायीं भी अौर कुछ खटका-सा मन में बैठ गया.
लोकसभा के पिछले चुनाव के बाद अावाजें ज्यादा सघन हुईं. गुजरात के कुछ नागरिक संगठनों ने चुनाव अायोग को बताया कि किस तरह इन मशीनों से छेड़-छाड़ संभव है. यह अावाज न्यायालय तक भी पहुंची, लेकिन न्यायालय ने ठीक ही किया कि ऐसी सारी शिकायतों को चुनाव अायोग का रास्ता दिखा दिया. विधानसभाअों के हालिया चुनावों के नतीजे कुछ इस तरह हैरान करनेवाले रहे कि हारी हुई पार्टियां के मन में ही नहीं, मतदाताअों के मन में भी शंका पैदा हो गयी. अावाजें ज्यादा तेज हो गयी, जब मायावती और केजरीवाल अादि ने इसमें अपनी अावाज जोड़ दी.
डॉ जैदी ने तस्वीर को इस तरह रंगा, मानो किसी ने उनकी निजी ईमानदारी पर उंगली उठा दी है! यह न केवल गलत रवैया है, बल्कि अायोग की विश्वसनीयता को भी खतरे में डालता है. सवाल किसी की ईमानदारी पर शक करने का नहीं है. सवाल उस मशीन की विश्वसनीयता पर देश का भरोसा मजबूत करने का है.
वह मशीन कितनी विश्वसनीय है, इसकी पूरी अौर हर संभव जांच में अायोग की भी उतनी ही दिलचस्पी होनी चाहिए, जितनी किसी भी दूसरे नागरिक की हो सकती है. अायोग की या डॉ जैदी की ईमानदारी कोई मुद्दा है ही नहीं. इसलिए अायोग का यह रुख कि अाज नहीं, इतनी तारीख के बाद ही इवीएम की जांच की जा सकेगी, जांच राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि ही करेंगे, चार घंटे में ही करेंगे अादि-अादि शर्तें व्यर्थ भी हैं अौर नाहक की नौकरशाही दर्शाती हैं.
जो मशीनें कभी भी, कहीं भी चुनाव में उतार दी जाती हैं, वे मशीनें कहीं भी, कभी भी जांच के लिए क्यों नहीं दी जा सकतीं? अौर यह भी कोई शर्त हुई क्या कि केवल राजनीतिक दल ही इसकी जांच करेंगे? क्या देश का लोकतंत्र केवल राजनीतिक दलों के बीच का मामला है!
अायोग का रवैया तो ऐसा होना चाहिए कि देश का कोई भी नागरिक ऐसी जांच कर सकता है. आयोग यह तय करे कि यदि यह बात सामने अायी कि मशीन में छेड़छाड़ की संभावना है, तो उसमें अावश्यक सुधार किया जायेगा. छेड़छाड़ की संभावना सिद्ध करनेवाले भी इसमें मदद करेंगे कि यह संभावना कैसे खत्म की जाये. यह किसी को गलत या झूठा साबित करने का मसला नहीं है, अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुख्ता करने का सवाल है. अगर निश्चित अवधि के भीतर कोई बात सिद्ध नहीं हो सकी, तो चुनाव अायोग पूरे अात्मविश्वास से देश से कह सकेगा कि मशीन न पहले गलत थी अौर न अाज गलत है.
इतने सीधे मामले को जैदी साहब अपनी जिद का मुद्दा न बनायें अौर लोकतंत्र की प्रहरी, एक लोकतांत्रिक संस्थान की तरह सामने अायें! अरबों रुपये इवीएम मशीनों में झोंकने के बाद हम अपना कागज भी बरबाद करें, यह बात स्वीकार्य नहीं है. अगर कागज का ही विकल्प है, तो हम कागज की तरफ ही लौटें अौर मशीनों में लगनेवाला नाहक का खर्च बचायें. हमें चुनावी प्रक्रिया की अौर उसमें होम होनेवाले संसाधनों की फिक्र करनी चाहिए. यह दलों का नहीं, देश का मामला है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें