जनता तक पहुंचे कानून
अपने देश के कानून बनने के बाद पक्षकार ही न्यायालय का चक्कर अपना हक लेने के लिए लगाते हैं, सरकार कानून के लागू होने में आने वाली दिक्कतों का अध्ययन पर ध्यान नहीं दे रही. खास कर अभी कानूनी जागरूकता पर सरकर बहुत खर्च कर रही है, जबकि उसके लागू करने के सिस्टम को तैयार […]
अपने देश के कानून बनने के बाद पक्षकार ही न्यायालय का चक्कर अपना हक लेने के लिए लगाते हैं, सरकार कानून के लागू होने में आने वाली दिक्कतों का अध्ययन पर ध्यान नहीं दे रही.
खास कर अभी कानूनी जागरूकता पर सरकर बहुत खर्च कर रही है, जबकि उसके लागू करने के सिस्टम को तैयार नहीं कर रही है. कई सेमिनार का आयोजन भी आयोग के द्वारा किया जा रहा है लेकिन आयोजनों का कोई लाभ सोसाइटी तक नहीं पहुंच रहा है. इन कार्यक्रमों का लाभ टारगेट ग्रुप को कैसे हो? अभी तो एनजीओ के साथ-साथ न्यायाधीश भी इस काम में लग गये हैं. उच्चाधिकारियों का ऐसे काम में लगने से खर्च बहुत बढ़ जाता है. इसलिएकानून को जनता के द्वार पर लाने के लिए हर काम का सही तरीके से असेसमेंट होना जरूरी है.
सुचित्रा झा, अधिवक्ता, देवघर