नौकरी देने की मंशा
उच्च विद्यालय की नियुक्ति होनी है, पर सरकार की मंशा झारखंड वासियों को नौकरी न देने की प्रतीत होती है. नियुक्ति नियमावली उत्तरप्रदेश और बिहार को देख कर शायद बनायीं जाती है क्योंकि अनारक्षित वर्ग में भारत का कोई भी नागरिक आवेदन दे सकता है और वह पूर्ण अनारक्षित सीटों पर अधिकार रख सकता है. […]
उच्च विद्यालय की नियुक्ति होनी है, पर सरकार की मंशा झारखंड वासियों को नौकरी न देने की प्रतीत होती है. नियुक्ति नियमावली उत्तरप्रदेश और बिहार को देख कर शायद बनायीं जाती है क्योंकि अनारक्षित वर्ग में भारत का कोई भी नागरिक आवेदन दे सकता है और वह पूर्ण अनारक्षित सीटों पर अधिकार रख सकता है. यह नियम सिर्फ झारखंड राज्य में है.
अन्य राज्य नियुक्ति में दूसरे राज्यों को मात्र 10 प्रतिशत आरक्षण देते हैं. सरकार ने पहले ही झारखंड को दो हिस्सों में बांट दिया है. 13 जिला अनुसूचित घोषित कर दिया एवं 11 जिला पूरे भारत के लिए. अब ये समझ से परे है कि कितनी आरक्षित सीटें हैं 11 जिलों में ओबीसी, एससी एवं एसटी के लिए. झारखंड वासी ही अपने राज्य के 13 जिलों में आवेदन करने से वंचित रह रहे हैं. झारखंड सरकार की ऐसी कौन सी मज़बूरी आन पड़ी है या फिर यह झारखंड वासियों का तिरस्कार है.
रविकान्त वर्मा, गिरिडीह