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ओसामा के सपनों से आगे

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एमजे अकबर प्रवक्ता, भाजपा अब ओसमा जीवित नहीं है, लेकिन उसका अवैध जिहाद उसके सपनों के क्षितिज से कहीं आगे फैल चुका है. बहुत सी सरकारों को यह वहम रहा है कि वे अपने छद्म लड़ाकों के जरिए अपनी तात्कालिक रणनीतिक स्वार्थो की पूर्ति कर लेंगे, लेकिन अब नया खलीफा अपना लंबा खेल खेल रहा […]

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एमजे अकबर
प्रवक्ता, भाजपा
अब ओसमा जीवित नहीं है, लेकिन उसका अवैध जिहाद उसके सपनों के क्षितिज से कहीं आगे फैल चुका है. बहुत सी सरकारों को यह वहम रहा है कि वे अपने छद्म लड़ाकों के जरिए अपनी तात्कालिक रणनीतिक स्वार्थो की पूर्ति कर लेंगे, लेकिन अब नया खलीफा अपना लंबा खेल खेल रहा है.
ओसामा बिन लादेन के जिहाद में नौकरी का आवेदन पत्र हाल के वर्षो में सामने आये सबसे असाधारण दस्तावेजों में एक है. लादेन को मार गिरानेवाली कार्रवाई में अमेरिकियों को भारी मात्र में ये दस्तावेज मिले थे. इसमें दो पन्नों पर सवाल दिये गये हैं, और इस पर मेरी पहली प्रतिक्रि या यह थी कि यह मनगढ़ंत है. इसमें एक सवाल है कि क्या आप आत्मघाती हमला करने की इच्छा रखते हैं?
हालांकि, धीरे-धीरे इसकी मनोवैज्ञानिक परतें खुलनी तैयार होती हैं. पिता और दादा का नाम पूछा गया है, पर माता का नहीं क्योंकि उनकी योजना में औरत एक गुम होती पहचान है. आने का दिन तो उल्लिखित है, पर जाने का दिन नियत नहीं है (तब जब इसे परमेश्वर पर नहीं छोड़ा गया हो). कहीं-कहीं कृपया शब्द हैं, पर उसमें भय का अर्थ अंतर्निहित है : कृपया, नहीं तो.. आप मुक्त इच्छा के रथ पर सवार होकर स्वर्ग की यात्र करते हैं.
लेकिन असली आश्चर्य पूरे आवेदन पत्र को देख कर होता है कि यह दफ्तरशाही भावहीनता से भरा हुआ है. (क्या यह भावहीनता अवचेतन से प्रेरित है?) इसका एक स्पष्टीकरण है. सिद्धांतत: जिहाद सिर्फ राज्य के द्वारा घोषित किया जा सकता है, और ओसामा और खलीफा इब्राहिम जैसे लोग समझते हैं कि उनकी वैधानिकता, आम आकलन में भी, तौर-तरीकों और उद्देश्यों के आधार पर समान रूप से आंकी जायेगी. वे औपचारिक सत्ता का ताम-झाम सबसे पहले हासिल करने की कोशिश करते हैं. नये रंगरूट को आकर्षित करने का सबसे बड़ा जरिया एक इलाके पर कब्जा और एक सरकार की स्थापना होती है.
इस हिसाब से सबसे सफल जिहाद तालिबान द्वारा एक पूरे देश, अफगानिस्तान पर 90 के दशक के मध्य में कब्जा करना था. वह अपनी कामयाबी बचा कर नहीं रख पाया क्योंकि उसे शासन चलाना नहीं आता था, और इसकेएक जरूरी तत्व- विदेश नीति- की तो उनके पास कोई अवधारणा ही नहीं थी. तालिबान ने दुनिया से संपर्क की जिम्मेवारी अपने संरक्षक पाकिस्तान को दे दी. अगर एक समानांतर जिहाद के द्वारा न्यूयॉर्क के जुड़वा टॉवर नहीं गिराये गये होते, तो तालिबान का तख्तापलट कामयाब भी हो सकता था क्योंकि इस बात के सबूत हैं कि अमेरिका काबुल में स्थापित इस अतिवादी शासन के साथ गुपचुप समझौते की शुरु आत कर चुका था.
दूसरा सबसे सफल जिहाद इस्लामिक स्टेट का उभार है. इस संगठन के कब्जे में अभी ब्रिटेन से बड़ा इलाका है. दुनिया ने शुरू में ही इस संगठन के नाम- इस्लामिक स्टेट- को स्वीकार कर बड़ी भूल कर दी. इस्लामिक स्टेट मुस्लिम विश्व से सोवियत संघ के खिलाफ हुए जिहाद से अधिक संख्या में लड़ाके आकृष्ट कर सकने में सफल हुआ है. बहुराष्ट्रीय गंठबंधन के हमलों के बावजूद इसने अभी रामादी शहर पर कब्जा कर लिया है, जहां से बगदाद पर गोलाबारी की जा सकती है.
उस क्षेत्र में सबसे कीमती संसाधनों- तेल और पानी- पर बैठा इस्लामिक स्टेट निश्चिंत है कि वह उन विरोधियों को सफलतापूर्वक रोक सकता है जो जमीनी युद्ध से अधिक भरोसा हवाई हमलों में रखते हैं. अगर इस्लामिक स्टेट एक स्थापित तथ्य बन जाता है, तो यह न सिर्फ पश्चिम एशिया के नक्शे को बदल देगा, बल्कि एशिया और उत्तरी अफ्रीका की भौगोलिक राजनीति को भी परिवर्तित कर देगा.
ओसामा के आवेदन पत्र में सबसे दिलचस्प सवाल यह नहीं थे कि क्या आप किसी अदालत द्वारा दोषी ठहराये गये हैं? या आप कभी जेल गये हैं या गिरफ्तार हुए हैं? सबसे रोचक सवाल यह था : आप कितनी बार पाकिस्तान गये हैं और यात्र के कारण क्या थे? पाकिस्तान से संबंधित सवाल अकेला ऐसा सवाल है जो विस्तार से जवाब मांगता है. किसी अन्य मुस्लिम देश के बारे में ऐसा कोई सवाल उसमें नहीं है.
पाकिस्तान जिहाद का किला रहा है, जहां प्रशिक्षण के साथ युद्धक्षेत्र के अनुभव भी दिये जाते रहे हैं. पाकिस्तान द्वारा संचालित छद्म युद्ध कभी सीधी रेखा में नहीं चलते हैं. पाकिस्तान का सैन्य तंत्र इसे नियंत्रित करता है. ओसामा के जिहाद में शामिल होने का कोई इच्छुक शायद ही एक बार या बार-बार पाकिस्तान गया हो क्योंकि र्मी में उसे छुट्टी मनानी थी.
तो क्या वह कोई योद्धा या जासूस होता? अगर ऐसा होता, तो वह किसका योद्धा या जासूस था? कभी-कभी वफादारी और विश्वासघात में अंतर अवसर से अधिक नहीं होता. एक ऐसे व्यक्ति के रूप में, जिस पर ईनाम रखा गया हो, सावधान रहना ओसामा की मजबूरी भी थी.
अब ओसमा जीवित नहीं है, लेकिन उसका अवैध जिहाद उसके सपनों के क्षितिज से कहीं आगे फैल चुका है. बहुत सी सरकारों को यह वहम रहा है कि वे अपने छद्म लड़ाकों के जरिए अपनी तात्कालिक रणनीतिक स्वार्थो की पूर्ति कर लेंगे, लेकिन अब नया खलीफा अपना लंबा खेल खेल रहा है.

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