15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 06:30 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

काला धन मामले में बड़ी कार्रवाई की उम्मीद नहीं

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता प्रशांत भूषण से खास बातचीत प्रशांत भूषण प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील हैं. वह आम आदमी पार्टी (आप) से भी जुड़े हैं. कोल ब्लॉक आवंटन में घोटाला व काले धन जैसे मुद्दों पर मुखर रहे प्रशांत भूषण दो दिन पहले रांची में थे. […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता प्रशांत भूषण से खास बातचीत
प्रशांत भूषण
प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील हैं. वह आम आदमी पार्टी (आप) से भी जुड़े हैं. कोल ब्लॉक आवंटन में घोटाला व काले धन जैसे मुद्दों पर मुखर रहे प्रशांत भूषण दो दिन पहले रांची में थे. एक जन अदालत में हिस्सा लेने आये श्री भूषण से प्रभात खबर संवाददाता संजय ने विभिन्न मुद्दों पर बात की. यहां उस बातचीत के महत्वपूर्ण अंश दिये जा रहे हैं.
सवाल : दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए, तो आम आदमी पार्टी (आप) की जीत की कितनी संभावना है. क्या वहां भाजपा आप से डरी हुई है.
जवाब : आप की जीत की पूरी संभावना है. भाजपा पहले डरी हुई थी, अभी के बारे नहीं कह सकता.
सवाल : आम आदमी पार्टी की ऑफिशियल साइट पर एक पंच लाइन चला था- मोदी फॉर पीएम, आप (पार्टी) फॉर सीएम. बाद में इसे साइट से हटा लिया गया. क्या हुआ था.
जवाब : गलती से यह हो गया था. दरअसल पार्टी के एक कार्यकर्ता ने उत्साह में यह पंच लाइन बना दी थी, जिसे साइट पर पोस्ट कर दिया गया था. इस गलती का एहसास होते ही इसे हटा लिया गया.
सवाल : काला धन मामले में केंद्र सरकार की अब तक की कार्रवाई व बयान से क्या आप संतुष्ट हैं.
जवाब : हमारा स्पष्ट मानना है कि काला धन मामले में केंद्र सरकार टालमटोल कर रही है. देश के बाहर जो काला धन है, वह तो है ही. देश के अंदर उससे कहीं अधिक काला धन है. टैक्स हेवन कंपनियों (देश के बाहर की वैसी कंपनियां, जिन पर न्यूनतम या शून्य टैक्स लगाया जाता है. ताकि संबंधित देश में व्यापार व उद्योग को प्रमोट किया जा सके) के जरिये या फिर पार्टिसिपेटरी नोट (एक व्यवस्था, जिसके तहत विदेशी कंपनियों को यह छूट दी जाती है कि वे इंडियन स्टॉक मार्केट में इसकी शर्तो के तहत निबंधित हुए बगैर स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकते हैं) के जरिये देश के भीतर इसका निवेश हो रहा है. पर मौजूदा केंद्र सरकार इसे रोकने में नाकामयाब है. इसलिए काला धन मामले में किसी बड़ी कार्रवाई की उम्मीद नहीं दिखती.
सवाल : रांची में (16 नवंबर को) आपने एक जन अदालत में हिस्सा लिया है. लोग मानते हैं कि झारखंड प्राकृतिक संसाधनों की लूट का एपीसेंटर (केंद्र) रहा है. अभी यहां होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आप किन बातों से लोगों को सावधान करेंगे.
जवाब : देखिए, खतरे कई हैं. सबसे बड़ा खतरा तो देश का माहौल बिगड़ने का है. देश भर में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश हो रही है. वैसे ही तत्व झारखंड में भी हावी हुए, तो मुश्किल होगी. खान-खनिज की लूट, इससे होने वाले विस्थापन व पर्यावरण को नुकसान, जैसे दूसरे खतरे भी हैं. मौजूदा केंद्र सरकार कुछ और कदम भी उठाने जा रही है, जिससे झारखंड व अन्य राज्यों के लोगों को नुकसान होगा. वन अधिकार कानून जैसे कुछ कानूनों को रोल बैक किया जा रहा है.
सवाल : कोल ब्लॉक आवंटन में धांधली के मामले में आप शुरू से ही गंभीर रहे. अब गैर कानूनी आवंटन रद्द किये गये हैं. वहीं इन ब्लॉकों के इ-ऑक्शन की प्रक्रिया चल रही है. आप इस प्रक्रिया से संतुष्ट हैं.
जवाब : हो सकता है प्रक्रिया ठीक हो. इसमें पारदर्शिता भी हो. पर सभी 214 कोल ब्लॉक, जिनका आवंटन रद्द किया गया, उन सबको फिर से आवंटित करने की जरूरत नहीं है. पहले आवंटित 214 कोल ब्लॉक में से सिर्फ 40 में ही उत्पादन शुरू हुआ था. मेरे विचार से सिर्फ इन्हें ही फिर से आवंटित किया जाना चाहिए. पर सभी ब्लॉक निजी कंपनियों के हाथों देने की तैयारी चल रही है. इसकी जरूरत नहीं है. इससे पर्यावरण व विस्थापन जैसी समस्याएं भी बढ़ेगी. केंद्र सरकार सरकारी उपक्रमों को भी ब्लॉक देने में आनाकानी कर रही है. कहा जा रहा है कि वहां भ्रष्टाचार है. सिस्टम ठीक काम नहीं कर रहा. यदि ऐसा है, तो बजाय इसे सुधारने के निजी हाथों में ही सब कुछ सौंप देना जायज नहीं है. सरकारी व निजी कंपनियों में एक बड़ा फर्क है. निजी कंपनियां सिर्फ मुनाफा देखती हैं. उन्हें दूसरी जिम्मेवारियों का एहसास नहीं रहता. सरकारी कंपनियों में कम से कम यह खतरा नहीं है.
सवाल : क्या कॉरपोरेट घराने मौजूदा केंद्र सरकार में शक्तिशाली हो रहे हैं. क्या आप इसे खतरा मानते हैं.
जवाब : यह खतरा पहले भी था. आज भी है. हां पूर्ण बहुमत वाली सरकार में इस खतरे के बढ़ने की आशंका है. एक आदमी के सर्वशक्तिमान होने से उसके फासीवादी होने का खतरा बढ़ जाता है. आप देखें कि न सिर्फ काला धन बल्कि लोकपाल, सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) व सीबीआइ जैसे मामले में भी सरकार कोई प्रगतिशील रवैया नहीं अपना रही.
सवाल : कश्मीर के कुछ स्थानीय नेता भी जनमत संग्रह की बात….
जवाब : (बीच में काटते हुए)..इसे छोड़ दे…इससे बेवजह विवाद उत्पन्न हो जाता है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें