17.1 C
Ranchi
Monday, February 24, 2025 | 12:13 am
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

विरासत का पुनजर्न्म और टेढ़े-मेढ़े रास्ते

Advertisement

महान विरासत का पुनर्जीवित हो जाना असाधारण है. कल्पना से परे. शायद ऐसे ही इतिहास के शिलालेख लिखे जाते हैं. आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय सैकड़ों साल की विरासत को थाती बनाये यात्रा शुरू कर चुका है. कोशिश है कि इसे ज्ञान का अव्वल केंद्र बनाया जाये. इतिहास के पन्नों को पलटें तो बिहार के नालंदा और […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

महान विरासत का पुनर्जीवित हो जाना असाधारण है. कल्पना से परे. शायद ऐसे ही इतिहास के शिलालेख लिखे जाते हैं. आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय सैकड़ों साल की विरासत को थाती बनाये यात्रा शुरू कर चुका है.

कोशिश है कि इसे ज्ञान का अव्वल केंद्र बनाया जाये. इतिहास के पन्नों को पलटें तो बिहार के नालंदा और भागलपुर में विक्रमशिला जैसे ज्ञान के उच्च केंद्र थे. पांचवी शताब्दी में नालंदा की स्थापना हुई तो आठवीं में विक्र मशिला की. विडंबना रही कि ज्ञान के इन दोनों ही प्रतिष्ठित केंद्रों को विदेशी आक्र मण का सामना करना पड़ा. 12 वीं सदी में हमले की वजह से ये केंद्र खंडहर में बदल गये. पर, इतिहास का अपना चक्र होता है. कौन जानता था कि 21 वीं सदी के आरंभिक काल में प्राचीन नालंदा की तरह ज्ञान के आधुनिक केंद्र की ईंट रखी जायेगी. नालंदा विवि में पहली सितंबर से एकेडमिक कैलेंडर शुरू होना वाकई गर्व का अहसास कराता है. इसकी स्थापना को लेकर वर्ष 2006 से बात शुरू हुई. तब से अब तक इसकी प्रक्रि या थमी नहीं.

चीन, अमेरिका, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों की ओर से मदद के हाथ बढ़े. विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रर को विकसित करने के लिए इन मुल्कों ने वित्तीय मदद दी. पहले सत्र की पढ़ाई शुरू होने के साथ ही सपना साकार तो हो चुका है लेकिन अभी लगभग सारे काम बाकी हैं. विश्वविद्यालय की अपनी बिल्डिंग को बनाने के लिए चार साल का समय रखा गया है. इसे समय पर करना गंभीर चुनौती है.

साथ में फैकल्टी और पढ़ाये जानेवाले विषयों का विस्तार भी होना है. जाहिर है कि इसके लिए मुकम्मल आधारभूत संरचना की दरकार होगी. अंतरराष्ट्रीय मानक वाले इस विश्वविद्यालय के सभी काम फिलहाल नालंदा के राजगीर में अलग-अलग सरकारी भवनों में चल रहे हैं. अबाध गति से काम को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि राजनैतिक और सामाजिक स्तर पर इस विश्वविद्यालय को सक्रि य समर्थन भी मिलता रहे. आमतौर पर संस्थान राजनीति के शिकार हो जाते हैं और उसका मूल उद्देश्य भटक जाता है. आखिर उच्च शिक्षा के अधोपतन के क्या कारण हो सकते हैं? हमें उम्मीद करनी चाहिए कि फैसले को प्रभावित करने वाली संस्थाएं नालंदा जैसे राष्ट्रीय गौरव का परचम लहराने में सकारात्मक भूमिका में रहेंगी और विश्वविद्यालय 2018 तक पूरी तरह काम करने लगेगा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें