21.2 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 05:55 pm
21.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

पीओके पर फैसले का समय

Advertisement

अवधेश कुमार वरिष्ठ पत्रकार awadheshkum@gmail.com थलसेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है कि अगर संसद चाहे, तो पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर को वापस लेने के लिए भारतीय सेना तैयार है. यह एक असाधारण वक्तव्य है. पाकिस्तान में इस बयान से खलबली मच गयी है. पिछले वर्ष विदेश मंत्री […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अवधेश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार
awadheshkum@gmail.com
थलसेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है कि अगर संसद चाहे, तो पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर को वापस लेने के लिए भारतीय सेना तैयार है. यह एक असाधारण वक्तव्य है.
पाकिस्तान में इस बयान से खलबली मच गयी है. पिछले वर्ष विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि एक दिन पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) भी हमारा होगा. गृहमंत्री अमित शाह का लोकसभा में पिछले वर्ष छह अगस्त का वह बयान टीवी पर लगातार दिखता है कि क्या बात करते हो, जान दे देंगे उसके लिए. इस तरह तीन प्रमुख लोगों के बयान सामने हैं. किंतु इसमें सबसे महत्वपूर्ण बयान जनरल नरवणे का ही माना जायेगा.
गिलगित-बाल्तिस्तान सहित पीओके को भारत का भाग बनाने के लिए दो ही स्थितियां हो सकती हैं. वहां के लोग विद्रोह करके भारत में विलय कर लें या फिर सेना कार्रवाई करे.
पहली स्थिति में भी सेना की भूमिका होगी, क्योंकि विद्रोह के बावजूद पाकिस्तान की सेना हर हाल में उसे पाकिस्तान का भाग बनाये रखने की कोशिश करेगी. दूसरी स्थिति में, भारत में सेना कोई कार्रवाई राजनीतिक नेतृत्व के आदेश पर ही करती है. गौरतलब है कि नरसिंह राव सरकार के दौरान फरवरी, 1994 में संसद ने संकल्प प्रस्ताव पारित कर गुलाम कश्मीर को जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र बताते हुए भारत का हिस्सा करार दिया था.
क्या वाकई सेना के अंदर इसकी तैयारी चल रही है? क्या सरकार की ओर से सेना को कुछ संकेत दिया गया है? या क्या परिस्थितियां ऐसी बन रही हैं कि निकट भविष्य में भारत के पास पीओके को भारत में विलय कराने के लिए सैन्य कार्रवाई की नौबत आयेगी? संसद का प्रस्ताव न होता, तब भी गिलगित-बाल्तिस्तान और पीओके कायदे से भारत का ही हिस्सा हैं.
साल 1947 में 26 अक्तूबर को महाराजा हरि सिंह द्वारा विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद पूरा कश्मीर भारत का अंग हो गया. लेकिन उस समय तक पाक सेना एवं कबायली, मोहम्मद अली जिन्ना के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर में घुस चुके थे. भारतीय सेना उनको खदेड़ते हुए आगे बढ़ रही थी कि नेहरू ने युद्ध विराम कर दिया. उसके बाद उनके कब्जे वाला भाग उनके पास ही रह गया. यह स्थायी स्थिति नहीं हो सकती. भारत को आज नहीं तो कल यह निर्णय करना ही होगा. अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से देश में यह मानसिकता बन रही है कि अब अगला नंबर पीओके का ही आना चाहिए.
सेना के अंदर भी यह भाव गहरा हुआ है कि हमें इसके लिए कार्रवाई करने का आदेश मिल सकता है. हो सकता है उसे इसके लिए तैयार रहने का निर्देश मिला भी हो और उनकी तैयारी चल रही है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बार-बार कहते हैं कि भारत ने उनके शब्दों में आजाद कश्मीर में सैन्य कार्रवाई की खौफनाक तैयारी की है.
जिस तरह जम्मू-कश्मीर हमारे देश का एक राज्य था, अब लद्दाख को अलग करके दो केंद्र शासित प्रदेश है, वैसा वहां नहीं है. पाकिस्तान ने पीओके को प्रशासनिक आधार पर दो हिस्सों में बांटा है. इसमें गिलगित-बाल्तिस्तान एक अलग भौगोलिक सत्ता के रूप में बना हुआ है.
पाकिस्तान में चार राज्य बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वां, पंजाब और सिंध हैं. कश्मीर और गिलगित-बाल्तिस्तान उनका नहीं है. इसे संघ शासित उत्तरी क्षेत्र कहा जाता था. इसका शासन सीधे इस्लामाबाद से संचालित होता रहा हैै. हां, 2016 के बाद से गिलगित-बाल्तिस्तान को अवश्य पांचवां प्रांत बनाने की कोशिश हुई, जिसका भारत ने विरोध किया.
साल 1947 के बाद से हमारे जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक व्यवस्था थी, जबकि पीओके वाले दोनों हिस्से दिशाहीन रहे. पीओके के नेताओं ने उत्तरी क्षेत्र पाकिस्तान को 28 अप्रैल, 1949 में समझौते के तहत सौंप दिया था. संयुक्त राष्ट्र के संकल्प और 28 अप्रैल, 1949 को हुए कराची समझौते के अनुसार गिलगित-बाल्तिस्तान का इलाका जम्मू-कश्मीर का अंग है. इसलिए गिलगित-बाल्तिस्तान के लोग संघर्ष कर रहे हैं कि उनकी सीमाएं बदलने का पाकिस्तान को अधिकार नहीं है.
गिलगित-बाल्तिस्तान के शियाओं को अल्पसंख्यक बनाने के लिए खैबर पख्तूनख्वां से लाकर बसा दिया गया है. मूल शियाओं को वहां से पलायन करना पड़ रहा है. अगस्त 2018 में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका अधिकार क्षेत्र और उसकी शक्तियां गिलगित-बाल्तिस्तान तक हैं. तब भारत ने कहा था कि वहां की भौगोलिक, जनांकिकी आदि बदलने के अवैध कार्यों को पाकिस्तान बंद कर पूरे इलाके को खाली करे.
रणनीतिक दृष्टि से यह उचित है कि हम अपना दावा जताते हुए खाली करने और वहां कोई बदलाव न करने की मांग कर रहे हैं. वहां चुनाव का भारत ने विरोध किया कि वह तो हमारा क्षेत्र है. गिलगित-बाल्तिस्तान एवं पीओके दोनों भागों में पाकिस्तान के खिलाफ काम करनेवाले समूह हैं.
ऑल पार्टी इंडिपेंडेंट एलायंस के बैनर से पीओके में इतना सघन प्रदर्शन हुआ कि पुलिस को गोली तक चलानी पड़ी और अंततः सेना को उरतना पड़ा. गिलगित-बाल्तिस्तान में चीन-पाक आर्थिक गलियारे तथा आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ है. किंतु यह सब हमारे लिए तब तक बेमानी है, जब हमारी स्पष्ट सक्रिय राजनयिक, राजनीतिक एवं सैन्य नीति गिलगित-बाल्तिस्तान सहित जम्मू कश्मीर के लिए न हो.
जब एस जयशंकर ने बयान दिया, तब भी माना गया कि भारत सरकार के अंदर पीओके पर विचार कर कुछ नीति निर्धारित हुई है और अब सेना प्रमुख के बयान के बाद उस पर मुहर लगती दिख रही है. हालांकि आज पूरा मामला पहले से कहीं ज्यादा जटिल है. गिलगित-बाल्तिस्तान की सीमा चीन और अफगानिस्तान से लगती है और यह चीन-पाक आर्थिक गलियारे के मुख्य मार्ग पर स्थित है. भारत ने यह कहते हुए चीन से लगातार विरोध जताया है कि वह हमारा क्षेत्र है.
चीन का पाकिस्तान पर दबाव है कि वह इस क्षेत्र का संवैधानिक दर्जा बदले, ताकि उसका अरबों डॉलर का निवेश विवाद में न पड़े. भारत जितने दिनों तक इसको टालेगा, उतना ही समस्या जटिल होती जायेगी. चीन को भी पीओके एवं गिलगित-बाल्तिस्तान से हिस्सा मिला हुआ है. भारत को किसी भी कार्रवाई से पहले चीन की संभावी भूमिका का भी विचार करना होगा. लेकिन चीन जिस तरह वहां सशक्त हो रहा है वह हमारे भविष्य के लिए ज्यादा खतरनाक है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें