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फेक न्यूज की गंभीर चुनौती

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आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ और समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर फेक वीडियो, फेक फोटो और फेक खबरों की बाढ़ आ गयी है. माना जा रहा है कि 2020 में सबसे बड़ी चुनौती फेक न्यूज की है. सच्ची और झूठी खबरों के बीच भेद करना […]

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आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ और समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर फेक वीडियो, फेक फोटो और फेक खबरों की बाढ़ आ गयी है. माना जा रहा है कि 2020 में सबसे बड़ी चुनौती फेक न्यूज की है.
सच्ची और झूठी खबरों के बीच भेद करना आम आदमी के लिए संभव नहीं रह गया है. कुछ समय पहले राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि फेक न्यूज पेड न्यूज से ज्यादा बड़ी समस्या है और प्रेस को इस पर अंकुश लगाने के तरीकों पर चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि एक फर्जी खबर फैलाई गयी कि कुछ लोग बच्चे उठा रहे हैं, जिसके कारण 20 लोग मारे गये, पर जब लिंचिंग पर चर्चा होती है, तो यह चर्चा नहीं होती कि इन 20 लोगों की भी लिंचिंग से मौत हुई. उन्होंने कहा कि सरकार और मीडिया को साथ मिल कर इससे लड़ने की जरूरत है.
कुछ समय पहले फेक न्यूज चली थी कि 31 दिसंबर, 2019 से दो हजार के नोट बंद हो जायेंगे. एक और झूठी खबर चली कि 500 रुपये के जिस नोट में हरे रंग की पट्टी महात्मा गांधी के फोटो के नजदीक है, वह नकली है, लोग ऐसे नोट को ही लें, जिसमें हरी पट्टी आरबीआइ गवर्नर के हस्ताक्षर के करीब है. सोशल मीडिया तो जाने-माने अभिनेता दिलीप कुमार की कई बार जान ले चुका है. कुछ वर्ष पहले अभिनेत्री कैटरीना कैफ की मौत की खबर भी चल गयी थी. उन्हें सफाई देनी पड़ी थी कि वह सकुशल हैं.
नागरिकता कानून को लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया में तमाम फर्जी दावे किये जा रहे हैं. कुछ समय पहले लाल टी शर्ट और जींस पहने हुए एक शख्स का फोटो वायरल हो रहा था. फोटो में दिख रहे युवक ने हेलमेट पहना हुआ था और उसके साथ में डंडा था. युवक सुरक्षा कवच भी पहने था, जो आमतौर पर पुलिसकर्मी पहनते हैं. दावा किया गया था कि वह शख्स पुलिसकर्मी नहीं है, बल्कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता भरत शर्मा है, जो पुलिस के साथ मिल कर प्रदर्शनकारियों को पीट रहा है. बाद में दिल्ली पुलिस का स्पष्टीकरण आया कि वह शख्स एंटी-ऑटो थेफ्ट स्क्वाड में तैनात कॉस्टेबल अरविंद है.
और तो और, नीता अंबानी भी फेक न्यूज का शिकार हो गयीं. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उनके फेक ट्विटर अकाउंट से कई विवादास्पद ट्वीट किये गये. रिलायंस ने तुरंत सफाई दी कि नीता अंबानी का कोई भी आधिकारिक ट्विटर अकाउंट है ही नहीं. उनके नाम या फोटो वाले सभी ट्विटर अकाउंट फर्जी हैं. दरअसल, किसी ने नीता अंबानी के नाम से फर्जी ट्विटर अकाउंट बना लिया. शिकायत पर ट्विटर अकाउंट को बंद किया गया. ऐसा नहीं है कि केवल वयस्क ही फेक न्यूज भेजते हैं.
नोएडा के एक नामी स्कूल के दो छात्रों ने डीसी के फर्जी आदेश तैयार कर सोशल मीडिया पर छुट्टी की सूचना जारी कर दी. यह आदेश जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया. डीसी को देर रात एक बयान जारी करना पड़ा कि उन्होंने स्कूल बंदी का कोई आदेश जारी नहीं किया है. इस मामले में दोनों छात्रों को हिरासत में लिया गया. पुलिस पूछताछ में दोनों ने बताया है कि ठंड में छुट्टी मनाने और मौज मस्ती के लिए उन्होंने एक ऑनलाइन एप से डीएम के पुराने पत्र को एडिट करके छुट्टी का आदेश बनाया था. फिर एक फर्जी ट्विटर अकाउंट बना कर उसे वायरल कर दिया.
फेक न्यूज की अनंत कथाएं हैं. इस गहराती समस्या पर हाल में प्रभात खबर ने बीबीसी के एशिया पैसिफिक प्रमुख इंदुशेखर को संवाद के लिए आमंत्रित किया, जिसमें उन्होंने बताया कि फेक न्यूज भारत ही नहीं, दुनियाभर के लिए बड़ी समस्या बनता जा रहा है. उनका कहना था कि फेक न्यूज की समस्या हमेशा से रही है, लेकिन सोशल मीडिया के विस्तार से यह व्यापक और बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
उन्होंने बताया कि अक्सर चुनाव में बीबीसी के नाम से फेक सर्वेक्षण चला दिया जाता है, जबकि बीबीसी की यह घोषित नीति है कि वह कोई चुनावी सर्वेक्षण नहीं कराता है. बीबीसी ने हाल में फेक न्यूज के खिलाफ एक मुहिम भी चलायी और कई देशों में इसका अध्ययन भी किया था. बीबीसी ने फेक न्‍यूज के बढ़ते प्रसार को लेकर भारत, केन्‍या और नाइजीरिया में एक शोध किया. इस शोध की रिपोर्ट के अनुसार लोग बिना खबर या उसके स्रोत की सत्‍यता जांचे सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर उसका प्रसार करते हैं.
शोध के अनुसार भारत में एक अच्छी बात यह है कि जिन संदेशों से कोई हिंसा हो सकती है, अधिकांश भारतीय उसे शेयर करने में झिझकते हैं, लेकिन लोग राष्ट्रवादी भावना से भरे संदेशों को जम कर साझा करते हैं. मिसाल के तौर पर आपके व्हाट्सएप ग्रुप में भी ऐसे मैसेज आते होंगे- सभी भारतीयों को बधाई. यूनेस्को ने भारतीय करेंसी को सर्वश्रेष्ठ करेंसी घोषित किया है, जो सभी भारतीय लोगों के लिए गर्व की बात है. इस तरह के मैसेज फेक होते हैं, लेकिन उन्हें आगे बढ़ाने वाले लोग सोचते हैं कि यह राष्ट्रप्रेम की बात है और इसे आगे बढ़ाना चाहिए.
देश में फेक न्यूज को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. नेशनल क्राइम ब्यूरो ने पहली बार फेक न्यूज फैलाने को भी अपराध की श्रेणी में मानते हुए उससे जुड़े आंकड़ों को प्रकाशित किया है. ब्यूरो की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में फेक न्यूज को लेकर कुल 257 मामले दर्ज किये गये हैं.
इनमें सबसे अधिक 138 मामले मप्र के हैं. फेक न्यूज के उत्तर प्रदेश में 32, केरल में 18 और जम्मू-कश्मीर में चार मामले दर्ज किये गये. फेक न्यूज को लेकर नेशनल क्राइम ब्यूरो ने ऐसे मामलों को शामिल किया है, जो आइपीसी की धारा 505 और आइटी एक्ट के तहत दर्ज किये गये हैं. फेक न्यूज की समस्या इसलिए भी जटिल होती जा रही है कि देश में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अभी भारत की 27 फीसदी आबादी यानी लगभग 35 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. दरअसल, भारत सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है.
विभिन्न स्रोतों से मिले आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में व्हाट्सएप के एक अरब से अधिक सक्रिय यूजर्स हैं. इनमें से 16 करोड़ भारत में ही हैं. फेसबुक इस्तेमाल करने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 15 करोड़ है और ट्विटर अकाउंट्स की संख्या 2 करोड़ से ऊपर है. लगभग 40 करोड़ भारतीय आज इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं. यह बहुत बड़ी संख्या है. हमें करना यह चाहिए कि कोई भी सनसनीखेज खबर की एक बार जांच अवश्य करें ताकि हम फेक न्यूज शिकार होने से बच सकें.
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