19.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 09:42 pm
19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

संसाधनों पर बोझ बनती आबादी

Advertisement

ज्ञानेंद्र रावत पर्यावरणविद् rawat.gyanendra@rediffmail.com बढ़ती आबादी सीमित संसाधनों पर बोझ बनती जा रही है. आबादी में हर साल 80 लाख की दर से बढ़ोतरी हो रही है. वर्ष 2050 तक इसके 9.8 अरब होने की संभावना है. इस सदी के अंत तक दुनिया की आबादी 12.5 अरब का आंकड़ा पार कर जायेगी. वर्तमान तकनीकी बदलाव […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

ज्ञानेंद्र रावत
पर्यावरणविद्
rawat.gyanendra@rediffmail.com
बढ़ती आबादी सीमित संसाधनों पर बोझ बनती जा रही है. आबादी में हर साल 80 लाख की दर से बढ़ोतरी हो रही है. वर्ष 2050 तक इसके 9.8 अरब होने की संभावना है. इस सदी के अंत तक दुनिया की आबादी 12.5 अरब का आंकड़ा पार कर जायेगी. वर्तमान तकनीकी बदलाव के दौर में हम कोई आशंका-संभावना ही व्यक्त कर सकते हैं.
खाद्य संकट गहराने में बढ़ती आबादी का योगदान जगजाहिर है. बढ़ते शहरीकरण के चलते लागोस, साओ पाउलो और दिल्ली जैसे कई महानगर बनेंगे. इसका दबाव पर्यावरण पर पड़ेगा ही.
आज पर्यावरण प्रदूषण से प्राकृतिक संसाधन खत्म होने के कगार पर हैं. वह चाहे भूजल हो, नदी जल हो, वायु हो, सभी भयावह स्तर तक प्रदूषित हैं. व्यावसायिक व निजी हितों की खातिर भूजल का बेतहाशा दोहन जारी है. हरित संपदा सड़क, रेल, कल-कारखानों के निर्माण यज्ञ में समिधा बन रही है. झील, तालाब, बावड़ी, कुंए, पोखर का अतिक्रमण के चलते नामोनिशान मिटता जा रहा है. कृषि योग्य भूमि आवासीय जरूरतों की पूर्ति हेतु दिनोंदिन घटती ही जा रही है. यह सब सरकारों के संज्ञान में हो रहा है.
प्रबल आशंका है कि तापमान में बढ़ोतरी अपने चरम पर जा पहुंचेगी, नतीजतन ध्रुवों की बर्फ जो पहले ही से तेजी से पिघल रही है, अंततः पिघल जायेगी और समुद्र का जलस्तर बढ़ जायेगा. इससे एक करोड़ प्रजातियों में तकरीबन 20 लाख प्रजातियां लुप्त हो जायेंगी.
जहां तक हमारे देश का सवाल है, यहां 1951 से ही परिवार नियोजन कार्यक्रम जारी है, लेकिन वह प्रभावी नहीं रहा. आनेवाले आठ सालों यानी 2027 में भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जायेगा.
देश में जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों का दुखद परिणाम ही कहा जायेगा कि सदी के अंत तक भारत की आबादी का आंकड़ा 150 करोड़ हो जायेगा. वर्ष 2050 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले चीन की जनसंख्या भारत की आबादी का केवल 65 फीसदी रह जायेगी. विसकॉन्सिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर यी फुजियान की मानें, तो आगे चलकर बुजुर्ग आबादी चीन के आर्थिक विकास में बहुत बड़ी बाधा बनेगी.
बीते माह संयुक्त राष्ट्र् की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 1968 में आयोजित अंतरराष्ट्र्ीय मानवाधिकार सम्मेलन में अभिभावकों को बच्चों की संख्या चुनने का अधिकार मिला था. इसके जरिये महिलाओं को बच्चे को जन्म देने और अनचाहे बच्चे को दुनिया में लाने से रोकने का अधिकार मिला.
साथ ही लड़कों और लड़कियों के सशक्तीकरण, सभी को प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराने, यौनजनित बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने व बालिकाओं के अधिकारों के लिए कानूनी प्रावधानों पर भी जोर दिया गया था. लेकिन हुआ क्या, वह सबके सामने है.
रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक दुनिया के जिन नौ देशों में दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी की बढ़ोतरी होगी, उनमें भारत शीर्ष पर है. उस सूची में भारत के बाद नाइजीरिया, पाकिस्तान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन ऑफ कांगो, इथियोपिया, तंजानिया, इंडोनेशिया, मिस्र और अमेरिका है.
इन देशों को बूढ़ी होती आबादी की चुनौतियों से भी जूझना होगा. यहां गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, असमानता, शिक्षा और स्वास्थ्य की बड़ी चुनौती है. भारत विश्व भुखमरी सूचकांक में दुनिया के 119 देशों में 103वें स्थान पर है. भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है, जहां भुखमरी की गंभीर स्थिति है.
इसमें दो राय नहीं कि भारत की बहुतेरी समस्याओं की जड़ में आबादी की अहम भूमिका है. इसमें प्रशासनिक और नेतृत्व की विफलता का भी बड़ा योगदान है. हमारे यहां जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों को नाकाम करने में जाति-धर्म के नाम पर रोटी सेंकने वाले स्वयंभू ठेकेदारों और राजनैतिक दलों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में एक कानून का अभाव हमारे राजनीतिक नेतृत्व की विफलता का सबूत है.
हमारे यहां वोट बैंक की राजनीति सरकारों को कठिन निर्णय लेने से रोकती रही है. अब समय आ गया है कि हम इस मामले में चीन से सबक लें. जनसंख्या नियंत्रण की प्रभावी नीति के बिना वह चाहे रोजगार मुहैया कराने का सवाल हो, भोजन, आवास, चिकित्सा, शिक्षा, कुपोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा, जैसी मूलभूत आवश्यकताओं का सवाल हो या फिर प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा-सुरक्षा का सवाल हो, पर्यावरण, प्रदूषण, आवागमन, सिंचाई, पेयजल, संचार या विज्ञान, तकनीक या फिर विकास आदि अन्य सवाल हों, से निपटना आसान नहीं है. जनसंख्या वृद्धि अब नासूर का रूप अख्तियार कर चुकी है, इसलिए इसका इलाज बेहद जरूरी है. यह गर्व की बात है कि वर्तमान में देश की सरकार बहुमत वाली सरकार है. उससे अपेक्षा तो यही है कि वह चीन की तरह इस दिशा में पहल करे.
यदि ऐसा नहीं हुआ तो दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की चेतावनी आनेवाले दिनों में सही साबित होगी कि पृथ्वी पर टिके रहने में हमारी प्रजाति का कोई दीर्घकालिक भविष्य नहीं है. यदि मनुष्य बचे रहना चाहता है, तो उसे 200 से 500 साल के अंदर पृथ्वी को छोड़कर अंतरिक्ष में नया ठिकाना खोज लेना होगा. तभी कुछ बेहतर भविष्य की उम्मीद की जा सकती है अन्यथा नहीं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें