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वाह काेहली, वाह धाैनी वाह टीम इंडिया

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अनुज कुमार सिन्हा टीम इंडिया के खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया से सर ऊंचा कर, इतिहास रच कर विदा हो रहें हैं. टेस्ट और वनडे सीरीज दाेनाें में ऑस्ट्रेलिया काे हराया और आराम से हराया. ऐसा पहली बार हुआ. टी-20 सीरीज ड्रॉ रही हालांकि उसमें भी भारत ही भारी रहा था. शानदार जीत और शानदार दाैरा के लिए […]

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अनुज कुमार सिन्हा
टीम इंडिया के खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया से सर ऊंचा कर, इतिहास रच कर विदा हो रहें हैं. टेस्ट और वनडे सीरीज दाेनाें में ऑस्ट्रेलिया काे हराया और आराम से हराया. ऐसा पहली बार हुआ. टी-20 सीरीज ड्रॉ रही हालांकि उसमें भी भारत ही भारी रहा था.
शानदार जीत और शानदार दाैरा के लिए कप्तान विराट काेहली और उनकी टीम बधाई के याेग्य हैं. वर्ल्ड कप के कुछ माह पहले विदेश की धरती, वह भी ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टेस्ट-वनडे दाेनाें में जीत से खिलाड़ियाें का जाे मनाेबल बढ़ा है, उसका मनाेवैज्ञानिक लाभ आगे के मैचाें में टीम इंडिया काे मिलेगा.
पूरी सीरीज से तीन-चार बड़ी बातें सामने आ गयी हैं. टीम इंडिया मजबूत टीम है. अभी तक सिर्फ बल्लेबाजी में तारीफ हाेती थी. इस बार भारत की मजबूत तेज गेंदबाजी दिखी है. बुमराह, भुवनेश्वर कुमार और शमी ने साबित कर दिया कि वे दुनिया के किसी भी विकेट पर कमाल दिखा सकते हैं. भारत काे अगर वर्ल्ड कप जीतना है, ताे आगे भी इन तीनाें काे ऐसी ही भूमिक निभानी हाेगी. ऋषम पंत ने टेस्ट खास कर अंतिम टेस्ट में जैसी बल्लेबाजी की, उसने एक सवाल जरूर पैदा कर दिया था कि क्या वर्ल्ड कप में वे धाैनी का पत्ता काट देंगे.
जब वनडे में धाैनी की वापसी हुई ताे सभी का ध्यान धाैनी की आेर था. यह देखना था कि धाैनी का जादू बना हुआ है या खत्म हाे रहा है. धाैनी ने तीनाें वनडे में अर्द्धशतक लगाया, दाे में नाबाद रहे, फिनिशर की भूमिका अदा की और साबित कर दिया कि उनका अनुभव पंत पर भारी पड़ता है. धाैनी के इस प्रदर्शन ने वर्ल्ड कप में उनकी दावेदारी काे और मजबूत कर दिया है. कुछ आंकड़ा इसे और स्पष्ट करेंगे. धाैनी ने सिडनी में जब 51 रन बनाने में 96 गेंद खेली ताे आलाेचना हुई, लेकिन यह देखना हाेगा कि तब टीम की हालत क्या थी?
चार पर तीन विकेट गिर चुके थे. धाैनी ने राेहित का साथ दिया, पारी काे बनाया और 137 रन की साझेदारी की. यही कारण था कि भारत 254 रन तक पहुंच सका था. दूसरे वनडे में धाैनी ने इस गलती काे सुधारा, 54 गेंद पर 55 रन बनाये. काेहली के साथ 82 और कार्तिक के साथ 57 रन की साझेदारी कर जीत दिलायी. हालांकि इस मैच में काेहली का शतक था लेकिन धाैनी का साथ भी था, इसलिए पता भी नहीं चला कि कैसे टीम इंडिया ने अासानी से 298 रन का पीछा करता हुआ मैच जीत लिया.
धाैनी की पहचान फिनिशर की रही है और अंतिम अाेवर में छक्का लगा कर वैसा ही किया. तीसरा वनडे अगर भारत जीता ताे धाैनी के बल पर ही. 87 नाबाद रन. काेहली के साथ 54 और यादव के साथ 121 रन की साझेदारी. टीम काे और क्या चाहिए. यानी टीम इंडिया अब असमंजस में नहीं है कि धाैनी काे रखना चाहिए या नहीं.
अगर टेस्ट सीरीज की बात करें पुजारा का काेई जवाब नहीं. उपलब्धि दिखी ताे मयंक अग्रवाल की. इस युवा खिलाड़ी ने बेखाैफ हाेकर खेला और बता दिया कि भविष्य का वह बड़ा खिलाड़ी है. असफलता मिली ताे आेपनिंग में. मुरली विजय और राहुल का नहीं चलना. लेकिन मैच में यह सब चलता रहता है. अगर ये दाेनाें खिलाड़ी चलते ही रहते ताे मयंक काे माैका कैसे मिलता. राेहित ने भी इस दाैरे में अपना जलवा दिखाया.
दुुर्भाग्य से पृथ्वी और अश्विन घायल हाे गये और वे नहीं खेल सके, वरना परिणाम कुछ और हाेता. भारत के लिए यह दाैरा इसलिए और भी सुखद रहा कि टीम इंडिया ने दिखा दिया कि बगैर पृथ्वी और अश्विन के भी भारत सीरीज जीत सकता है.
पांड्या काे वनडे से बाहर किया गया, अपनी करनी-व्यवहार के कारण. लेकिन वनडे में उनकी कमी नहीं खली. यह बताता है कि टीम इंडिया के पिटारे में कितने बेहतरीन खिलाड़ी माैजूद हैं. इसलिए चिंता की जरूरत नहीं है. काेहली की कप्तानी और बल्लेबाजी लाजवाब है ही.
उत्साह इतना कि मुर्दे में भी जान दे दे. यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया जैसी आक्रामक टीम काे उसी की धरती पर हराया. अगर एक नजर टी-20, टेस्ट और वनडे मैचाें पर डालें ताे पाते हैं कि रिजल्ट भारत के पक्ष में और बेहतर हाे सकता था, अगर किस्मत साथ रहती. पहला टी-20 ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ चार रन से जीता लेकिन आंकड़ा किसी काे समझ में नहीं आया. उसने 17 आेवर में 158 रन बनाये और भारत ने 169 लेकिन जीता ऑस्ट्रेलिया, क्याेंकि मैच बाधित हाे गया था और भारत चार रन से हारा. दूसरा टी-20 भारत ने जीता और सीरीज 1-1 से बराबर.
टेस्ट में भारत 2-1 से जीता. सिडनी और मेलबॉर्न भारत ने जीता जबकि पर्थ में ऑस्ट्रेलिया. सिडनी के अंतिम टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया फॉलाेआन खेल रहा था और हार के कगार पर था लेकिन बारिश हाे गयी. अंतिम दिन एक भी गेंद फेंकी नहीं गयी. वरना टेस्ट सीरीज हम 3-1 से जीतते. जाे भी हाे, इस दाैरे ने साबित कर दिया कि टीम इंडिया और मजबूत दिखेगी जब उसके घायल खिलाड़ी टीम में लाैटेंगे.
तब समस्या हाेगी कि किसे टीम में रखा जाये, किसे नहीं. 1981 में जब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया गयी थी और पहला टेस्ट बुरी तरह हार गयी थी ताे ग्रेग चैपल का कमेंट था-टीम इंडिया हमारा समय खराब कर रही है. ग्रेग और उन जैसे साेच वाले खिलाड़ियाें काे काेहली एंड कंपनी ने करारा जवाब दे दिया है.

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