26.1 C
Ranchi
Sunday, February 23, 2025 | 03:02 pm
26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

निर्णायक कदम उठाने का वक्त

Advertisement

II तरुण विजय II पूर्व राज्यसभा सांसद tarunvijay55555@gmail.com जम्मू-कश्मीर गठबंधन सरकार से भाजपा द्वारा हाथ खींच लिये जाने के तुरंत बाद आश्चर्यचकित महबूबा मुफ्ती ने जो बयान दिया, वह आनेवाले दिनों में बढ़ते तनाव तथा आतंकवादियों व अलगाववादियों के अधिक पहुंच और आक्रामक तेवरों की झलक देता है. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भाजपा ने […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

II तरुण विजय II
पूर्व राज्यसभा सांसद
tarunvijay55555@gmail.com
जम्मू-कश्मीर गठबंधन सरकार से भाजपा द्वारा हाथ खींच लिये जाने के तुरंत बाद आश्चर्यचकित महबूबा मुफ्ती ने जो बयान दिया, वह आनेवाले दिनों में बढ़ते तनाव तथा आतंकवादियों व अलगाववादियों के अधिक पहुंच और आक्रामक तेवरों की झलक देता है.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भाजपा ने जिस प्रकार से गठबंधन सरकार से समर्थन लिया, उसे सही नहीं ठहराया जा सकता है. संपूर्ण जम्मू क्षेत्र को शत्रु क्षेत्र मान कर तथा अपनी मांसपेशियां दिखला कर वहां शांति कैसे लायी जा सकती है?
महबूबा मुफ्ती ने यह बात एक दर्द और तप्त हृदय से कही है, क्योंकि वे संभवत: चाहती थीं कि गठबंधन को यदि तोड़ना है, तो उसकी पहल पीडीपी के हाथ में होनी चाहिए, ताकि वह अपने समर्थकों को बढ़ा सकें. साथ ही, इसे अपने हक में भुना सकें और उन्हें राजनीतिक पराक्रम हासिल हो. बहुत लोगों को मालूम था कि वे जल्दी ही गठबंधन को तोड़ कर भाजपा को एक अपमानजनक स्थिति में रखते हुए राज्यपाल को इस्तीफा देनेवाली थीं.
उस स्थिति में महबूबा न केवल पत्थरबाजों, बल्कि पाकिस्तान समर्थक वर्ग का जबरदस्त सहयोग प्राप्त कर लेतीं. इतना ही नहीं, मोदी विरोधी सेकुलर खेमे की भी वो हीरो बन जातीं. अमित शाह और राम माधव ने यह मौका नहीं दिया, जिसका उन्हें बेहद मलाल रहेगा.
अब वे प्रयास करेंगी कि इस अचानक टूटन से जो उन्हें झटका लगा है, उसका खामियाजा वे अतिवादी स्वरों को अधिक बुलंद कर स्वयं को उस वर्ग का निर्विवाद नेता घोषित करें, तथा यदि चुनाव होते हैं, तो उनमें केवल भाजपा ही नहीं, उमर अब्दुल्ला के नेशनल कॉफ्रेंस के तेवरों को भी परास्त करें. यह स्थिति भाजपा और केंद्र सरकार के लिए तलवार की धार पर चलने समान नाजुक है.
सामान्यत: जनता उनसे अपेक्षा करती है कि अब जब गठबंधन रहा ही नहीं, तो भाजपा आतंकवादियों, जिहादियों तथा पत्थरबाजों के विरुद्ध निर्ममतापूर्वक कार्रवाई करे. इस बीच देखा गया कि जम्मू क्षेत्र और शेष देश में इस गठबंधन सरकार के ढीलेपन, सैनिक विरोधी व पत्थरबाजों के प्रति ढीला रवैया अपनाने के विरुद्ध आक्रोश पनप रहा था.
जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन का बोझ अंततः वहां की जनता और सुरक्षा बलों को उठाना पड़ा था. गठबंधन टूटने पर महबूबा मुफ्ती के अलावा किसी को भी आश्चर्य नहीं हुआ.
क्योंकि न केवल जम्मू-कश्मीर के देशभक्त लोग, बल्कि शेष देश के कश्मीर-प्रेक्षक भी आतंकवाद और पाकिस्तान के प्रति गहरी हमदर्दी रखनेवाली पीडीपी के साथ भाजपा का गठबंधन आश्चर्यजनक, अस्वाभाविक और देश के प्रति निष्ठा रखनेवालों का मनोबल गिराने वाला समझ रहे थे.
हाल ही में राइफल मैन औरंगजेब और ‘राइजिंग कश्मीर’ के संपादक शुजात बुखारी की निर्मम हत्या ने शायद भाजपा के सब्र की सीमा लांघ दी और जैसा महबूबा मुफ्ती की प्रतिक्रिया से जाहिर है, उनको बताये बिना दिल्ली में भाजपा महासचिव राम माधव ने गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी. मामला एकदम गुप्त रखा गया. जम्मू-कश्मीर के सभी मंत्रियों को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने जरूरी वार्ता के लिए दिल्ली बुलाया.
महबूबा मुफ्ती को भनक तक नहीं लगी. कश्मीर में जिस प्रकार हालात बिगड़ रहे थे और भाजपा मंत्रियों की स्थिति लगभग अप्रभावी बनाने में मुफ्ती पूरी कोशिश कर रही थीं, उसे देखते हुए अनुमान है कि गठबंधन तोड़ने का निर्णय बहुत पहले हो चुका होगा. केवल उसकी घोषणा के लिए सही समय की प्रतीक्षा थी.
एसएसपी अयूब पंडित, फौजी अफसर उमर फैयाज, पत्थरबाजों के बढ़ते हौसले, सेना और अर्ध-सैनिक बलों पर जिहादी पत्थरबाजों के खुले बेरोकटोक आक्रमण और हाल ही में औरंगजेब और शुजात बुखारी की नृशंस हत्याओं ने स्पष्ट कर दिया कि महबूबा की आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई दिलचस्पी नहीं है.
कश्मीर में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार हर दिन, हर फैसले से महबूबा मुफ्ती पीडीपी के वोट बैंक को सींच रही थीं. महबूबा की दिलचस्पी न सरकार में थी, न केंद्र द्वारा दिये गये धन के सही उपयोग में.
वह आतंकवादी- पत्थरबाज- पाकिस्तान समर्थक तत्वों को यह बताना चाहती थी कि भाजपा उनके सहारे चल रही है और वह भाजपा की नीतियां कतई लागू न होने देंगी. बीच-बीच में पाकिस्तान से बातचीत की हिमायत, हुर्रियत के प्रति नरमी, पत्थरबाजों की रिहाई समेत अनेक मामलों के जरिये महबूबा के मन का झुकाव पता चल रहा था.
हालांकि, यह ईमानदारी की बात है कि भाजपा ने अपनी क्षति की कीमत पर भी गठबंधन चलाने की पूरी कोशिश की. जल विद्युत परियोजनाएं, रेलमार्ग, राजमार्ग और शेरे कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में अस्सी हजार करोड़ रुपये की विकास योजनाओं की घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. मोदी कश्मीर को आर्थिक विकास, ढांचागत प्रगति की ओर ले जाना चाहते थे.
ये तब तक संभव नहीं, जब तक अतिवादी जेहादियों का समूल खत्म न किया जाये. कश्मीर के साथ अब यह गठबंधन के प्रयोग समाप्त कर एक बड़ी मुहिम के तहत वहां से अलगाववादियों, जेहादियों, पत्थरबाजों की यदि समाप्ति अब नहीं होगी, तो उसके समय के लिए कितनी प्रतीक्षा करनी होगी?
सेना व अन्य सुरक्षा बलों को कश्मीर में पनप रहे कायर आतंकवादियों को समाप्त करने की खुली छूट मिले और जो लोग, ज्यादातर कश्मीरी शांति से भारतीय के नाते तरक्की की जिंदगी जीना चाहते हैं, उनको संरक्षण तथा विकास का पूरा अवसर मिलना चाहिए.
कश्मीर के मुसलमान तीन-चार पीढ़ी पहले हिंदू थे. पाकिस्तान के जन्म को वैचारिक समर्थन व बल देने वाले शायर मोहम्मद इकबाल कश्मीरी हिंदू थे. उनके पिता किसी मामले में फंस गये. माफी के लिए एक ही रास्ता था- इस्लाम कुबूलो. वह मुसलमान बन गये, पर शर्म से चुपचाप लाहौर जा बसे. आज भी अधिकांश कश्मीरी मुसलमान अपने नाम के आगे रैना, भट्ट आदि-आदि हिंदू जातियां लिखते हैं.
उनका पाकिस्तान से क्या संबंध? क्या आस्था बदलने से पूर्वज, जमीन के रिश्ते हिंदुस्तानियत भी बदल जाती है? अब कश्मीर में निर्णायक कदम उठा कर वहां से स्थायी तौर पर आतंक समाप्त करने और विभाजक धारा 370 हटाने का वक्त आ गया है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें