38.8 C
Ranchi
Wednesday, April 23, 2025 | 07:00 pm

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

उलिहातू में आज अमित शाह : हाथी राम मुंडा काे अंगरेजाें ने जिंदा दफन कर दिया था

Advertisement

अनुज कुमार सिन्हा आप सभी बिरसा मुंडा (भगवान) काे जानते ही हाेंगे. उलगुलान (1895-1900) के महानायक, जिन्हाेंने मुंडाआें के साथ मिल कर अंगरेजी सत्ता के खिलाफ संघर्ष किया था. आप में से कुछ लाेग उलगुलान के उनके साथी गया मुंडा काे भी जानते हाेंगे, जिनका पूरा परिवार (पत्नी मॉकी मुंडा) उलगुलान में शामिल था. पर […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अनुज कुमार सिन्हा

आप सभी बिरसा मुंडा (भगवान) काे जानते ही हाेंगे. उलगुलान (1895-1900) के महानायक, जिन्हाेंने मुंडाआें के साथ मिल कर अंगरेजी सत्ता के खिलाफ संघर्ष किया था. आप में से कुछ लाेग उलगुलान के उनके साथी गया मुंडा काे भी जानते हाेंगे, जिनका पूरा परिवार (पत्नी मॉकी मुंडा) उलगुलान में शामिल था.

पर आप शायद हाथी राम मुंडा आैर उनके भाई हरि मुंडा काे नहीं जानते हाेंगे? इन दाेनाें भाइयाें की कुर्बानी काे नहीं जानते हाेंगे? सुखराम मुंडा, सनरी मुंडा आैर इनके अन्य साथियाें काे भी नहीं जानते हाेंगे, जिन्हाेंने बिरसा मुंडा की लड़ाई में हिस्सा लिया, शहादत दी. ऐसे गुमनाम आदिवासी नायकाें काे सम्मान-पहचान दिलाने के लिए राष्ट्रीय साेच-पहल की जरूरत है.

सबसे पहले जानिए, हाथी राम मुंडा काे. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शायद एेसा काेई उदाहरण नहीं है, जिसमें अंगरेजाें ने किसी आंदाेलनकारी काे जिंदा दफन कर दिया हाे. हाथी राम मुंडा काे अंगरेजाें ने जिंदा दफन कर दिया था.

वे बिरसा मुंडा के साथ लड़ाई में शामिल थे. रणनीति बनाते थे. सरकारी दस्तावेज में हाथी राम मुंडा का उल्लेख है. गांव का नाम स्पष्ट नहीं. सिर्फ इतना जिक्र है कि रांची जिला (तब खूंटी जिला नहीं बना था) के गुटूहड़ के मंगन मुंडा के पुत्र थे.

हाथी राम मुंडा के भाई थे हरि मुंडा. दाेनाें भाई वीर, जुनूनी आैर बिरसा के एक आदेश पर मर-मिटनेवाले. 9 जनवरी 1900 काे जब सइल रकब में अंगरेजाें से लड़ाई चल रही थी, हरि मुंडा अंगरेज सिपाहियाें की गाेली से मारे गये थे. एक भाई जिंदा दफन,दूसरा गाेली से शहीद.

दाेनाें भाइयाें की शहादत काे न ताे देश-झारखंड जानता है आैर न ही इसके बारे में उनके गांवाें की युवा पीढ़ी काे ही पता है. ये गुमनाम नायक हैं, जाे दस्तावेज में खाे गये हैं. ये सम्मान के हकदार हैं.

इतिहास गवाह है कि अंगरेजाें के खिलाफ लंबे समय तक झारखंड के आदिवासियाें ने संघर्ष किया. दर्जनाें विद्राेह इसके गवाह हैं. किसी अन्य राज्य में इतने लंबे समय तक संघर्ष नहीं हुआ. अपवाद काे छाेड़ दें, ताे ऐसे आदिवासी नायकाें काे अब तक राष्ट्रीय पहचान नहीं मिल पायी है. न ही प्रयास हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी के निर्देश पर अगस्त 2016 में गृह मंत्री राजनाथ सिंह उलिहातू गये थे. गत वर्ष 15 अगस्त काे पहली बार किसी प्रधानमंत्री (नरेंद्र माेदी) ने लाल किले से बिरसा मुंडा की शहादत का जिक्र किया था. यह ऐतिहासिक क्षण था, बिरसा मुंडा के प्रति बड़ा सम्मान था. इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उलिहातू (बिरसा मुंडा की जन्मस्थली) जा रहे हैं.

स्वतंत्रता संग्राम में जब भी आदिवासियाें के याेगदान का नाम आता है, बिरसा मुंडा का नाम सबसे पहले आता है. उनके सम्मान में संसद में उनकी तसवीर लगायी गयी. इसके बावजूद इतना कहा जा सकता है कि बिरसा मुंडा के संघर्ष काे किताबाें-दस्तावेजाें से बाहर निकाल कर पूरे देश (सिर्फ झारखंड नहीं) में जाे स्थान मिलना चाहिए था, नहीं मिला. 1875 में जन्म, 1900 में शहादत.

यानी जिंदगी सिर्फ 25 साल की. पर इन 25 सालाें में बिरसा मुंडा अपना काम कर गये आैर इतिहास में दर्ज हाे गये. गाैर करने की बात यह है कि बिरसा मुंडा सिर्फ झारखंड के आदिवासियाें के नायक नहीं थे. वे पूरे देश के नायक थे, जिन्हाेंने अंगरेजाें के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी. इस लड़ाई में उनके साथ सैकड़ाें लाेगाें ने कुर्बानी दी, लेकिन इन्हें काेई जानता तक नहीं है. न ही इन सभी के बारे में बताने का काेई प्रयास हुआ है. याद कीजिए गया मुंडा काे आैर उनके पूरे परिवार काे.

पूरा परिवार बहादुर. 6 जनवरी 1900 की एटकेडीह की घटना. खुद डिप्टी कमिश्नर गया मुंडा काे गिरफ्तार करने गये थे. अंदर गया मुंडा का पूरा परिवार. अंगरेजाें ने घर में आग लगा दी, ताकि गया मुंडा बाहर निकलें, ताे पकड़ा जाये. बड़ी संख्या में पुलिस, हथियार से लैस. गया मुंडा जब निकले, ताे हाथ में तलवार लेकर पुलिस पर किया हमला. डरे नहीं, झुके नहीं. कंधे में गाेली मारी गयी, पर लड़ना नहीं छाेड़ा, हार नहीं मानी. पत्नी मॉकी भी चुप नहीं बैठी थी. हाथ में लाठी लेकर कूद पड़ी. बेटा, बेटी, बहू सभी संघर्ष के मूड में निकले. किसी के हाथ में कुल्हाड़ी, किसी के हाथ में लाठी या तीर-धनुष.

महिलाएं एक हाथ में बच्चे काे संभाले थीं आैर दूसरे हाथ से लड़ रही थीं. ये थी पूरे परिवार की बहादुरी. भले ये लाेग पकड़ लिये गये, लेकिन इनकी बहादुरी से अंगरेज अफसराें के हाेश उड़ गये थे, लेकिन इस बहादुर परिवार की गाथा झारखंड के भी अधिकांश लाेग नहीं जानते. देश की बात ताे छाेड़ ही दीजिए. यह सही समय है, जब अपने ऐसे नायकाें काे उचित सम्मान दिलाने (इनके बारे में राज्य-देश काे बताना) का प्रयास हाेना चाहिए.

पर सच क्या है? बिरसा मुंडा या अन्य शहीदाें के बारे में झारखंड में दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं. बिरसा मुंडा के नाम पर एयरपाेर्ट है, स्टेडियम है, जेल है, हाेटल है, दुकान है, पर काेई ऐसा शाेध संस्थान नहीं है, आर्काइव्स नहीं है, जहां से जानकारी मिल सके. अगर कुमार सुरेश सिंह (आइएएस) आैर एसपी सिन्हा ने बिरसा पर काम नहीं किया हाेता, ताे दुनिया काे बिरसा मुंडा के बारे में काेई जानकारी ही नहीं मिल पाती. अब एेसे प्रयास नहीं हाे रहे हैं. बिरसा काे गये 117 साल हाे गये.

रांची जेल में 9 जून 1900 काे उन्हाेंने अंतिम सांस ली थी. अंगरेज अफसराें ने कहा : डायरिया से माैत हुई. लाेगाें की राय थी कि बिरसा काे जहर देकर जेल में मारा गया. सच क्या है, किसी काे पता नहीं चला. सच ताे सामने आना ही चाहिए. सरकार बनती रही, जाती रही, पर किसी ने इस संबंध में काेई प्रयास नहीं हुआ. चाहे वह झारखंड बनने के पहले का मामला हाे या बनने के बाद का.

झारखंड वीर शहीदाें की धरती है. भले ही इतिहास ऐसे शहीदाें के प्रति न्याय नहीं कर पाया हाे, लेकिन अंगरेजाें ने दस्तावेजाें में कहीं न कहीं इनका उल्लेख किया है. बिरसा मुंडा ने अंतिम लड़ाई में मिशनरी काे भी निशाना बनाया था. जमींदाराें-शाेषकाें के अलावा अंगरेजाें व पुलिस पर भी हमला किया था.

चर्च से जुड़े कई लाेगाें ने जब किताबें लिखीं, अपनी डायरी लिखी, ताे उसमें इस घटना का उल्लेख किया. अगर अंगरेजाें ने उल्लेख नहीं किया हाेता, ताे शायद आज देश बिरसा मुंडा या उनके साथियाें काे जान नहीं पाता. तसवीर नहीं ली हाेती, ताे शायद बिरसा की काेई तसवीर आज हम सब देख नहीं पाते. देश-दुनिया में बिरसा मुंडा से संबंधित जाे कुछ दस्तावेज हैं, उसमें इस बात का उल्लेख है कि बिरसा मुंडा के उलगुलान में डेमखानेल के धैर्या मुंडा शामिल थे, जिनकी जेल में माैत हाे गयी थी.

जनुमपीरी के नरसिंह मुंडा, सिंहभूम के माल्का मुंडा आैर सुखराम मुंडा, सांडे मुंडा, साेब्राय मुंडा ने शहादत दी थी. इनमें से कुछ सईल रकब की लड़ाई में मारे गये थे, कुछ ने सजा के दाैरान जेल में दम ताेड़ा था. दस्तावेज ताे बताता है कि सईल रकब की लड़ाई में महिलाआें ने भी हिस्सा लिया था. पुलिस की गाेली से तीन महिलाआें की माैत भी हुई थी, लेकिन देश यह नहीं जानता कि ये तीनाें महिलाएं काैन थीं. यहां मैं सिर्फ बिरसा मुंडा के उलगुलान से जुड़े नायकाें का ही जिक्र कर रहा हूं.

आदिवासियाें के पूरे संघर्ष में शहीद लाेगाें की सूची अलग है, लंबी है. इसके अलावा 1942 में सैकड़ाें लाेग झारखंड में मारे गये, इनमें आदिवासी भी थे, गैर-आदिवासी भी थे. किसी पर विस्तार से काम नहीं हुआ है. बिरसा के संघर्ष के अभी सिर्फ 117 साल हुए हैं आैर अभी भी देश-दुनिया में कुछ दस्तावेज सुरक्षित हैं.

इन पर काम करने की जरूरत है, ताकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शहादत देनेवाले या याेगदान देनेवाले गुमनाम नायक-नायिकाआें के याेगदान काे सामने लाया जा सके, उनकी पहचान की जा सके. राजनाथ सिंह या अमित शाह जैसे ताकतवर राजनीतिज्ञाें की उलिहातू यात्रा के बाद ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि राष्ट्र अब अपने गुमनाम नायकाें की खाेज में निकल पड़ा है, जिसके सकारात्मक परिणाम निकलेंगे.

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels