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जगन्नाथ मंदिर के खजाने में क्या कुछ है खास, ASI ‘भीतर रत्न भंडार’ खोलने के लिए प्रशासन को लिखा पत्र

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के मंदिर का 'भीतर रत्न भंडार' खोलने की अपील की है. एएसआई की ओर से लिखे पत्र में कहा कि रत्न भंडार (कोषागार) के आंतरिक कक्ष को इसकी स्थिति और संरचना पर जलवायु के किसी भी संभावित प्रभाव का निरीक्षण करने के लिए खोला जाना चाहिए.

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (Jagannath Temple Administration) से ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के मंदिर का ‘भीतर रत्न भंडार’ खोलने की अपील की है. एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् ने एसजेटीए के मुख्य प्रशासक को लिखे पत्र में कहा कि रत्न भंडार (कोषागार) के आंतरिक कक्ष को इसकी स्थिति और संरचना पर जलवायु के किसी भी संभावित प्रभाव का निरीक्षण करने के लिए खोला जाना चाहिए.

एएसआई ने लिखा पत्र

एएसआई ने राज्य के कानून विभाग और पुरातात्विक अनुसंधान एवं देश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए जिम्मेदार प्रमुख संगठन के महानिदेशक को भी इस पत्र की प्रतियां भेजी हैं. एएसआई का यह पत्र मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गजपति महाराज दिव्यसिंह देब की ओर से ‘रत्न भंडार’ को खोलने का आग्रह किए जाने के बाद आया है.

भीतर रत्न भंडार खोलने की मांग

मंदिर प्रबंधन समिति ने छह जुलाई को हुई अपनी बैठक में रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष को खोलने का मुद्दा भी उठाया था. जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में कम से कम दो कक्ष हैं. मंदिर सूत्रों के मुताबिक, ‘बाहर भंडार’ में देवी-देवताओं की ओर से रोजाना धारण किए जाने वाले आभूषण रखे जाते हैं, जबकि ‘भीतर भंडार’ में अन्य जेवरात सहेजे गए हैं.

रत्न भंडार के भीतरी कक्ष को खोलने का प्रयास

उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश पर अप्रैल 2018 में ‘रत्न भंडार’ के भीतरी कक्ष को खोलने का प्रयास किया गया था, लेकिन चाबी न मिलने के कारण इसमें सफलता हासिल नहीं हो सकी थी. लिहाजा एएसआई अधिकारियों, पुजारियों और अन्य लोगों की एक टीम ने बाहर से ही रत्न भंडार का निरीक्षण किया था. इससे पहले, भगवान जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 1978 और 1982 में खोला गया था. (भाषा)

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जगन्नाथ मंदिर का इतिहास

पुरी का श्री जगन्नाथ मन्दिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है. यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है. जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है. इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है. इस मन्दिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है. यह वैष्णव सम्प्रदाय का मन्दिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है. इस मन्दिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है. इसमें मन्दिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं.

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