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Uttarakhand Politics Explained : त्रिवेंद्र, तीरथ और अब पुष्कर क्यों बदल रहे हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, पढ़ें पूरी कहानी

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uttarakhand new cm uttarakhand crisis 2021 uttarakhand assembly elections uttarakhand political crisis Why are Trivendra, Tirath and now Pushkar changing the Chief Minister of Uttarakhand,read the full story uttarakhand politics explained भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तराखंड की राजनीति में उथल पुथल नयी नहीं है. इसी साल 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत को हटाकर मुख्यमंत्री बने थे. अभी ठीक से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे नहीं कि तीरथ सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और पुष्कर सिंह धामी को नया मुख्यमंत्री बनाया गया.

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तीरथ सिंह रावत ने कहीं से चुनाव नहीं लड़ा वह जीतकर विधानसभा नहीं पहुंचे इसके बावजूद भी वह मुख्यमंत्री बन गये, इस बड़े बदलाव के पीछे की वजह क्या थी ? क्यों त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी चली गयी ? उत्तराखंड की राजनीति में बार- बार आ रहे उबाल की असल वजह क्या है ? सवाल कई हैं, आइये इन सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.

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उत्तराखंड में क्यों हो रहा है बदलाव 

भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तराखंड की राजनीति में उथल पुथल नयी नहीं है. इसी साल 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत को हटाकर मुख्यमंत्री बने थे. अभी ठीक से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे नहीं कि तीरथ सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और पुष्कर सिंह धामी को नया मुख्यमंत्री बनाया गया. उत्तराखंड की राजनीति में ऐसा क्या है कि इतनी जल्दी और आसानी से मुख्यमंत्री बदल दिये जा रहे हैं. अब सवाल है कि नये मुख्यमंत्री जनता से किये गये वादों को कितना पूरा कर सकेंगे.

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क्यों चली गयी तीरथ सिंह रावत की कुर्सी 

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड की राजनीति की समझ रखने वाले कई लोगों के मन में यह सवाल है कि ऐसा क्या हो रहा है कि इतनी जल्दी राजनीति पलट रही है. क्विंट में छपी एक खबर के अनुसार इसका एक कारण यह हो सकता है कि तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनने के बाद किसी सीट से जीत कर आना जरूरी थी. इसके लिए छह महीने का समय दिया जाता है जो सितंबर में पूरा हो रहा था.

अब इसमें सबसे बड़ी परेशानी थी कि कोरोना संक्रमण की वजह से चुनाव आयोग ने सारे उपचुनाव को रद्द कर दिया. इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि उत्तराखंड में चुनाव एक साल बाद ही चुनाव होना है. हालांकि यह कारण सिर्फ एक संदेह या बहाना बनकर भी रह सकता है क्योंकि अगर केंद्र सरकार यह अपील करती कि राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो जायेगा और चुनाव जरूरी है तो इस पर चुनाव आयोग विचार कर सकता था.

त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी पर क्यों आया संकट  ? 

अगर उत्तराखंड के हालात को और राजनीतिक सरगर्मी पर नजर डालें तो पायेंगे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए कुंभ पर नियंत्रण की कोशिश की. भारतीय जनता पार्टी के लिए यह एक बड़ा वोट बैंक है.

महाकुंभ में कई तरह की पाबंदियों को लेकर राज्य में प्रदर्शन होने लगे. ऐसे में तीरथ सिंह रावत सामने आये और कहा, कुंभ में कोई भी आ सकता है, इसमें किसी तरह की रोक नहीं है. उनके इस बयान की खूब चर्चा हुई कुछ दिनों के बाद तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बन गये. उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए नियमों का पालन भी नहीं किया, लोगों को खुली छूट दी. महाकुंभ में जब कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा तो कोर्ट को सामने आकर पाबंदियों का आदेश देना पड़ा.

बयान और विवादों का पूर्व सीएम से रिश्ता 

मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके कई बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिनमें फटी हुई जींस को लेकर उन्होंने सवाल खड़ा किया. इसके बाद उन्होंने ज्यादा बच्चों को लेकर बयान दे दिया जिसमें कहा कि अगर आपको ज्यादा राशन चाहिए तो 20 बच्चे पैदा कीजिए . उनके इन बयानों ने खूब सुर्खियां बटोरी, भाजपा को भी लगा कि इन बयानों की वजह से पार्टी को नुकसान हो सकता है. यह एक बड़ा कारण हो सकता है .

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द क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार सबसे बड़ा सवाल है कि तीरथ सिंह रावत कैसे मुख्यमंत्री बने जब कि उन्होंने कहीं से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा. ऐसे में तीरथ सिंह रावत का मुख्यमंत्री बनना केंद्रीय नेतृत्व की सहमति के बगैर संभव नहीं है. इसके अलावा यहां भाजपा पूरी तरह कंट्रोल रखना चाहती है रिपोर्ट के अनुसार संघ ने भी तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जोर दिया. रावत पर भाजपा और संघ दोनों ने भरोसा जताया जिसका परिणाम हुआ कि उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया. अब पुष्कर सिंह धामी को सत्ता मिली है ऐसे में उनके पास ढेर सारी जिम्मेदारियां हैं.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

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