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Uphaar Fire Case: गोपाल अंसल ने HC में दायर की याचिका, इस मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को दी चुनौती

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Uphaar Fire Tragedy: सबूतों से छेड़छाड़ मामले में दोषी ठहराए जाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ रीयल एस्टेट व्यवसायी गोपाल अंसल ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.

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Uphaar Fire Tragedy: उपहार सिनेमा अग्निकांड में सबूतों से छेड़छाड़ मामले में दोषी ठहराए जाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ रीयल एस्टेट व्यवसायी गोपाल अंसल ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने व्यवसायी गोपाल अंसल एवं अन्य संबद्ध मामलों का उल्लेख किया और उसे नियमित सूची में सूचीबद्ध किया.

कोर्ट ने सुनाई थी 7 साल जेल की सजा

बता दें कि उपहार सिनेमा में भीषण आग लगने की घटना 13 जून, 1997 को हुई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गयी थी. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने 18 जुलाई को आदेश जारी करते हुए गोपल अंसल को दोषी ठहराया था. गोपाल अंसल ने ट्रायल कोर्ट के इसी आदेश को चुनौती दी है. एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 8 नवंबर, 2021 को अंसल बंधुओं, सुशील और गोपाल अंसल को 7 साल जेल की सजा सुनाई थी. जिला न्यायाधीश ने इस वर्ष 19 जुलाई को सजा पर मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को संशोधित किया था और अंसल बंधुओं सुशील और गोपाल अंसल, अदालत के पूर्व कर्मी दिनेश चंद्र शर्मा एवं अंसल के तत्कालीन कर्मचारी बत्रा को उनकी पहले ही काट ली गयी जेल की सजा से समायोजित करते हुए रिहा करने का आदेश दिया था.

कोर्ट ने लगाया था आर्थिक जुर्माना

कोर्ट ने सुशील और गोपाल अंसल पर 3-3 करोड़ रुपये, बत्रा पर 30 हजार रुपये और शर्मा पर 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. बत्रा ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका में दलील दी है कि कानून और मामले के तात्कालिक तथ्यों के मल्यांकन के स्पष्ट अभाव में आदेश यांत्रिक तरीके से पारित किया गया है. उन्होंने कहा कि कथित साजिश में उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए जरा भी सबूत नहीं है. निचली अदालत ने अंसल बंधुओं की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए सह आरोपी अनूप सिंह को बरी कर दिया था. यह मामला मुख्य मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ से संबंधित है, जिसमें अंसल बंधुओं को दोषी ठहराया गया था और कोर्ट ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. 20 जुलाई, 2002 को पहली बार छेड़छाड़ का पता चला और दिनेश चंद्र शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई तथा 25 जून 2004 को उन्हें निलंबित कर दिया गया और बाद में सेवा समाप्त कर दी गयी.

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