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UNICEF: आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन बच्चों के लिए बनेगा परेशानी का सबब

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यूनिसेफ द्वारा जारी 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024' रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. 'बदलती दुनिया में बच्चों का भविष्य' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2050 तक दुनिया में बच्चों की आबादी लगभग 2.3 बिलियन (230 करोड़) होने की संभावना है. लेकिन बच्चों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना होगा.

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UNICEF: आने वाले समय में बच्चों के समक्ष चुनौतियां बढ़ने वाली है. जलवायु परिवर्तन का बच्चों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और बदलती तकनीक भी उनकी मुसीबत बढ़ा सकते हैं. आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर आबादी में बच्चों की संख्या कम होने की संभावना है. बुधवार को यूनिसेफ द्वारा जारी ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024’ रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. ‘बदलती दुनिया में बच्चों का भविष्य’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2050 तक दुनिया में बच्चों की आबादी लगभग 2.3 बिलियन (230 करोड़) होने की संभावना है.

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वर्ष 2050 तक बच्चों की वैश्विक जनसंख्या में एक-तिहाई से अधिक हिस्सेदारी भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान की होगी. वर्ष 2050 में मौजूदा समय के मुकाबले बच्चों की संख्या में 10.6 करोड़ की कमी होगी, इसके बावजूद भारत में बच्चों की आबादी 35 करोड़ होगी. यूनिसेफ की भारत प्रतिनिधि सिंथिया मैकैफे ने रिपोर्ट में जारी अनुमानों पर कहा कि ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024’ रिपोर्ट में हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि बेहतर होती दुनिया में हम कैसे एक शानदार भविष्य बना सकते हैं जहां हर बच्चा अपने अधिकारों को सुरक्षित कर सके.

मौजूदा समय में लिए गए फैसले वर्ष 2050 में हमारे बच्चों को विरासत में मिली दुनिया को आकार देंगे. इसलिए हमारे पास सभी बच्चों के लिए एक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य बनाने का अवसर और जिम्मेदारी है.  ऐसे में सरकारों को नीति बनाने में बच्चों के अधिकारों को प्राथमिकता देनी होगी.

  
जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहा है खतरा


 रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 100 करोड़ बच्चे पहले से ही जलवायु संबंधी खतरों के अधिक जोखिम वाले देशों में रहते हैं. अगर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो यह आंकड़ा और अधिक हो सकता है. बच्चे जलवायु और पर्यावरणीय संकट के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, विशेष रूप से वे बच्चे जो ग्रामीण और कम आय वाले समुदाय में रहते हैं. जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों से बहुत अधिक गर्मी, बाढ़, जंगल में आग और चक्रवात जैसी घटनाओं में आठ गुना वृद्धि होने का अनुमान है और इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ेगा.

जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियां बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और शुद्ध पेयजल जैसी मूलभूत जरूरतों प्रतिकूल असर डालेगी. बच्चों के जलवायु जोखिम सूचकांक (सीसीआरआई) के अनुसार वर्ष 2021 में वैश्विक स्तर पर 163 रैंक वाले देशों में से भारत 26वें स्थान पर था. द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) के पृथ्वी विज्ञान और जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के निदेशक सुरुचि भदवाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, दोनों माध्यम से अलग-अलग प्रभाव डालता है, जिससे वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं. 

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में बच्चों को शामिल करने की सख्त जरूरत है. यही नहीं आजकल के बच्चे नयी तकनीक के साथ बड़े हो रहे हैं. नये-नये ऐप्स, गैजेट्स, वर्चुअल असिस्टेंट, गेम्स और लर्निंग सॉफ्टवेयर में जुड़ी एआई तकनीक ने बच्चों के सामने रचनात्मकता की नई दुनिया खोल दी है. लेकिन यह भी सच है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी टेक्नोलॉजी बच्चों के लिए अच्छी उम्मीद और जोखिम अवसर मुहैया करा रही है. बच्चों में डिजिटल विभाजन साफ तौर पर देखा जा सकता है. वर्ष 2024 में उच्च आय वाले देशों में 95 फीसदी से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं, जबकि कम आय वाले देशों में लगभग 26 फीसदी लोग ही इंटरनेट से जुड़े हुए हैं.


भारत को बनानी होगी भावी योजना


रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल वैश्विक बाल आबादी का 15 फीसदी भारत में होगा. ऐसे में भारत के लिए भविष्य की योजना बनानी होगी ताकि बच्चे अपनी पूरी क्षमता हासिल कर सकें. यह सही है कि भारत ने बच्चों के अधिकारों की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है. लेकिन आने वाले समय में स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल और नौकरी के अवसरों में निरंतर बाल केंद्रित निवेश के माध्यम से चुनौतियों का सामना करना होगा.

हर बच्चे की प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच के लिए डिजिटल विभाजन की खाई को पाटना होगा. आने वाले दशकों में भारत की लगभग आधी आबादी के शहरी क्षेत्रों में रहने का अनुमान है. बच्चों के अनुकूल टिकाऊ शहरी बुनियादी ढांचे में निवेश की आवश्यकता होगी. जलवायु परिवर्तन एक बाल अधिकार संकट है जो हमारे स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र कल्याण को प्रभावित कर रहा है.

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