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भोपाल गैस त्रासदी: केंद्र को झटका, मुआवजा बढ़ाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

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भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए मुआवजा बढ़ाने की याचिका मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने याचिका खारिज करने हुए जानें क्या कहा

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सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने वाली केंद्र की सुधारात्मक याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए आरबीआई के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल सरकार लंबित दावों को पूरा करने के लिए करे.


3,000 से अधिक लोग मारे गये थे

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी कंपनियों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये की मांग वाली केंद्र की उपचारात्मक याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया. आपको बता दें कि इस त्रासदी में 3,000 से अधिक लोग मारे गये थे और पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा था.

दो दशक बाद केंद्र द्वारा इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि समझौते के दो दशक बाद केंद्र द्वारा इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं बनता. शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ितों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल केंद्र सरकार लंबित दावों को पूरा करने के लिए करे.

केंद्र सरकार के किसी भी तर्क से संतुष्ट नहीं

पीठ ने कहा कि हम दो दशकों बाद इस मुद्दे को उठाने के केंद्र सरकार के किसी भी तर्क से संतुष्ट नहीं हैं… हमारा मानना है कि उपचारात्मक याचिकाओं पर विचार नहीं किया जा सकता है. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी भी शामिल हैं. पीठ ने मामले पर 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रखा था.

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केंद्र 1989 में हुए समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिकी कंपनी से प्राप्त 715 करोड़ रुपये के अलावा अमेरिका स्थित यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये और चाहता है. मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए केंद्र ने दिसंबर 2010 में शीर्ष अदालत में उपचारात्मक याचिका दायर की थी. केंद्र इस बात पर जोर देता रहा है कि 1989 में मानव जीवन और पर्यावरण को हुई वास्तविक क्षति का ठीक से आकलन नहीं किया जा सका था.

मिथाइल आइसोसायनेट गैस का हुआ था रिसाव

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड संयंत्र से दो-तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस का रिसाव होने लगा था जिसके कारण 3000 से अधिक लोग मारे गये थे, 1.02 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे और पर्यावरण को गंभीर नुकसान हुआ था. यूनियन कार्बाइड संयंत्र ने तब 47 करोड़ डॉलर का मुआवजा दिया था। इस कंपनी का स्वामित्व अब डाउ जोन्स के पास है.

भाषा इनपुट के साथ

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