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कोरोना वायरस के कारण विदेशों में पढ़ाई करने का सपना देख रहे छात्रों का टूट रहा है मनोबल

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कोरोना संक्रामक रोग के कारण विदेशों में पढ़ने के सपनों पर मंडराने लगे हैं अनिश्चितता के बादल

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ऑस्ट्रेलिया के डीकिन विश्वविद्यालय से स्वीकृति पत्र मिलने के बाद 21 वर्षीय तृप्ति लूथरा एक महीने पहले सातवें आसमान पर थी लेकिन अब कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बारे में दुनियाभर से आ रही ताजा खबरों को जानने के लिए पूरे दिन टीवी से चिपकी रहती है क्योंकि इस संक्रामक रोग के कारण विदेश में पढ़ने के उसके सपने पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं.

सितंबर से शुरू हो रहे सत्र के लिए न्यूयॉर्क में पढ़ने की तैयारी करने वाली अनुष्का रे के लिए ताजा घटनाक्रम मनोबल तोड़ने वाले हैं लेकिन इससे उसकी योजना नहीं डगमगाई है. बहरहाल, कनाडा तथा इटली के कई कॉलेजों से स्वीकृति पत्र प्राप्त करने वाली तारा ओसान का मानना है कि अब यह वक्त ‘प्लान बी’ तैयार करने और भारत के कॉलेजों में आवेदन देने का है. ऐसे कई छात्र हैं जिनकी विदेश में पढ़ाई करने की योजना विभिन्न देशों में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण या तो टूट गई है या उसमें देरी हो गई है.

कोविड-19 से पैदा हुई स्थिति के कारण दुनियाभर में कक्षाएं और वीजा प्रक्रिया निलंबित कर दी गई हैं. लूथरा ने कहा, ‘‘मेरी ऑस्ट्रेलिया में डीकिन विश्वविद्यालय से वास्तुकला में मास्टर्स करने की योजना थी. मुझे जल्द ही वहां जाना था और मैं अपनी स्नातक की परीक्षाएं खत्म होने का इंतजार कर रही थीं. मैं अपने लिए घर ढूंढने के साथ इंटर्नशिप तलाशने के लिए कक्षाएं शुरू होने से पहले वहां जाना चाहती थी. लेकिन अब लगता है कि वक्त ठहर गया है.” उसने कहा, ‘‘मैंने भारत के किसी कॉलेज में आवेदन नहीं किया था और आर्थिक मंदी के कारण यहां नौकरी या इंटर्नशिप करने का विकल्प भी दूर की कौड़ी लग रहा है.”

श्री राम स्कूल की छात्रा तारा ओसान इटली या कनाडा में विज्ञापन की पढ़ाई करना चाहती है. उसका मानना है कि आईबी पाठ्यक्रम चुनने वाले छात्र पहले ही विदेश में पढ़ने की योजना बना लेते हैं. उसने कहा, ‘‘विदेश में पढ़ना इस साल संभव नहीं लग रहा है और अब मैं प्लान बी तैयार करुंगी और यहां कॉलेजों में आवेदन करना शुरू करुंगी.” हालांकि, न्यूयॉर्क में लिबरल आर्ट्स की पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाली अनुष्का रे के लिए यह योजना अभी टली है लेकिन रद्द नहीं हुई है. ‘स्टडी अब्रॉड’ परामर्शकों के अनुसार, हालात गंभीर दिखते हैं और इसका कई लोगों की दीर्घकालीन योजनाओं पर असर पड़ सकता है.

दिल्ली में स्टडी अब्रॉड कंसल्टेंसी चलाने वाले अनुपम सिन्हा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘कई छात्रों को पहले ही दाखिला मिल गया है लेकिन अब कक्षाएं ऑनलाइन होने और स्थिति के बारे में कोई स्पष्टता न होने से वे पुन: विचार कर रहे हैं. अभी तक जो छात्र विदेश में रहना चाहते थे उन्हें सिर्फ ऑनलाइन कक्षाएं लेने के लिए भारी भरकम फीस देना आकर्षक विकल्प नहीं लग रहा है.

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