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देश के शीर्ष वकीलों ने कहा- ‘अखबार का वितरण रोकना कानूनन अपराध ‘

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देश के शीर्ष वकीलों ने अखबार वितरण पर रोक को गलत बताया है और कहा है कि अखबार का वितरण रोकना पूरी तरह गैर-कानूनी है और अखबार आवश्यक सेवा की श्रेणी में आता है.

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नयी दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के काम को आवश्यक सेवा बताया और जोर देकर कहा है कि अखबार का वितरण नहीं रूकना चाहिए. उन्होंने अखबार को लोगों तक सूचनाएं पहुंचाने का सशक्त माध्यम भी बताया था. अब देश के शीर्ष वकीलों ने भी अखबार वितरण पर रोक को गलत बताया है और कहा है कि अखबार का वितरण रोकना पूरी तरह गैर-कानूनी है और अखबार आवश्यक सेवा की श्रेणी में आता है.

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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान जेल में बंद कुलभूषण यादव मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में मुकदमा लड़ चुके हरीश साल्वे कहते हैं, ‘सोशल मीडिया के अफवाहों और प्रोपेगंडा के इस दौर में अखबार ही सबसे विश्वसनीय माध्यम है. अखबारों में जो लेख और समाचार होते हैं, वो जिम्मेदार लोगों द्वारा लिखा जाता है.’

वे आगे कहते हैं, ‘ऐसे समय में जब पूरा देश एक अदृश्य शत्रु से लड़ रहे हैं उस वक्त अखबार एक अत्यंत ही आवश्यक वस्तु है और मैं इस बात पर जोर देकर कहा रहा हूं कि अखबार आवश्यक सेवा की श्रेणी में आता है.

देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अखबार वितरण के सवाल पर कहते हैं, ‘ अखबार के वितरण पर रोक नहीं लगायी गया है. देश के किसी भी हिस्से में अखबार का प्रसारण ओर वितरण रोका नहीं जा सकता है.’

वहीं देश के सर्वोच्च वकीलों में शुमार और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी कहते हैं, ‘अखबार लेना लोगों का मूल अधिकार है. अगर इसे बंद किया जाता है तो, यह आम आदमी के अधिकार का हनन जैसा होगा.’

सरकार ने जारी किया था निर्देश– भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अखबारों को आवश्यक सेवाओं की लिस्ट में शामिल किया है. साथ ही सभी सरकारों को निर्देश दिया है कि अखबारों का वितरण आवश्यक सेवाओं के तहत आता है और इसके वितरण में किसी भी तरह की बाधा नहीं आनी चाहिए.

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