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वैक्सीनेशन को लेकर उदासीन हैं ज्यादातर ग्रामीण, खाली रह रहे हैं अधिकांश सेंटर, जानिए क्या है वजह

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कोरोना वैक्सीन नहीं लूंगा तो क्या मर जाउंगा, क्या इस वैक्सीन के लेने से मैं फेमस हो जाउंगा, मैं क्यों लूं वैक्सीन... कोरोना वैक्सीन को लेकर अधिकांश गांव वालों का यही कहना है. यहीं कारण है कि कोरोना का असर अब गांवों में ज्यादा दिखाई देने लगा है.

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कोरोना वैक्सीन नहीं लूंगा तो क्या मर जाउंगा, क्या इस वैक्सीन के लेने से मैं फेमस हो जाउंगा, मैं क्यों लूं वैक्सीन… कोरोना वैक्सीन को लेकर अधिकांश गांव वालों का यही कहना है. यहीं कारण है कि कोरोना का असर अब गांवों में ज्यादा दिखाई देने लगा है. ग्रामीण लोगों में एक तो वैक्सीन को लेकर कम दिलचस्पी है, दूसरी उनमें जानकारी का अभाव है, ऐसे में गांवों में वैक्सीनेशन में काफी परेशानी हो रही है.

बात करें यूपी की तो, यहां गांवों में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. लेकिन ग्रमीणों में कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई खास दिलतस्पी नहीं है. यूपी के महराजगंज इसी तरह स्वास्थ केन्द्र में टीकाकरण अभियान शुरू किया गया. लेकिन काफी इंतजार के बाद भी कोई भी गांववाला टीका लेने नहीं आया. ऐसे कई केन्द्र हैं जहां टीका होने के बाद भी कोई ग्रमीण वैक्सीन लेने नहीं आया है.

बिहार और झारखंड के गांवों की हालत भी इससे जुदा नहीं है. झारखंड के गुमला में भी यहीं हुआ. दरअसल, विशुनपुर गांव में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए वहां टीकाकरण करने पहुंची टीम को गांव वालों ने खदेड़ दिया. गांव की महिलाओं ने टीका देने आई एएनएम को लाठी लेकर दौड़ा दिया. जिससे बाद डरकर एएनएम गांव छोड़कर भाग गई. उसी तरह बिहार के गांवों में भी कमोबेश यहीं स्थिति है.

टीका को लेकर ग्रामीणों में अफवाह का आलमः ग्रामीणों में टीका को लेकर अफवाह का आलम है. इसके अलावा जिस तरह ग्रामीणों ने टीके को लेकर गलत भ्रांति पाल है वो उन्हें टीका लेने से रोक रहा है. एक ग्रामीण ने बताया कि उसने अभी तक विचार नहीं किया है कि उसे अभी वैक्सीन लेना है कि नहीं. उसके कहा कि अभी उसे नहीं लगता कि वैक्सीन लेनी चाहिए.

सर्वे से भी रोक रहे हैं ग्रामीणः वैक्सीन तो दूर की बात है कई गांवों में तो ग्रामीण सरकारी अधिकारियों को गांव का सर्वे करने से भी रोक रहे है. गुमला के छाता सराय गांव में आंगनबाड़ी सेविकाएं इलाके के लोगों की सर्दी, खांसी और बुखार को लेकर रिपोर्ट तैयार करने गयी थी, लेकिन गांव वालों ने कुल्हाड़ी लेकर सबको खदेड़ दिया.

जाहिर है जिस तरह से शहरों में रहने वाले लोग वैक्सीन को लेकर जागरुक हैं, इससे इतर ग्रामीण लोगों मेंवैक्सीन को लेकर अज्ञानता और भ्रांतिया बहुत ज्यादा है. वैक्सीनेशन कार्यक्रम को गांव के लोग शक की दृष्टी से देख रहे है. यूपी, बिहार झारखंड, एमपी हरियाणा समेत कई राज्यों की हालत है. हालांकि सरकार जगरुकता कार्यक्रम चला रही है, लेकिन उसका असर अभी कुछ ही गांवों में पड़ा है. औऱ कुछ ग्रामीण ही जागरूक गहगए हैं.

Also Read: कोरोना संक्रमितों को 6 महीने बाद दिए जाएं वैक्सीन, कोविशील्ड के टीकों के बीच इतने समय का हो अंतर, जानें- एनटीएजीआई ने और क्या कहा

Posted by: Pritish Sahay

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