21.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 10:51 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Explainer: पाकिस्तान से भाग कर आयी महिला सीमा हैदर को मिल सकती है भारतीय नागरिकता! जानिए क्या है प्रावधान?

Advertisement

कानून के जानकार कहते हैं यदि महिला ने भारतीय नागरिक सचिन से शादी की है और वह वैध है तो सरकार को उसे नागरिकता देने में कोई दिक्कत नहीं होगी. हालांकि, पुलिस ने महिला पर अवैध रूप से भारत में आने का मामला दर्ज किया है, उसकी जांच अलग चलती रहेगी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पाकिस्तान से भाग कर भारत आयी महिला सीमा हैदर को जमानत तो मिल गई है मगर सवाल अब भी वही है कि क्या उसे भारत की नागरिकता मेल पाएगी? सीमा का कहना है की अब वो मुसलमान से हिन्दू बन गयीं हैं. अगर अब उसे पाकिस्तान भेज दिया जाएगा तो उसकी जान को खतरा हो सकता है.

सीमा हैदर ने लगाई भारतीय नागरिकता देने की गुहार 

सीमा हैदर का कहना है कि उसने उत्तर प्रदेश निवासी सचिन के साथ नेपाल के एक मंदिर में रीति-रिवाज के साथ शादी की है और वो अब पाकिस्तान जाना नहीं चाहती. उसके खुद का और अपने बच्चों का धर्म भी बदल दिया है साथ ही भारत सरकार से भारतीय नागरिकता की गुहार लगाई है. ऐसे में क्या है ये संभव है की सीमा हैदर को भारत की नागरिकता मिल जाए?

सीमा हैदर को मिल सकती है भारतीय नागरिकता!

कानून के जानकार कहते हैं यदि महिला ने भारतीय नागरिक सचिन से शादी की है और वह वैध है तो सरकार को उसे नागरिकता देने में कोई दिक्कत नहीं होगी. हालांकि, पुलिस ने महिला पर अवैध रूप से भारत में आने का मामला दर्ज किया है, उसकी जांच अलग चलती रहेगी. लेकिन महिला अगर यहां की नागरिकता के लिए मांग करती है तो उसे यह दी जा सकती है. बच्चों के लिए उन्हें एडॉप्शन डील करानी पड़ेगी जिसके तहत बच्चों को उनके साथ रहने की परमिशन मिल जाएगी और आगे उन्हें भी नागरिकता मिल सकती है.

भारतीय नागरिकता के लिए प्रावधान 

संविधान का भाग II, अनुच्छेद 5-11, नागरिकता से संबंधित है. हालाँकि इसमें इस संबंध में न तो कोई स्थायी और न ही कोई विस्तृत प्रावधान है. यह केवल उन व्यक्तियों की पहचान करता है जो इसके प्रारंभ में (यानी 26 जनवरी, 1950 को) भारत के नागरिक बन गए थे. यह इसके प्रारंभ होने के पश्चात् नागरिकता पाने या समाप्त होने की समस्या से संबंधित नहीं है. यह संसद को ऐसे मामलों और नागरिकता से संबंधित किसी भी अन्य मामले के लिये कानून बनाने का अधिकार देता है. तदनुसार संसद ने नागरिकता अधिनियम (वर्ष 1955) अधिनियमित किया है, जिसमें समय-समय पर संशोधन किया गया है.

नागरिकता व्यक्ति और राज्य के बीच संबंध को दर्शाती है

किसी भी अन्य आधुनिक राज्य की तरह, भारत में भी दो तरह के लोग हैं- नागरिक और विदेशी. नागरिक भारतीय राज्य के पूर्ण सदस्य हैं और इसके प्रति निष्ठावान हैं. उन्हें सभी नागरिक और राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं. ‘नागरिकता’ बहिष्कार का एक विचार है क्योंकि इसमें गैर-नागरिकों को शामिल नहीं किया गया है.

नागरिकता प्रदान करने के दो प्रसिद्ध सिद्धांत हैं

जहाँ ‘‘jus soli’ जन्म स्थान के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है, वहीं ‘jus sanguinis’ रक्त संबंधों को मान्यता देता है. मोतीलाल नेहरू समिति (वर्ष 1928) के समय से ही भारतीय नेतृत्व ‘jus soli’ की प्रबुद्ध अवधारणा के पक्ष में था. ‘jus sanguinis’ के नस्लीय विचार को भी संविधान सभा ने खारिज कर दिया था क्योंकि यह भारतीय लोकाचार के खिलाफ था.

यह नागरिकता अधिनियम कैसे अस्तित्व में आया?

भारत में नागरिकता का अधिकार इसकी स्वतंत्रता के बाद ही शुरू हुआ. ब्रिटिश शासन ने ऐसा कोई अधिकार प्रदान नहीं किया, स्वतंत्रता पूर्व युग में ब्रिटिश नागरिकता और वर्ष 1914 का विदेशी अधिकार अधिनियम था, जिसे वर्ष 1948 में निरस्त कर दिया गया था. ब्रिटिश राष्ट्रीयता अधिनियम के तहत भारतीयों को नागरिकता के बिना अस्थायी रूप से ब्रिटिश विषयों के रूप में वर्गीकृत किया गया था. वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान को अलग करने वाली नई सीमाओं के पार बड़े पैमाने पर जनसंख्या की आवाजाही हुई. लोग अपनी पसंद के देश में रहने और उस देश की नागरिकता हासिल करने के लिये स्वतंत्र हुए. इस संदर्भ में संविधान सभा ने इन प्रवासियों की नागरिकता के निर्धारण के तात्कालिक उद्देश्य को संबोधित करने के लिये संविधान के नागरिकता प्रावधानों के दायरे को सीमित कर दिया. बाद में वर्ष 1955 में संसद द्वारा अधिनियमित नागरिकता अधिनियम ने नागरिकता की आवश्यकताओं और पात्रता के लिये विशिष्ट प्रावधान किये.

भारतीय नागरिकता का प्राप्त करने के मानदंड क्या हैं?

वर्ष 1955 का नागरिकता अधिनियम नागरिकता प्राप्त करने के पाँच तरीकों को निर्धारित करता है, जैसे जन्म, वंश, पंजीकरण, देशीयकरण और क्षेत्र का समावेश. जन्म से: 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई, 1987 से पहले भारत में पैदा हुआ व्यक्ति जन्म से भारत का नागरिक है, भले ही उसके माता-पिता की राष्ट्रीयता कुछ भी हो. 1 जुलाई, 1987 को या उसके बाद भारत में पैदा हुए व्यक्ति को भारत का नागरिक तभी माना जाता है, जब उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो. इसके अलावा 3 दिसंबर, 2004 को या उसके बाद भारत में जन्म लेने वालों को भारत का नागरिक तभी माना जाता है, जब उनके माता-पिता दोनों भारत के नागरिक हों या जिनके माता-पिता में से एक भारत का नागरिक हो और दूसरा बच्चे के जन्म के अवैध प्रवासी न हो. भारत में तैनात विदेशी राजनयिकों के बच्चे और दुश्मन एलियंस जन्म से भारतीय नागरिकता हासिल नहीं कर सकते हैं.

पंजीकरण द्वारा

केंद्र सरकार, एक आवेदन पर, भारत के नागरिक के रूप में किसी भी व्यक्ति (अवैध प्रवासी नहीं होने पर) को पंजीकृत कर सकती है, यदि वह निम्नलिखित में से किसी भी श्रेणी से संबंधित है: भारतीय मूल का एक व्यक्ति जो पंजीकरण के लिये आवेदन करने से पहले सात साल से भारत में सामान्य रूप से निवासी है; भारतीय मूल का एक व्यक्ति जो अविभाजित भारत के बाहर किसी भी देश या स्थान में सामान्य रूप से निवासी है; एक व्यक्ति जो भारत के नागरिक से विवाहित है और पंजीकरण के लिये आवेदन करने से पहले सात साल से भारत में सामान्य रूप से निवासी है; व्यक्तियों के नाबालिग बच्चे जो भारत के नागरिक हैं; पूर्ण आयु और क्षमता का व्यक्ति जिसके माता-पिता भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हैं; पूर्ण आयु और क्षमता का व्यक्ति, जो या उसके माता-पिता में से कोई भी स्वतंत्र भारत का एक पूर्व नागरिक था और पंजीकरण के लिये आवेदन करने से ठीक पहले बारह महीने से भारत में सामान्य रूप से निवासी है; पूर्ण आयु और क्षमता का व्यक्ति जो पाँच साल के लिये भारत के कार्डधारक के एक विदेशी नागरिक के रूप में पंजीकृत है, और जो पंजीकरण के लिये आवेदन करने से पहले बारह महीने के लिये भारत में सामान्य रूप से निवासी है. एक व्यक्ति को भारतीय मूल का माना जाएगा यदि वह या उसके माता-पिता में से कोई एक अविभाजित भारत में या ऐसे अन्य क्षेत्र में पैदा हुआ था जो 15 अगस्त, 1947 के बाद भारत का हिस्सा बन गया. भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत होने से पहले उपरोक्त सभी श्रेणियों के व्यक्तियों को निष्ठा की शपथ लेनी होगी.

वंश द्वारा

26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद लेकिन 10 दिसंबर, 1992 से पहले भारत के बाहर पैदा हुआ व्यक्ति वंश से भारत का नागरिक है, यदि उसके पिता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक थे. 10 दिसंबर, 1992 को या उसके बाद भारत से बाहर पैदा हुए व्यक्ति को भारत का नागरिक माना जाता है यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो. अगर भारत के बाहर या 3 दिसंबर, 2004 के बाद पैदा हुए व्यक्ति को नागरिकता हासिल करनी है तो उसके माता-पिता को यह घोषित करना होगा कि नाबालिग के पास दूसरे देश का पासपोर्ट नहीं है और उसका जन्म एक साल के भीतर भारतीय वाणिज्य दूतावास में पंजीकृत है. जन्म की.

प्राकृतिककरण द्वारा

एक व्यक्ति प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता प्राप्त कर सकता है यदि वह 12 साल (आवेदन की तारीख से 12 महीने पहले और कुल मिलाकर 11 साल) के लिये भारत का निवासी है और नागरिकता अधिनियम की तीसरी अनुसूची में सभी योग्यताओं को पूरा करता है.

प्रादेशिक निगमन द्वारा

यदि कोई विदेशी क्षेत्र भारत का हिस्सा बन जाता है तो भारत सरकार उन व्यक्तियों को निर्दिष्ट करती है जो उस क्षेत्र के लोगों में से भारत के नागरिक होंगे. ऐसे व्यक्ति अधिसूचित तिथि से भारत के नागरिक बन जाते हैं. अधिनियम दोहरी नागरिकता या दोहरी राष्ट्रीयता प्रदान नहीं करता है. यह केवल उपरोक्त प्रावधानों के तहत सूचीबद्ध व्यक्ति के लिये नागरिकता की अनुमति देता है: जन्म, वंश, पंजीकरण, देशीयकरण

क्षेत्रीय निगमन द्वारा

इस अधिनियम में वर्ष 1986, 1992, 2003, 2005, 2015 और 2019 में चार बार संशोधन किया गया है. इन संशोधनों के माध्यम से संसद ने जन्म के तथ्य के आधार पर नागरिकता के व्यापक और सार्वभौमिक सिद्धांतों को संकुचित कर दिया है. इसके अलावा ‘विदेशी अधिनियम’ व्यक्ति पर यह साबित करने का भार डालता है कि वह विदेशी नहीं है.

दृष्टि IAS के लेख के साथ.

Also Read: Explainer: क्या है धारा-370 का इतिहास, जिसे निरस्त करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC करेगा सुनवाई

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें