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कर्नाटक में SC को 17 और ST को 7 फीसदी आरक्षण, कैबिनेट ने अध्यादेश को दी मंजूरी

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कर्नाटक कैबिनेट ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण को 15 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी और अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षण को 3 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी करने के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. सरकार के इस फैसले के बाद कर्नाटक में आरक्षण की सीमा बढ़कर 56 फीसदी तक पहुंच जाएगी.

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कर्नाटक कैबिनेट ने एक बड़े फैसले को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षण को बढ़ा दिया है. कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण को 15 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी और अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षण को 3 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी करने के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. कर्नाटक के सीएम बसव राज बोम्मई ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है.

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गौरतलब है कि इससे पहले कर्नाटक मंत्रिमंडल ने आठ अक्टूबर को एससी/एसटी कोटा बढ़ाने के लिए अपनी औपचारिक मंजूरी दे दी थी. सरकार के इस फैसले के बाद कर्नाटक में आरक्षण की सीमा बढ़कर 56 फीसदी तक पहुंच जाएगी. गौरतलब है कि इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय की थी. अब कर्नाटक कैबिनेट के इस फैसले के बाद यह सीमा 50 फीसदी से भी ऊपर हो जाएगी.

सरकार करेगी कोटा वृद्धि की शिफारिश: कर्नाटक में आरक्षण की सीमा बढ़कर 56 फीसदी हो गयी है. ऐसे में राज्य सरकार आने वाले दिनों में इसे कानूनी संरक्षण देने के लिए संविधान की 9वीं अनुसूची के तहत कोटा वृद्धि लाने की सिफारिश करेगी. कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री जे. सी. मधुस्वामी कहा है कि ‘एससी/एसटी आरक्षण बढ़ाने के फैसले के बाद हमने मंत्रिमंडल के सामने इसको एक विधेयक पेश किया और इसे राज्यपाल के पास अध्यादेश जारी करने के लिए भेजने का फैसला किया गया है.

मंत्री जे. सी. मधुस्वामी ने ये भी कहा कि सरकार ने पूर्व में कोटा बढ़ाने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी करने का फैसला किया था. वहीं, एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, ‘हमने पहले महसूस किया था कि कार्यकारी निर्णय पर्याप्त होगा, लेकिन बाद में लगा कि अगर अदालत में इस पर सवाल उठाया जाता है तो इससे समस्याएं पैदा हो सकती हैं, इसलिए हमने अध्यादेश लाने का फैसला किया है.’ मधुस्वामी ने कहा कि अध्यादेश संविधान के विभिन्न वर्गों का हवाला देते हुए एक विस्तृत नोट के साथ आरक्षण में बढ़ोतरी को सही ठहराता है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस बात पर जोर दिया है कि पहले कर्नाटक में अनुसूचित जाति के तहत केवल छह जातियां थीं, जिनमें अब 103 जातियां, घुमंतू और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को जोड़ा गया है, इसलिए जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई है, और जैसा कि संविधान पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए कहता है, हमें एससी के लिए लगभग 17 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय करना होगा.’ उन्होंने कहा कि इसी तरह, नायका और नायक जैसे विभिन्न समुदायों को एसटी में शामिल करने के बाद उनकी आबादी में भारी वृद्धि हुई है, और चूंकि वे लगभग सात प्रतिशत हैं, इसलिए उनके आरक्षण में वृद्धि की गई है.

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