27.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 11:54 am
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अमेरिका में किया समलैंगिक विवाह, भारत में भी मांगी मान्यता, कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

Advertisement

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो समलैंगिक जोड़ों की अलग-अलग याचिकाओं पर बुधवार को केंद्र से जवाब मांगा. एक याचिका में विशेष विवाह कानून (एसएमए) के तहत विवाह की अनुमति देने और एक अन्य याचिका में अमेरिका में हुए विवाह को विदेश विवाह कानून (एफएमए) के तहत पंजीकृत किए जाने का अनुरोध किया गया है .

Audio Book

ऑडियो सुनें

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो समलैंगिक जोड़ों की अलग-अलग याचिकाओं पर बुधवार को केंद्र से जवाब मांगा. एक याचिका में विशेष विवाह कानून (एसएमए) के तहत विवाह की अनुमति देने और एक अन्य याचिका में अमेरिका में हुए विवाह को विदेश विवाह कानून (एफएमए) के तहत पंजीकृत किए जाने का अनुरोध किया गया है .

न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके उनसे एसएमए के तहत विवाह की अनुमति मांगने वाली दो महिलाओं की याचिका पर अपना रुख बताने को कहा है.

Also Read: हाथरस घटना की सीबीआई जांच से जगी इंसाफ की उम्मीद, SIT ले रही पीड़िता के परिवार का बयान

याचिका में कानून के प्रावधानों को चुनौती गई है, जो समलैंगिक विवाह को संभव नहीं बनाता. अदालत ने अमेरिका में विवाह करने वाले दो पुरुषों की एक अन्य याचिका पर केंद्र और न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास को भी नोटिस जारी किया है. इस जोड़े के विवाह का एफएमए के तहत पंजीकरण किए जाने से इनकार कर दिया गया था. पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए आठ जनवरी 2021 की तारीख तय की है.

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाओं के सुनवाई योग्य होने को लेकर उन्हें कोई संशय नहीं है, लेकिन प्रथागत कानूनों में विवाह की अवधारणा समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देती. उसने कहा कि विवाह को एसएमए और एफएमए के तहत परिभाषित नहीं किया गया है और विवाह को हर कोई प्रथागत कानूनों के अनुसार ही परिभाषित करता है. पीठ ने कहा कि प्रथागत कानूनों के तहत समलैंगिक विवाहों को मान्यता दिए जाने के बाद एसएमए और एफएमए जैसे कानूनों में भी इन्हें मान्यता दे दी जाएगी.

उसने कहा कि यदि याचिकाकर्ता विवाह की परिभाषा को चुनौती देने के लिए अपनी याचिकाओं में कोई बदलाव करना चाहते हैं, तो उन्हें कार्यवाही के बाद के चरण में ऐसा करने के बजाए अभी ऐसा करना चाहिए. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुई वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी प्रथागत एवं धार्मिक कानूनों में राहत का अनुरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे अनुरोध कर रहे हैं कि दूसरी जाति या किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से विवाह करने वाले दम्पत्तियों समेत सभी दम्पत्तियों पर लागू होने वाले असैन्य कानूनों एसएमए और एफएमए को उन पर भी लागू किया जाए.

गुरुस्वामी ने पीठ से कहा कि एसएमए और एफएमए प्रथागत कानूनों पर आधारित नहीं हैं. केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील राजकुमार यादव ने कहा कि सनातन धर्म के 5,000 साल पुराने इतिहास में ऐसी स्थिति पहली बार सामने आई है. इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि ‘‘कानून लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करता. कृपया, देश के हर नागरिक के हित में कानून की व्याख्या करने की कोशिश कीजिए.”

उसने कहा कि याचिका की प्रकृति विरोधाभासी नहीं है. केंद्र की ओर से पेश हुए स्थायी सरकारी वकील कीर्तिमान सिंह ने भी इस बात पर सहमति जताई. दो महिलाओं के जोड़े ने अपनी याचिका में कहा है कि वे आठ साल से दम्पत्ति की तरह साथ रह रही हैं, एक-दूसरे से प्यार करती हैं, साथ मिलकर जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना कर रही हैं, लेकिन विवाह नहीं कर सकतीं, क्योंकि दोनों महिला हैं.

समलैंगिक पुरुष जोड़े ने अमेरिका में विवाह किया था, लेकिन समलैंगिक होने के कारण भारतीय वाणिज्य दूतावास ने विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 के तहत उनकी शादी का पंजीकरण नहीं किया. याचिका दायर करने वाली दोनों महिलाओं (47 और 36 वर्ष की) का कहना है कि सामान्य विवाहित जोड़े के लिए जो बातें सरल होती हैं, जैसे… संयुक्त बैंक खाता खुलवाना, परिवार स्वास्थ्य बीमा लेना आदि, उन्हें इसके लिए भी संघर्ष करना पड़ता है. दोनों ने अपनी याचिका में कहा है, ‘‘विवाह सिर्फ दो लोगों के बीच बनने वाला संबंध नहीं है, यह दो परिवारों को साथ लाता है.

इससे कई अधिकार भी मिलते हैं. विवाह के बगैर याचिका दायर करने वाले लोग कानून की नजर में अनजान लोग हैं. भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने के अधिकार की रक्षा करता है और यह अधिकार विषम-लिंगी जोड़ों की तरह ही समलैंगिक जोड़ों पर भी पूरी तरह लागू होता है.” दोनों ने अनुरोध किया है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देने वाले विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाए.

Posted By – pankaj Kumar Pathak

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें