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उत्तर कोरिया से मुश्किल से निकले रूसी राजनयिक, 1 किमी तक पैदल पटरी पर दौड़ानी पड़ी ट्रेन

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रुसी मंत्रालय ने अपने पोस्ट में कहा कि "घर पहुंचने के लिए यह एक लंबी और कठिन यात्रा थी. इसके लिए सबसे पहले आपको एक ट्रॉली की जरूरत पड़ी इसके बाद इसमें अपने बच्चों और सामान को रख कर रेल मार्ग से निकल जाने की ज़रूरत है.

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एक ओर जहां दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रकोप रुकने का नाम ही नहीं ले रहा. वही दूसरी ओर तानाशाह किम जोंग उन के राज में रूसी राजनयिकों को परिवार के साथ अजीबोगरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ा रहा है. उत्‍तर कोरिया में तैनात रूसी राजनयिकों को उत्‍तर कोरिया से निकलने के लिए हाथों से खींचे जाने वाली ट्रेन ट्रॉली की मदद से उत्‍तर कोरिया से अपने देश लौटना पड़ा. इस दौरान करीब एक किलोमीटर तक रूसी राजनयिकों को खुद ही रेलवे ट्रैक पर यह ट्रॉली खींचनी पड़ी.

किसी अभियान से कम नहीं यह यात्रा

32 घंटो की यह यात्रा किसी अभियान से कम नहीं थी, जिसमे पहले यात्रा को रेल मार्ग से पूरा किया गया उसके बाद बॉर्डर तक पहुंचने के लिए और 2 घंटे लम्बा सफर तय करना पड़ा. गौरतलब है कि कोरोना के बढ़ते मामलो से एक बार फिर दुनिया की रफ्तार को थमने लगी है. जिसका असर रूसी राजनयिक (Russian Diplomat) पर भी पड़ रहा.

रुसी मंत्रालय ने अपने पोस्ट में कहा कि “घर पहुंचने के लिए यह एक लंबी और कठिन यात्रा थी. इसके लिए सबसे पहले आपको एक ट्रॉली की जरूरत पड़ी इसके बाद इसमें अपने बच्चों और सामान को रख कर रेल मार्ग से निकल जाने की ज़रूरत है. अंत में,इस कठिन मार्ग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा आता है जिसमे रूस तक पहुंचने के लिए आपको पैदल यात्रा पूरी करनी होगी.

नार्थ कोरिया के कोरोना दावों पर सवाल

इस वीडियो में रूस के सेकेट्री व्लादिस्लाव सोरोकिन (Vladislav Sorokin) एक ट्राली के जरिए रेलवे ब्रिज पार करते नजर आए. पर सवाल यह उठता है कि ऐसी नौबत आयी ही क्यों? दरअसल,उत्‍तर कोरिया ने दावा किया है कि उसके यहां कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं है लेकिन वैश्विक जानकार उसके दावे को खारिज करते हैं. गौरतलब है कि पिछले साल से ही नार्थ कोरिया ने ट्रेनों को देश छोड़ने या देश में आने की अनुमति पर रोक लगा राखी है. इतना ही नहीं अंतरराष्‍ट्रीय उड़ानों को भी रोक दिया गया है.

उत्‍तर कोरिया में इस बैन की वजह से रूसी राजनयिकों को अपने वतन लौटने के लिए मजबूरन अजीबोगरीब रास्‍ते अपनाने पड़ रहे है. रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘चूंकि एक साल से भी ज्‍यादा समय से आवागमन के रास्ते बंद हैं , इस वजह से राजनयिकों को घर वापसी के लिए इतना लंबा और कठिन रास्‍ता अपना पड़ा है.’

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