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RSS News: गृह मंत्रालय के RSS पर लगे प्रतिबंध हटाये जानें पर विपक्ष कर रहा आलोचना

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केंद्र सरकार ने RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने से प्रतिबंध हटा दिया है. प्रतिबंध हटाए जानें के बाद एक तरफ RSS केंद्र के इस फैसले की सराहना कर रही है तो वहीं दूसरी विपक्षी दल लगातार सरकार पर निशाना साध रही है.

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RSS News: गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों द्वारा जारी उन आदेशों में संशोधन किया है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों के RSS की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया गया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.इसकी जानकारी देते हुए भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा , “58 साल पहले, 1966 में जारी असंवैधानिक आदेश, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था, मोदी सरकार ने वापस ले लिया है. मूल आदेश को पहले ही पारित नहीं किया जाना चाहिए था.” उन्होंने कहा, “प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था, क्योंकि 7 नवंबर 1966 को संसद पर गोहत्या के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था. RSS-जनसंघ ने लाखों लोगों का समर्थन जुटाया था. पुलिस गोलीबारी में कई लोग मारे गए थे. 30 नवंबर 1966 को आरएसएस-जनसंघ के प्रभाव से हिलकर इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था.”

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कांग्रेस ने की केंद्र के फैसले की आलोचना

कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता जयराम रमेश ने RSS पर लगे प्रतिबंध को हटाए जानें पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, ‘फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया. इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया. 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था – और यह सही निर्णय भी था. यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है. 4 जून 2024 के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है. 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था. मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है.’

RSS ने केंद्र के फैसले को सराहा

RSS के राष्ट्रीय प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने कहा कि संगठन पिछले 99 वर्षों से सदैव राष्ट्र के पुनर्निर्माण और समाज की सेवा में लगा हुआ है. श्री आंबेकर ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता और प्राकृतिक आपदा के समय देश के विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व के लिए संघ की भूमिका सराहनीय है.” उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार का मौजूदा फैसला भारत के अधिकारों और लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने वाला है. उन्होंने कहा कि आरएसएस पिछले 99 वर्षों से लगातार राष्ट्र के पुनर्निर्माण और समाज की सेवा में लगा हुआ है”. आंबेकर ने आगे कहा गया है कि, “अपने राजनीतिक हितों के कारण, तत्कालीन सरकार ने आधारहीन तरीके से सरकारी कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया था.”

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दी प्रतिक्रिया

AIMIM प्रमुख और लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिबंध वापस लेने के लिए भाजपा पर हमला किया है. ओवैसी ने कहा कि कोई भी सिविल सेवक अगर आरएसएस का हिस्सा है तो वह देश के प्रति वफादार नहीं रह सकता और यह आदेश भारत की एकता के खिलाफ है.सोशल मीडिया मे पोस्ट करते हुए ओवैसी ने लिखा “इस कार्यालय ज्ञापन में कथित तौर पर दिखाया गया है कि सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध हटा दिया है. अगर यह सच है, तो यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ है. आरएसएस पर प्रतिबंध इसलिए है क्योंकि इसने संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. आरएसएस का हर सदस्य हिंदुत्व को राष्ट्र से ऊपर रखने की शपथ लेता है. कोई भी सिविल सेवक अगर आरएसएस का सदस्य है तो वह देश के प्रति वफादार नहीं रह सकता.

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