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…और जादूगर का बेटा जब बना राजस्थान का मुख्यमंत्री, पढ़ें अशोक गहलोत का राजनीतिक जीवन

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राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने अब तक पांच बार सांसद, तीन बार केन्द्र में मंत्री, तीन बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, दो बार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, पांच बार विधायक और तीन बार मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रचा है. पढ़ें उनका राजनीतिक जीवन

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छह नवंबर को जोधपुर की सरदारपुरा सीट से नामांकन पत्र दाखिल किया. नामांकन दाखिल करने से पहले गहलोत ने अपनी बड़ी बहन विमला देवी से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया. नामांकन दाखिल करने के दौरान गहलोत की पत्नी और उनके पुत्र साथ थे. उल्‍लेखनीय है कि जोधपुर जिले की सरदारपुरा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इस सीट से 1999 से अशोक गहलोत लगातार जीतते आए हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 63 फीसदी वोट मिले थे. अशोक गहलोत की बात करें तो उन्हें राजनीति का जादूगर कहा जा सकता है. उनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह गहलोत था जो राजस्थान के मशहूर जादूगर थे. अशोक गहलोत भी पिता के साथ कई शो में नजर आते थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बचपन में वह उनके जादूगर अंकल हुआ करते थे, आज वे गांधी परिवार के चाणक्य माने जाते हैं. 3 मई 1951 में जोधपुर में जन्मे अशोक गहलोत ने 1977 में जब पहली बार कांग्रेस के टिकट पर जोधपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ा तो साढ़े चार हजार वोटों से हार गए. गहलोत ख़ुद भी जादू जानते हैं. एकबार जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस बार भी जादू दिखाएंगे? तो उन्होंने कहा था कि जादू तो चलता रहता है, कुछ को दिखता है कुछ को नहीं भी दिखता है.

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अशोक गहलोत कुशल रणनीतिकार माने जाते हैं जिसका लोहा वे कई चुनाव में दिखा चुके हैं. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कांटे की टक्कर दी. यह गहलोत की वजह से ही हुआ था. यही वजह है कि सचिन पायलट की खुली बगावत के बाद भी मुख्यमंत्री की उनकी कुर्सी पर कोई आंच नहीं आयी. महज 34 साल की उम्र में राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ ही उनके नाम एक रिकॉर्ड बना. वे कांग्रेस के इतिहास में सबसे कम उम्र के प्रदेश अध्यक्ष बने और कांग्रेस को आगे लेकर बढ़ते चले गये. यहां चर्चा कर दें कि अशोक गहलोत तीन पीढ़ियों से गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे हैं. गहलोत को इंदिरा गांधी ने चुना जबकि संजय गांधी ने उन्हें तराशा था. यही नहीं राजीव गांधी ने गहलोत को आगे बढ़ाया जबकि सोनिया गांधी ने उन्हें चमकाया.

सोनिया गांधी के भी करीबी

साल 1998 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली और पार्टी ने प्रदेश की कमान को लेकर बड़ा फैसला किया. इस साल विधानसभा की 200 सीटों में से 153 पर पार्टी ने जीत का परचम लहराया. राजेश पायलट, नटवर सिंह, बूटा सिंह, बलराम जाखड़, परसराम मदेरणा जैसे दिग्गजों के बजाय सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत पर अपना दांव खेला और वह पहली बार मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुए.

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अशोक गहलोत का राजनीतिक जीवन

-सीएम अशोक गहलोत की बात करें तो उन्होंने छात्र जीवन में ही राजनीति की ओर कदम बढ़ा दिया था. गहलोत ने पहली बार साल 1973 में एनएसयूआई से राजनीतिक सफर की शुरुआत की.

-साल 1973 से 1979 तक सीएम गहलोत एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे

-इसके बाद 1979 से 1982 तक जोधपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपनी सेवा दी.

-मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना पहला चुनाव महज 26 साल की उम्र में सरदारशहर से लड़ा, लेकिन पहले चुनाव में उन्हें विरोधियों ने पछाड़ दिया.

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-गहलोत ने साल 1980 में सीधे लोकसभा का चुनाव जीता और विरोधियों की बोलती बंद कर दी.

-गहलोत साल 1980 के बाद 1984, 1991, 1996 और 1998 तक पांच बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. पांच बार सांसद का चुनाव जीतने वाले अशोक गहलोत को केंद्र में अहम जिम्मेदारियां भी दी गई. गहलोत को तीन बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से नवाजा गया.

-साल 1998 में कांग्रेस को 153 सीटें मिलने के बाद तत्कालीन दिग्गज कांग्रेसियों से आगे निकल कर अशोक गहलोत ने पहली बार राजस्थान का मुख्यमंत्री पद संभाला.

-साल 2008 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद फिर दूसरी बार अशोक गहलोत ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की.

-17 दिसंबर 2018 को अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार कमान संभाली.

-राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने अब तक पांच बार सांसद, तीन बार केन्द्र में मंत्री, तीन बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, दो बार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, पांच बार विधायक और तीन बार मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रचा है.

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