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रामनाथ कोविंद रविवार को राष्ट्रपति भवन को कहेंगे अलविदा, आज पीएम मोदी करेंगे विदाई भोज का आयोजन

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की बात करें तो देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 2017 को शपथ लेने वाले कोविंद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद रविवार को राष्ट्रपति भवन से विदाई लेंगे.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को यानी आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को विदाई भोज देंगे जो शाम 5:30 बजे से आयोजित किया गया है. इस भोज की मेजबानी पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे. आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. इसके पहले विदाई भोज का आयोजन किया जा रहा है. यहां चर्चा कर दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपना सफल कार्यकाल पूरा करने के बाद 24 जुलाई को इस्तीफा देंगे. जमीनी स्तर के नेता से लेकर देश के शीर्ष पद राष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाले रामनाथ कोविंद समाज में समतावाद और समग्रता के पैरोकार रहे हैं.

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रविवार को राष्ट्रपति भवन से विदाई

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की बात करें तो देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 2017 को शपथ लेने वाले कोविंद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद रविवार को राष्ट्रपति भवन से विदाई लेंगे. उनके कार्यकाल के दौरान ही कोरोना वायरस महामारी का अप्रत्याशित दौर आया. कोविंद ने जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष न्यायालय व संसद तक कार्य के अपने वृहद अनुभव से राष्ट्रपति कार्यालय को समृद्ध किया. कोविंद सामाजिक सशक्तिकरण के लिए एक उपकरण के रूप में शिक्षा का इस्तेमाल करने के हिमायती रहे हैं. उन्होंने राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की बड़ी भागीदारी का भी सक्रियता से समर्थन किया है और लगातार आह्वान किया कि समाज के कमजोर तबकों, खासकर, दिव्यांग एवं अनाथों के लिए अधिक मौके सृजित करे.

भारत की कामयाबी की कुंजी उसकी विविधता

राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद कोविंद के भाषण में देश के विकास के प्रति उनकी दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता की झलक मिली थी. तब अपने संबोधन में कोविंद ने अपनी साधारण पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए कहा था कि वह एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पले-बढ़े और राष्ट्रपति पद तक पहुंचने की उनकी यात्रा एक लंबा सफर है. कोविंद ने तब कहा था कि भारत की कामयाबी की कुंजी उसकी विविधता है. उन्होंने 25 जुलाई 2017 को कहा था कि हमारी विविधता ही वह मूल है जो हमें इतना विशिष्ट बनाती है. इस भूमि में हम राज्यों और क्षेत्रों, धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन शैली और बहुत कुछ का मिश्रण पाते हैं. हम इतने अलग हैं और फिर भी इतने समान और एकजुट हैं.

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जून तक 33 देशों की यात्रा

शीर्ष संवैधानिक पद के लिए चुने जाने के बाद कोविंद (76) ने दूरदर्शिता और विनम्रता से भारत के पहले नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया. राष्ट्रपति भवन के मुताबिक, उन्होंने जून तक 33 देशों की यात्रा की थी और भारत की वैश्विक पहुंच और प्रभाव को बढ़ाया. इन देशों की यात्रा के दौरान कोविंद ने शांति, प्रगति और सद्भाव का भारत का संदेश दिया. भारत के राष्ट्रपति के रूप में, उन्हें छह देशों – मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, एस्वातीनी, क्रोएशिया, बोलीविया और गिनी गणराज्य से सर्वोच्च राजकीय सम्मान प्राप्त हुए.

‘कुमार पोस्ट’ की ऐतिहासिक यात्रा

कोविंद ने भारत के सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर के तौर पर मई 2018 में लद्दाख के सियाचिन में दुनिया के सबसे ऊंचे रण ‘कुमार पोस्ट’ की ऐतिहासिक यात्रा की थी. उनका जन्म उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के गांव परौंख में सामान्य परिवार में हुआ था. वह अपनी कड़ी मेहनत से वकील बने, सांसद बने और फिर बिहार के राज्यपाल बने. इसके बाद वह राष्ट्रपति बने. उन्होंने 1971 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर पंजीकरण कराया था. वह 1977 से 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील रहे. वह 1978 में उच्चतम न्यायालय में ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ बने. वह 1980 से 1993 तक शीर्ष अदालत में केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता रहे. कोविंद 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने. वह लगातार दो कार्यकाल के लिए मार्च 2006 तक उच्च सदन के सदस्य रहे.

कोविंद को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया

कोविंद को आठ अगस्त 2015 को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया. वह शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित हैं. इससे पहले 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक के आर नारायण राष्ट्रपति रह चुके हैं. कोविंद की पत्नी सविता कोविंद हैं और उनका एक बेटा और एक बेटी है.

भाषा इनपुट के साथ

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