34.6 C
Ranchi
Friday, March 14, 2025 | 01:28 pm
34.6 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बांग्लादेश में मतुआ महासंघ के संस्थापक की जन्मस्थली का दौरा करेंगे पीएम मोदी, जानिए बंगाल चुनाव पर कैसे पड़ेगा असर

Advertisement

पीएम मोदी का बांग्लादेश दौरा 26 और 27 मार्च को है. इसमें वे मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर की जन्मस्थली जाएंगे. पीएम मोदी मतुआ समुदाय के लोगों से मुलाकात भी करेंगे. वैसे अगर राजनीतिक दृष्टकोण को छोड़ भी दें, तो पीएम मोदी का ये बांग्लादेश दौरा और कई मायनों में खास है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दो दिवसीय बांग्लादेश के दौरे के रवाना हो चुके हैं. कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है. उनकी इस यात्रा के कई मायने हैं. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि जिन दो दिनों तक वे बांग्लादेश की यात्रा पर रहेंगे ठीक उसी दौरान पश्चिम बंगाल में पहले चरण का मतदान होगा. पीएम मोदी इसी दौरान बांग्लादेश में मतुआ समुदाय के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर की जन्मस्थली का दौरा करेंगे. कयास यह लगाया रहा है कि पीएम मोदी का मतुआ समुदाय के संस्थापक की जन्मस्थली का दौरा करना पश्चिम बंगाल के चुनाव पर अपनी गहरी छाप छोड़ सकता है.

बता दें कि पीएम मोदी का बांग्लादेश दौरा 26 और 27 मार्च को है. इसमें वे मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर की जन्मस्थली जाएंगे. पीएम मोदी मतुआ समुदाय के लोगों से मुलाकात भी करेंगे. वैसे अगर राजनीतिक दृष्टकोण को छोड़ भी दें, तो पीएम मोदी का ये बांग्लादेश दौरा और कई मायनों में खास है.

पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय बहुत बड़ा वोट बैंक है. यहां की करीब 70 विधानसभा सीटों पर मतुआ समुदाय के लोगों की अपनी धमक है. इन 70 विधानसभा सीटों पर मतुआ समुदाय के मतदाता जिस किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में उतर जाता है, तब वहां की राजनीतिक बयार का रुख ही बदल जाता है. इन सीटों पर जीत और हार में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. ऐसे में पीएम मोदी के बांग्लादेश में मतुआ समुदाय के संस्थापक की जन्मस्थली का दौरा करना अपने आप में मायने रखता है.

कई मायनों में अहम है पीएम मोदी की यात्रा

इसके साथ ही, पीएम मोदी के बांग्‍लादेश दौरे को जहां द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से अहम समझा जा रहा है, वहीं पड़ोसी देश के साथ सदियों के सांस्‍कृतिक संबंध को देखते हुए भी इसकी अपनी अहमियत है. इसके बीच, पीएम मोदी के दौरे को पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. इसकी प्रमुख वजह बांग्‍लादेश में उस समुदाय के लोगों से प्रस्‍तावित उनकी मुलाकात को बताया जा रहा है, जिनकी बंगाल में भी अच्‍छी-खासी तादाद है और चुनाव का रुख पलटने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं.

बंगाल की सियासत में आ सकता है नया मोड़

बांग्‍लादेश में जिस समुदाय के लोगों के साथ पीएम मोदी के मुलाकात की चर्चा है, वे मतुआ समुदाय के लोग हैं. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी इस दौरे में मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर के ओरकांडी के मंदिर और बरीसाल जिले के सुगंधा शक्तिपीठ भी जाएंगे, जो हिंदू धर्म में वर्णित 51 शक्तिपीठ में से ये एक माना जाता है. पीएम मोदी इस दौरान कुसतिया में रविंद्र कुटी बाड़ी भी जा सकते हैं. उनके इन्‍हीं कार्यक्रमों को बंगाल की सियासत और यहां होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है और इससे बंगाल चुनाव के दौरान यहां की सियासत में नया मोड़ भी आ सकता है.

बंगाल में मतुआ समुदाय की सियासी धमक

पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय की एक बड़ी आबादी रहती है. यहां इस समुदाय की आबादी 2 करोड़ से भी अधिक बताई जाती है और पश्चिम बंगाल के नदिया तथा उत्तर व दक्षिण 24 परगना जिले में 40 से ज्‍यादा विधानसभा सीटों पर इनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है. लोकसभा चुनाव में इस इलाके की कम से कम सात संसदीय सीटों पर उनके वोट को निर्णायक माना जाता है. इस समुदाय की सियासी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने बंगाल में चुनावी अभियान की शुरुआत बीणापाणि देवी से आशीर्वाद लेने के बाद की थी.

बंगाल में मतुआ समुदाय की बड़ी मां है बीनापाणि देवी

बीनापाणि देवी को इस समुदाय के लोग बंगाल में ‘बोरो मां’ यानी ‘बड़ी मां’ कह कर भी कहते हैं. वह समाजसुधारक हरिचंद्र ठाकुर की वंशज हैं, जिन्‍होंने 1860 के दशक में समाज में प्रचलित वर्ण व्यवस्था को समाप्त करने के लिए इस समुदाय के लोगों को एकजुट करने की कोशिश की थी. इस समुदाय के लोग हरिचंद्र ठाकुर को भगवान की तरह पूजते हैं, जिनका जन्‍म अविभाजित भारत के एक गरीब और अछूत नमोशूद्र परिवार में हुआ था. अविभाजित भारत का वह हिस्‍सा अब बांग्‍लादेश में है. बीनापाणि देवी का 5 मार्च, 2019 में 100 साल की उम्र में कोलकाता में निधन हो गया था.

1950 में मतुआ समुदाय के लोग पलायन कर आ गए थे बंगाल

बताया जाता है कि 1947 में आजादी के साथ बंटवारे और एक अलग राष्‍ट्र के रूप में पाकिस्‍तान के उदय के बाद मतुआ समुदाय के लोगों ने धार्मिक शोषण से तंग आकर 1950 के दशक में ही पूर्वी पाकिस्‍तान के इलाकों से भारत में पलायन शुरू कर दिया था. धीरे-धीरे यहां रहते हुए इस समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्‍या में मतदाता पहचान-पत्र भी बनवा लिया और राज्‍य की राजनीति को प्रभावित करने लगे. इस समुदाय के लोगों को पहले वामदलों का वोटर समझा जाता था, लेकिन फिर ये ममता बनर्जी की तरफ मुड़ गए.

सीएए से मतुआ समुदाय में जगी आस

मतुआ समुदाय के लोगों को फिलहाल भाजपा का समर्थक माना जाने लगा है. इसका सबसे बड़ा कारण भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को बताया जा रहा है. हालांकि, वर्ष 2003 में नागरिकता कानून में जो बदलाव किया गया था. इसके बाद उन्‍हें लगा कि भारत में अवैध तरीके से घुसने के नाम पर उन्‍हें बांग्‍लादेश वापस भेजा जा सकता है, लेकिन फिर जब भाजपा नीत केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा नागरिकता कानून में संशोधन किए जाने बाद उन्‍हें यहां शरण और नागरिकता मिलने की उम्‍मीद जगी, तो वे ममता की टीएमसी को छोड़ भाजपा के समर्थक बन गए.

2019 के लोकसभा चुनाव से बदल गया हवा का रुख

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मतुआ समुदाय के शांतनु ठाकुर को भाजपा के टिकट पर बनगांव से चुनावी मैदान में उतारा गया था. इस चुनाव में उन्होंने करीब 1 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की. भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर बीनापाणि देवी के छोटे बेटे मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे हैं, जिन्‍होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने ही परिवार की ममता बाला ठाकुर को हराया था. ममता बाला ठाकुर बीनापाणि देवी के बड़े बेटे कपिल कृष्ण ठाकुर की पत्‍नी हैं, जिन्‍होंने 2015 में हुए उपचुनाव में टीएमसी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता था.

2014 के लोकसभा चुनाव में बनगांव सीट पर टीएमसी की थी पकड़

वर्ष 2014 के चुनाव में कपिल कृष्ण ठाकुर ने टीएमसी के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन उनके असामयिक निधन के बाद इस सीट पर फिर से उपचुनाव कराया गया, जिसमें उनकी पत्‍नी को जीत मिली. वर्ष 2019 के चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में चली गई. फिलहाल, इस विधानसभा चुनाव में इस समुदाय की भूमिका किस तरह की होगी और ये चुनाव को किस तरह प्रभावित करते हैं, इसका पता तो आने वाले दिनों में ही चल पाएगा.

Also Read: पीएम मोदी 497 दिनों में आज पहली दफा विदेश यात्रा पर निकले, बांग्लादेश में हसीना से करेंगे मुलाकात

Posted by : Vishwat Sen

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम वीडियो
News Snaps
News Reels आप का शहर