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‘लोगों की पूजा पद्धति अलग-अलग हो सकती है लेकिन लक्ष्य एक’, बोले मोहन भागवत

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भागवत ने कहा कि वेद सूत्र वाक्य की तरह होते हैं, उनके संपूर्ण अर्थ को समझने के लिए उपनिषद जैसी अन्य रचनाओं की आवश्यकता होती है. जानें फिल्म लेखक एवं निर्देशक इकबाल दुर्रानी द्वारा अनुवादित सामवेद के हिंदी-उर्दू संस्करण का लोकार्पण करते हुए संघ प्रमुख ने और क्या कहा

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वेदों के सूत्र वाक्य के महत्व को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को कहा कि पूजा-पद्धति किसी धर्म का एक अंग होता है लेकिन हर धर्म का अंतिम लक्ष्य आध्यात्मिक सत्य को प्राप्त करना होता है और सबको उसे प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष के मौजूदा दौर में दुनिया को इस बात को समझने की आवश्यकता है.

मोहन भागवत ने शुक्रवार को फिल्म लेखक एवं निर्देशक इकबाल दुर्रानी द्वारा अनुवादित सामवेद के हिंदी-उर्दू संस्करण का लोकार्पण करते हुए कहा कि पूजा-पद्धति किसी धर्म का एक अंग होता है, यह किसी धर्म का संपूर्ण सत्य नहीं होता है. उन्होंने कहा कि अंतिम सत्य हर धर्म का मूल होता है और सबको उसे प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए.

सबको अपना रास्ता दिखाई पड़ता है सही

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि सबको अपना रास्ता सही दिखाई पड़ता है, लेकिन यह समझना चाहिए कि इन सभी मार्गों का अंतिम लक्ष्य एक सत्य को ही प्राप्त करना होता है. उन्होंने एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि अलग-अलग रूप से उपासना करने के बाद भी सुखी रहा जा सकता है, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि सबकी उपासना का आदर करते हुए सत्य की उपासना करनी चाहिए और यही अंतिम ज्ञान का स्वरूप है.

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वाक्य की तरह होते हैं वेद सूत्र

मोहन भागवत ने कहा कि वेद सूत्र वाक्य की तरह होते हैं, उनके संपूर्ण अर्थ को समझने के लिए उपनिषद जैसी अन्य रचनाओं की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि हमें इनका अध्ययन करना चाहिए जिससे हम उनके मूल संदेशों को समझ सकें. लोग अकारण ही एक दूसरे से नफरत कर रहे हैं, ऐसे में सामवेद के प्रेम संदेश और शाश्वत सत्य को लोगों तक पहुंचाना चाहिए.

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