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Pending Cases: सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या ने तोड़ा रिकॉर्ड, संख्या जान हो जाएंगे हैरान

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देश में निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च अदालत तक में लंबित मामलों की भारी संख्या है. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. अब सुप्रीम कोर्ट में कुल लंबित मामले 83 हजार के करीब है.

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Pending Cases: भारत में किसी मांग, चुनौती अथवा शिकायत आदि को लेकर हम अदालत का रुख करते हैं. लेकिन कई बार हमें किसी मामले का फैसला आने में सालों साल इंतजार करना पड़ता है. इसका मुख्य कारण है हमारे देश की अदालतों पर पड़ने वाला लंबित मामलों का बोझ. आज देश की छोटी बड़ी अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं. यहां तक कि देश के सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या रिकॉर्ड 83000 हजार के करीब पहुंच गई है. शीर्ष अदालत में नए मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले दो वर्षों में लंबित मामलों की संख्या में लगभग 4,000 की वृद्धि हुई है.

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2019 में बढ़ाई गई थी सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों की संख्या

शीर्ष अदालत में बढ़ते बोझ को देखते हुए तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई सरकार को संसदीय अधिनियम के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीशों की संख्या 31 से 34 तक कोर्ट के बढ़ाने के लिए राजी कर लिया था. लेकिन फिर भी लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती रही.

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कोरोना काल में धीमी हुई थी न्यायिक प्रक्रिया

बता दें की देश की अदालतों में लंबित मामलों का बोझ कोरोना काल में और भी ज्यादा दिखा क्योंकि उस समय न्यायिक प्रक्रिया धीमी हो गई थी. साल 2021-22 में, सीजेआई एन वी रमना के सीजेआई के रूप में कार्यकाल के दौरान लंबित मामलों की संख्या 70,000 तक पहुंच से बढ़कर 79,000 हो गई थी.

सुप्रीम कोर्ट के जैसी ही है देश के सभी उच्च न्यायालयों की तस्वीर

लंबित मामले सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही नहीं है. बल्कि देश सभी 23 हाईकोर्ट में भी लंबित मुकदमों का भारी बोझ जो कि लगातार बढ़ रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इन उच्च न्यायालयों में जहां 2019 में 46.8 लाख मुकदमे लंबित थे, वहीं 2023 तक यह संख्या बढ़कर 62 लाख हो गई थी. इसका मतलब नए मामलों में 33% की बढ़ोतरी हुई 15 लाख नए मामले जुड़ गए. देश में निचली अदालतों की स्तिथि तो और भी खराब है. 2019 में निचली अदालतों में कुल लंबित मामले 3.2 करोड़ थे जो 2023 तक बढ़कर 4.4 करोड़ हो गई थी.

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