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Panchayati Raj: पेसा अधिनियम को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए मंगलवार को रांची में होगा मंथन

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पेसा अधिनियम में अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन और कामकाज के तौर-तरीकों को संरक्षित करने तथा बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर मंगलवार को रांची में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हो रहा है. इसका मकसद आदिवासी क्षेत्रों में पेसा अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा करना है.

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Panchayati Raj: पेसा अधिनियम पर मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन होगा. झारखंड सरकार का पंचायती राज विभाग इस कार्यशाला का आयोजन करेगा. इसका मकसद पंचायतों (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 ( पेसा अधिनियम ) के प्रावधानों के बारे में जागरूकता फैलाना है. पंचायती राज मंत्रालय 10 पेसा राज्यों आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना को अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली जागरूकता और क्षमता निर्माण गतिविधियों के लिए जरूरी कार्यक्रमों का आयोजन करने का सुझाव दिया है. इसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों, ग्राम सभा के सदस्यों और वन, राजस्व, ग्रामीण विकास, आदिवासी कल्याण और सामाजिक न्याय जैसे विभागों के अधिकारियों सहित प्रमुख हितधारकों को सक्रिय रूप से जोड़ना है.

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साथ ही पेसा अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं को उजागर करने और अनुसूचित क्षेत्रों में शासन को मजबूत करने के लिए इसकी क्षमता को सामने लाने की कोशिश होगी. राज्यों के सामूहिक प्रयास से पेसा अधिनियम के संबंध में जागरूकता बढ़ाने, ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने और जमीनी स्तर पर इसके प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में झारखंड की पंचायती राज, ग्रामीण विकास और ग्रामीण कार्य मंत्री दीपिका पांडे सिंह, केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज भारद्वाज संबोधित करेंगे.

केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सचिव अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय शासन को आगे बढ़ाने में पेसा के महत्व और अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए पंचायती राज मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर अपनी बात रखेंगे. कार्यक्रम में केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर, झारखंड के पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे और झारखंड की पंचायती राज निदेशक नेशा उरांव भी संबोधित करेंगे. 


आदिवासी क्षेत्रों में लोकतंत्र मजबूत करना है मकसद

पेसा पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला का मकसद देश के आदिवासी क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है. अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को स्वशासन और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के साथ सशक्त बनाने वाले ऐतिहासिक कानून पेसा अधिनियम को 24 दिसंबर 1996 को लागू किया गया था. आदिवासी समुदायों को शोषण से बचाने में इस अधिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. अधिनियम में अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन और कामकाज के तौर-तरीकों को संरक्षित करने तथा बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर कार्यशाला पर चर्चा की जाएगी. गौरतलब है कि झारखंड, पेसा अधिनियम के अनुरूप अपने पेसा नियमों को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच चुका है.

ऐसे में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन अधिनियम के उद्देश्यों, उपलब्धियों और अनुसूचित क्षेत्रों में समुदायों के अधिकारों की रक्षा करते हुए स्थानीय शासन को सशक्त बनाने में हितधारकों को शामिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के तौर पर काम करेगा. कार्यक्रम में अनुसूचित क्षेत्रों में शासन को मजबूत करने में पेसा की भूमिका पर विस्तृत चर्चा होगी. साथ ही पेसा की विशेषताओं और इसके प्रभाव को प्रदर्शित करने वाली एक लघु फिल्म और गीत भी प्रस्तुत किया जाएगा.

इस दौरान आदिवासी परंपराओं और शासन के तौर-तरीकों पर चर्चा और आदिवासी समुदायों की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुति भी पेश की जाएगी. कार्यशाला का उद्देश्य सहयोग को बढ़ावा देना, जागरूकता बढ़ाना और पेसा अधिनियम के मजबूत क्रियान्वयन के जरिए अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार करना है. 

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