15.2 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 11:27 pm
15.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

उद्धव ठाकरे रुकवा सकते हैं महाराष्ट्र में सीबीआई जांच? क्या कहता है कानून, अब तक कितने मुख्यमंत्रियों ने की ऐसी कोशिश

Advertisement

महाराष्ट्र सरकार ने नए रूख के बाद, इस बात की बहस तेज हो गई है कि सीबीआई का क्षेत्राधिकार कहां तक है. सीबीआई जांच के विषय में सहमति और असहमति का फैसला आखिर कहां तक जायज है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने बुधवार को राज्य में सीबीआई जांच की सहमति वापस ले ली. सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी सहमति के बिना राज्य में सीबीआई किसी भी मामले की जांच नहीं कर सकती. महाराष्ट्र सरकार में गृह विभाग में उपसचिव कैलाश गायकवाड़ की तरफ से सीबीआई जांच के बारे में ये आदेश जारी किया गया.

- Advertisement -

हालांकि ये फैसला सुशांत मामले में लागू नहीं होगा क्योंकि सुशांत मामले की सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है. इससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की सरकार भी ऐसा आदेश जारी कर चुकी है. जानकारी के मुताबिक उद्धव ठाकरे का ये फैसला टीआरपी स्कैम मामले की जांच के बारे में आया है.

सीबीआई का क्षेत्राधिकार कहां तक होता है

महाराष्ट्र सरकार ने नए रूख के बाद, इस बात की बहस तेज हो गई है कि सीबीआई का क्षेत्राधिकार कहां तक है. सीबीआई जांच के विषय में सहमति और असहमति का फैसला आखिर कहां तक जायज है. सीबीआई की शक्तियां क्या है. केंद्र का इसमें कितना अधिकार है. इस खबर में परत दर परत आपको समझाने की कोशिश करेंगे.

इस अधिनियम के तहत हुई थी एंजेसी की स्थापना

सीबीआई यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन का गठन दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा किया गया था. संस्था इसी अधिनियम के माध्यम से निर्देशित की जाती है. इस अधिनियम में लिखा है कि किसी राज्य विशेष में जांच के लिए सीबीआई को उस राज्य की सहमति जरूरी होगी.

किस आधार पर जरूरी होती है राज्य की सहमति

ये सहमति भी दो तरीके से पारिभाषित की जाती है. सामान्य परिस्थिति में सीबीआई के पास केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों की जांच का अधिकार है. लेकिन विशेष परिस्थिति में सीबीआई राज्य सरकार की सहमति से राज्य सरकार से जुड़े कर्मचारियों, विभागों तथा राज्य में किसी हिंसक अपराध से संबंधित मामलों की जांच कर सकती है. मतलब राज्य से जुड़े मसलों में जांच के लिए सीबीआई को राज्य की सहमति चाहिए होगी.

अब सवाल है कि राज्य किस तरीके से सीबीआई को अपने यहां जांच करने से रोक सकता है. जानकारी के मुताबिक सीबीआई पुलिस शक्तियों वाली एक राष्ट्रीय एजेंसी है. सामान्य अर्थों में इसका प्राथमिक क्षेत्राधिकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्रशासित प्रदेशों तक ही सीमित है. सीबीआई पुलिस शक्तियों वाली संस्था है. पुलिसिंग यानी अपराध का पता लगाना और कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सूची का विषय है.

इसलिए ये कानून किसी भी एजेंसी को इस मामले में राज्यों की सहमति से ही काम करने का अधिकार देता है. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से जारी आदेश का यही अर्थ है.

महाराष्ट्र से पहले किन राज्यों ने वापस ली सहमति

इसे पहले कई राज्यों ने ऐसा किया है जब उन्होंने सीबीआई जांच की सामान्य सहमति वापस ले ली थी. आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल वो प्रमुख राज्य हैं जिन्होंने सीबीआई से अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली थी. इनके अलावा भी कई और उदाहरण हैं जब राज्यों ने सीबीआई से अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली थी. सिक्किम वो राज्य है जिसने सीबीआई जांच की सामान्य सहमति वापस ले ली थी. मामला सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी से जुड़ा है.

किसी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने और चार्जशीट दायर करने से पहले ही राज्य ने सामान्य सहमति वापस ले ली.

साल 2018 में पश्चिम बंगाल पुलिस और सीबीआई के बीच टकराव हुआ था. कोलकाता में पश्चिम बंगाल के तात्कालीन पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करने गई सीबीआई की टीम को कोलकाता पुलिस ने बंधक बना लिया था. मामले में जमकर हंगामा हुआ था. उस समय भी ये बहस काफी तेज हुई थी कि आखिरकार सीबीआई को कितना अधिकार है.

राज्य क्यों वापस लेते हैं अपनी सामान्य सहमति

सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि राज्य सीबीआई जांच की सामान्य सहमति वापस लेती है. अधिकांश मामलों में देखा गया है कि सहमति वापस लेने की आम वजह केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे से संबंधित तनाव होता है. राज्य बार-बार ये आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र सरकार सीबीआई का इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों को डराने के लिए करती है. एजेंसी की शक्तियों का दुरुपयोग किया जाता है.

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ये आरोप लगाती रही हैं कि केंद्र की एनडीए सरकार विपक्षी दलों को दबाने और डराने के लिए सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों की शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है.

क्या कहा है सीबीआई का अधिकार वाला कानून

सीबीआई का गठन दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम द्वारा दिए गए प्रस्ताव के आधार पर किया गया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अप्रैल 1963 में एजेंसी की स्थापना की. अधिनियम की धारा 5 के मुताबिक केंद्र सरकार किसी अपराध की जांच के लिए राज्यों में अपनी शक्तियां और क्षेत्राधिकार बढ़ा सकती है. सीबीआई जांच की आदेश दे सकती है.

हालांकि इस अधिनियम की धारा 6 के मुताबिक शक्तियां बढ़ाने के लिए राज्य विशेष की सामान्य सहमति जरूरी होगी. शक्तियां राज्य की सहमति के बिना नहीं बढ़ाई जा सकती.

राज्य अधिकांश मामले में उस वक्त सामान्य सहमति वापस लेती है जब सीबीआई किसी नए मामले में जांच करने के लिए जाती है. यदि बहुत जरूरी हो तो सीबीआई राज्य सरकार से व्यक्तिगत मामलों मे विशिष्ट सहमति की मांग कर सकती है या राज्य सरकार खुद ये शक्तियां उसे सौंप सकती है.

सीबीआई जांच की मांग वाले मामलों का क्या

अधिकांश मामले में देखा गया है कि राज्यों ने केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई जांच की सहमति दी है. एजेंसी संसद के सदस्यों की भी जांच कर सकती है. मिजोरम, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के अलावा देश के बाकी हिस्सों में भी एजेंसी को सामान्य तौर पर जांच के लिए सहमति मिलती है.

अब सवाल ये भी है कि उन मामलों में क्या होता है जब किसी की तरफ से सीबीआई जांच की मांग की जाती है. जैसा की सुशांत सिंह राजपूत मामले में किया गया था.

कहां सर्वोपरि होता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया है कि यदि उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय किसी मामले में सीबीआई को जांच का अधिकार सौंपता है तो किसी भी राज्य से सहमति की जरूरत नहीं होगी. यही वजह है कि महाराष्ट्र सरकार सुशांत मामले की जांच नहीं रोक सकती है. इस बारे में एक एतिहासिक निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने साल 2010 में लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 11 कार्यकर्ताओं की हत्या की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.

Posted By-Suraj Thakur

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें