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पीएमके अधिकारी की हत्या मामले में NIA सख्त, तमिलनाडु के 21 ठिकानों पर छापेमारी

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एनआईए ने रविवार को मदुरई, तंजावुर, तिरुनेलवेली और मयिलादुथुरई सहित अन्य जिलों में कई जगहों पर तलाशी ली. सूत्रों ने कार्रवाई के संबंध में विस्तार से जानकारी नहीं दी. हत्या के सिलसिले में तमिलनाडु के नौ जिलों में 21 स्थानों पर तलाशी ली जा रही है.

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NIA Raid: पीएमके के पूर्व पदाधिकारी की हत्या के मामले में एनआईए ने तमिलनाडु में कई जगहों पर तलाशी ली. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के अधिकारियों ने तमिलनाडु के तंजावुर जिले के तिरुभुवनम में पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के पूर्व पदाधिकारी रामलिंगम की 2019 में हुई हत्या के सिलसिले में आज यानी रविवार सुबह राज्य में कई जगहों पर तलाशी ली. शहर में धर्मांतरण की कथित कोशिशों को लेकर सवाल उठाने के कुछ ही घंटों बाद लोगों के एक समूह ने रामलिंगम की हत्या कर दी थी. एनआईए ने हत्या के कुछ आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मामले से जुड़े कुछ संदिग्ध फरार बताए जा रहे हैं.

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पुलिस सूत्रों के मुताबिक, एनआईए ने रविवार को मदुरई, तंजावुर, तिरुनेलवेली और मयिलादुथुरई सहित अन्य जिलों में कई जगहों पर तलाशी ली. सूत्रों ने कार्रवाई के संबंध में विस्तार से जानकारी नहीं दी. हत्या के सिलसिले में तमिलनाडु के नौ जिलों में 21 स्थानों पर तलाशी ली जा रही है. रामलिंगम की हत्या 5 फरवरी 2019 को कर दी गई थी.

रामलिंगम की कर दी गई थी हत्या
गौरतलब है कि पीएमके के अधिकारी रामलिंगम जब घर वापस जा रहे थे कि हमलावरों ने उन पर अचानक हमला कर दिया. हमलावरों ने उनके हाथ काट दिए थे. घटना के बाद गंभीर रूप से घायल रामलिंगम को अस्पताल में भर्ती कराया गया. इघर उनकी खराब हालात को देखते हुए  अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में रेफर कर दिया था, लेकिन अस्पताल जाने के दौरान उनकी रास्ते में ही मौत हो गई. उनकी मौत अत्यधिक खून बह जाने के कारण हुई थी.

कई आरोपी अभी भी हैं फरार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मांतरण के विरोध के कारण प्रदेश के कुछ कट्टरवादी संगठनों ने उनकी हत्या कर दी. बताया जा रहा है कि उनके बयान से कुछ कट्टरवादी संगठन परेशान हो गये थे. वहीं, उनकी हत्या के बाद पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था. हालांकि, कुछ आरोपी हत्या के बाद से ही फरार है. जिनकी तलाशी में तलाशी अभियान चला रही है. इसी कड़ी में आज यानी रविवार को राज्य के मदुरई, तंजावुर, तिरुनेलवेली और मयिलादुथुरई जिलों सहित विभिन्न स्थानों पर तलाशी ली गई.

पीएफआई पर लगा है प्रतिबंध
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े संगठनों पर पाबंदी लगा रखी है. केन्द्र सरकार ने पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों पर 5 सालों के लिए पाबंदी लगाई है. गृह मंत्रालय की ओर से प्रतिबंध लगाने के बाद इस संगठन के करतूत की पूरी फेहरिस्त भी जारी की थी, जिसे देखने से साफ पता चलता है कि तमिलनाडु , केरल, कर्नाटक समेत कई राज्यों में हुई हत्याओं में इस संगठन का हाथ रहा है.

इसके अलावा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular front of India) की आतंकी फंडिंग व अन्य गतिविधियों के चलते भी इस संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया गया है. पीएफआई के अलावा उनके सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल वूमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन(केरल) पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.

बता दें कि गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यूएपीए एक्ट के तहत इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया है. गौरतलब है कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए पूर्व में भी कई राज्य सरकारों ने गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी. दरअसल, काफी समय से  पीएफआई पर आतंकी फंडिंग के अलावा देश विरोधी और समाज विरोधी गतिविधियों में  शामिल रहने के आरोप लगते रहे हैं. सीएए- एनआरसी आंदोलन, राजस्थान दर्जी हत्या, मध्य प्रदेश खरगौन हिंसा समेत कई मामलों में पीएफआई का नाम सामने आया है. जिसके बाद इस पर प्रतिबंध लगाया गया है.

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क्या है पीएफआई
बता दें, पीएफआई एक कट्टर इस्लामिक संगठन है. हालांकि, यह खुद को सामाजिक संगठन होने का भी दावा करता है. पीएफआई का गठन साल 2006 में  कुछ मुस्लिम संगठनों के विलय के बाद किया गया था. यह संगठन दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में ज्यादा सक्रिय है. पीएफआई की मानें तो देशभर के 15 से अधिक राज्यों में इसके कार्यकर्ता हैं. बताते चले कि पीएफआई पर पिछले कई सालों से आतंकी फंडिंग लेने और कई देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगते रहे हैं. 

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